भारत की 15 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत | Intangible Cultural Heritage of Indian Humanity

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यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत : आज जो नोट्स हम आपके लिए लेकर आये है वे ने केवल UPSC बल्कि SSC , RAILWAY , DELHI POLICE एवं अन्य सभी परीक्षाओं के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है इस पोस्ट में हम भारत की 15 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत | Intangible Cultural Heritage of Indian Humanity आपको निशुल्क उपलब्ध करवा रहे है जिन्हे आप आगामी परीक्षा के लिए पढ़ सकते है 

विश्व धरोहर सूची में भारत के अनेक धरोहर शामिल है जिनके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे यहाँ से काफी बार पेपर में प्रश्न पूछे जा चुके है एवं आगे भी यहाँ से प्रश्न पूछे जाने की काफी ज्यादा संभावना है इसके इन नोट्स को अच्छे से जरूर रट लेना 

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भारत की 15 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत

1.   वैदिक मंत्रोच्चारण की परंपरा– 2008

– वेदो को ज्ञान का मूल स्रोत और हिंदू धर्म की पवित्र नींव माना जाता है।

–         वेद चार प्रकार के होते हैं:

     1. ऋग्वेद 

     2. सामवेद

     3. यजुर्वेद

    4.अथर्ववेद

– वैदिक मंत्रोच्चारण की परम्परा को यूनेस्को ने वर्ष 2008 में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया।

2.   रामलीला, रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन– 2008

–      रामलीला का शाब्दिक अर्थ है–”राम का खेल”(नाटक) रामायण का यह मंचन रामचरितमानस पर आधारित है जो दशहरा के उत्सव पर पूरे उत्तर भारत में इसका प्रदर्शन किया जाता है।

– यूनेस्को ने वर्ष 2008 में रामलीला रामायण का पारम्परिक प्रदर्शन को मानवता की अमूर्त सांस्कतिक विरासत में शामिल किया।

3.   कुटियाट्टम, संस्कृत रंगमंच– 2008

– यह केरल में प्रचलित भारत की सबसे पुरानी जीवित नाट्य परंपराओं में से एक है।

– यूनेस्को ने वर्ष 2008 में कुटियाट्टम, संस्कृत रंगमंच को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया।

4.    रम्माण, भारत के गढ़वाल हिमालय का धार्मिक त्योहार और अनुष्ठान रंगमंच– 2009

–      रम्माण एक लोक प्रदर्शन है यह प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह में उत्तराखण्ड के चमोली जिले में सालूर-डूंगर गाँवों में संरक्षण देवता, भूमियाल देवता (स्थानीय देवता) के सम्मान में उत्सव का आयोजन होता  हैं।

–         यूनेस्को ने वर्ष 2009 में इस रंगमंच को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया।

5.   मुडियेट्टू, केरल का धार्मिक रंगमंच और नृत्य नाटिका– 2010

–         मुडियेट्टू केरल की अनुष्ठानिक नाट्य शैली है जो काली देवी और दारिक नामक दुष्ट राजा के बीच हुए युद्ध की पौराणिक कथा पर आधारित है।

– यूनेस्को ने वर्ष 2010 में इसको मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया।

6.   राजस्थान के कालबेलिया लोक गीत और नृत्य– 2010

–      कालबेलिया नृत्य राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है यह नृत्य कालबेलिया (सपेरा) जाति के द्वारा किया जाता है। इस नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यगंना ‘गुलाबो देवी’ है।

– यूनेस्को ने वर्ष 2010 में इस नृत्य शैली को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया।

7.   छऊ नृत्य– 2010

– इस नृत्य शैली का उद्भव पश्चिम बंगाल, झारखण्ड व ओडिशा में हुआ था।

– छऊ नृत्य को 2010 में यूनेस्को ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया।

8.   लद्दाख का बौद्ध जप: ट्रांस-हिमालयी लद्दाख क्षेत्रजम्मू और कश्मीर, भारत में पवित्र बौद्ध ग्रंथों का पाठ– 2012

–      लद्दाख क्षेत्र के मठों और गाँवों में बौद्ध पुजारी बुद्ध की भावना दर्शन और भिक्षाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले पवित्र ग्रन्थों का जाप करते हैं।

– यूनेस्को ने वर्ष 2012 में लद्दाख का बौद्ध जप को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया।

9.   मणिपुर का संकीर्तनअनुष्ठान गायनढोल बजाना और नृत्य– 2013

–         मणिपुर के संकीर्तन में मणिपुर के मैदानी इलाको के वैष्णव लोगों के जीवन के धार्मिक अवसरों की कला शामिल है।

–         यूनेस्को ने वर्ष 2013 में मणिपुर का संकीर्तन को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया।

10. जंडियाला गुरु, पंजाब, भारत के ठठेरों के बीच बर्तन बनाने का पारंपरिक पीतल और ताँबे का शिल्प– 2014

–         पंजाब में जंडियाला गुरु के ठठेरों का शिल्प पंजाब में पीतल और तांबे के बर्तन बनाने की पारंपरिक पद्धति है।

– यूनेस्को ने वर्ष 2014 में इस पारस्परिक पद्धति को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया।

11. योग– 2016

–      योग स्वयं व्याख्यात्मक है। यह सदियों पुरानी भारतीय प्रथा मन, शरीर और आत्मा को जोड़ती है।

– हर साल 21 जून को दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाती है।

– यूनेस्को ने वर्ष 2016 में योग को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया।

12. नवरोज़– 2016

–         नवरोज़, जो भारत सहित कई देशों में मनाया जाता है, एक नए साल की शुरुआत का जश्न मनाता है और विभिन्न प्रकार के संस्कारों, समारोहों और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जो लगभग दो सप्ताह तक चलता है।

– यूनेस्को ने वर्ष 2016 में नवरोज को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया।

13. कुंभ मेला– 2017

 –        कुंभ मेला तीर्थयात्रियों का दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण जमावड़ा है, जिसके दौरान लोग पवित्र नदी में स्नान या डुबकी लगाते हैं।

–         हर चार साल में, यह कार्यक्रम इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता हैं।

–         यूनेस्को ने वर्ष 2017 में कुंभ मेले को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया।

14. कोलकाता में दुर्गा पूजा– 2021

 –        दुर्गा पूजा एक वार्षिक त्योहार है जो सितम्बर-अक्टूबर में पश्चिम बंगाल के कोलकाता में बंगाली प्रवासियों द्वारा मानाया जाता है।

– यूनेस्को ने वर्ष 2021 में दुर्गा पूजा को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया।

15. गरबा नृत्य– 2023

–      गरबा एक गुजराती लोक नृत्य है जो नवरात्रि में 9 दिनों तक मनाया जाता है।

– यूनेस्को ने वर्ष 2023 में गरबा नृत्य को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया है।

यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल भारत के धरोहर

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अंतिम शब्द

उम्मीद करते है यह नोट्स आपको आपकी तैयारी के लिए काम आएंगे हम आपके लिए ऐसे ही शानदार नोट्स इसी वेबसाइट पर लेकर आते है ताकि आप अपने घर बैठे अच्छे से परीक्षा की तैयारी कर सकें 

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