फ्रांस की क्रांति क्या थी एवं इसके प्रमुख कारण

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फ्रांस की क्रांति के बारे में अपने विश्व का इतिहास में जरूर पड़ा होगा लेकिन हम जो आपको इस पोस्ट के माध्यम से उपलब्ध करवा रहे हैं वे केवल महत्वपूर्ण बिंदु है जो परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है अगर आप फ्रांस की क्रांति क्या थी एवं इसके प्रमुख कारण के बारे में जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें 

इसे पढ़ने के बाद आपको अन्य कहीं से इस टॉपिक से संबंधित पढ़ने की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि परीक्षा की दृष्टि से केवल आपके लिए इतना ही जानना काफी है

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फ्रांस की राज्य क्रांति 

  • 1789 ई. में हुई फ्रांस की राज्य क्रांति के समय फ्रांस का सम्राट लुई सोलहवाँ तथा इस समय फ्रांस में सामंती व्यवस्था प्रचलित थी।
  • क्रांति के समय फ्रांस की स्थिति सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक रूप से बेहद विकट थी।

इस समय फ्रांस का समाज तीन वर्गों में बँटा हुआ था-

1. प्रथम स्टेट (पादरी वर्ग)

2. द्वितीय स्टेट (अभिजात वर्ग)

3. तृतीय स्टेट (जनसामान्य वर्ग)

1. एस्टेट जनरल का अधिवेशन (5 मई, 1789 ) – इसी अधिवेशन से फ्रांस की क्रान्ति शुरू हुई। जिसमें तीनों वर्गों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा तृतीय एस्टेट ने जनता को राहत देने की माँग पर विवाद बढ़ गया था।

2. नेशनल एसेम्बली/राष्ट्रीय सभा (17 जून, 1789) – इस दिन तृतीय एस्टेट ने स्वयं को राष्ट्रीय सभा घोषित किया।

3. टेनिस कोर्ट की शपथ (20 जून, 1789) – इस दिन तृतीय एस्टेट के सभी जन प्रतिनिधि टेनिस कोर्ट आकर शपथ ली जिसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करके नए संविधान का निर्माण करना है।

4. बास्तील दुर्ग का पतन (14 जुलाई, 1789 ) – बास्तील पेरिस से कुछ दूरी पर ही छोटा-सा दुर्ग था, जिसमें राजनीतिक बंदी रखे जाते थे, यह दुर्ग निरंकुशता का प्रतीक था। अत: दुर्ग का पतन फ्रांसीसी निरंकुशता का पतन माना गया और 14 जुलाई को फ्रांस का राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया।

5. मानवाधिकारों का घोषणा-पत्र (27 अगस्त, 1789 ) – राष्ट्रीय सभा/संविधान सभा ने लाफायते के प्रस्ताव पर मानवाधिकारों का घोषणा पत्र जारी किया, जिसमें कुल 17 धाराएँ थी।

  • फ्रांस की राज्यक्रान्ति का नारा ‘स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व’ जिनका जनक रूसो था।
  • राजा की निरंकुशता पर अंकुश लगाने के लिए फ्रांस में पार्लमा नामक संस्था गठित की गई थी।
  • लुई 14वें का कथन- “मैं ही राज्य हूँ और मेरे शब्द ही कानून है।”
  • लुई 15वें का कथन- “मेरे बाद प्रलय आयेगी” ।
  • लुई 14वें ने वर्साय के शीशमहल का निर्माण करवाया तथा वर्साय को फ्रांस की राजधानी बनाई थी।
  • लुई 16वाँ 1774 ई. में फ्रांस की राजगद्दी पर बैठा तथा इसकी पत्नी का नाम मेरी एंत्वानेत जो ऑस्ट्रिया की राजकुमारी थी।
  • लुई 16वें को राजद्रोह के अपराध में 21 जनवरी, 1793 में फाँसी दी गई।
  • 1791 ई. में फ्रांस का प्रथम लिखित संविधान तैयार हुआ था।
  • वाल्टेयर, मॉटेस्क्यू व रूसो ने फ्रांस की राज्य क्रान्ति में सर्वाधिक योगदान दिया था।
  • कानून की आत्मा (The spirit of laws), सोशल कॉट्रेक्ट व लेटर्स ऑन इंग्लिश नामक पुस्तकें क्रमश: मॉटेस्क्यू, रूसो व वाल्टेयर की है।
  • “सौ चूहों की अपेक्षा एक शेर का शासन अच्छा है” यह कथन वाल्टेयर का है।

नेपोलियन बोनापार्ट

  • नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म 15 अगस्त, 1769 को कोर्सिका द्वीप की राजधानी अजासियों में हुआ था। इनके पिता का नाम कार्लो बोनापार्ट था।
  • आधुनिक फ्रांस का निर्माता नेपोलियन बोनापार्ट को माना जाता है।
  • 1799 ई. में नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांस का प्रथम कौंसल बना तथा 1802 ई. में सीनेट ने नेपोलियन को जीवन पर्यन्त कौंसल बना दिया था।
  • नेपोलियन ने 1800 ई. में बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना की।
  • नेपोलियन ने 1804 ई. में कानूनों का संग्रह तैयार करवाया, जिसे ‘नेपोलियन कोड़’ कहते है।
  • वर्ष 1804 में नेपोलियन फ्रांस का सम्राट बना था।
  • 1805 ई. में इंग्लैण्ड व नेपोलियन के मध्य हुआ ट्राल्फगर का युद्ध जिसमें नेपोलियन की हार हुई थी।
  • वर्ष 1805 के आस्टरलिट्स के युद्ध में नेपोलियन बोनापार्ट ने ऑस्ट्रिया व रूस की संयुक्त सेना को हराया था।
  • 1813 ई. में यूरोप के राष्ट्रों के युद्ध में नेपोलियन बोनापार्ट की पराजय |
  • 1815 ई. में वाटर लू युद्ध में नेपोलियन बोनापार्ट की पूर्ण पराजय के साथ सेंट हेलेना द्वीप भेजा गया।
  • 5 मई, 1821 को नेपोलियन बोनापार्ट की मृत्यु हुई।
  • वियना सम्मेलन के तहत यूरोप के देशों ने 1815 ई. में फ्रांस के प्रभुत्व को समाप्त कर दिया था।

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