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जब आप भारतीय राजव्यवस्था विषय को पढ़ते हैं तो उसमें आपको संवैधानिक विकास टॉपिक देखने के लिए मिलता है इस पोस्ट में आज हम Indian Polity – भारतीय संवैधानिक विकास नोट्स के क्लास में नोट्स आपके लिए लेकर रहेगा ताकि आप इस टॉपिक को हमारे द्वारा उपलब्ध करवाए जा रहे नोट्स के माध्यम से अच्छे से तैयार कर सके 

अगर आप इस टॉपिक के लिए इन नोट्स को अच्छी तरह पढ़ लेते हैं तो आपको अन्य कहीं से संवैधानिक विकास को पढ़ने की आवश्यकता नहीं होगी हम आपके घर बैठे शानदार नोट्स बिल्कुल फ्री किसी वेबसाइट पर उपलब्ध करवाते हैं

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भारतीय संवैधानिक विकास नोट्स Part 2

भारतीय संवैधानिक विकास नोट्स
भारतीय संवैधानिक विकास नोट्स Part – 1

 भारत शासन अधिनियम, 1935

●  इसमें प्रस्तावना का अभाव था।

●  अखिल भारतीय संघ की स्थापना करना।

 नोट :- इस संघ में 11 ब्रिटिश प्रान्तों से, 6 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों और देशी रियासतों से मिलाकर बनेगा।

●  इस एक्ट के द्वारा केन्द्रीय स्तर पर ‘द्वैध शासन’ व्यवस्था लागू करने का प्रावधान किया गया।

●  इस अधिनियम द्वारा प्रांतों में द्वैध शासन समाप्त करके, उन्हें पूर्ण स्वाधीनता प्रदान की गई।

●  प्रस्तावित संघ की स्थापना के उद्देश्य की पूर्ति हेतु केन्द्रीय व प्रान्त सरकारों के बीच ‘शक्तियों का विभाजन’ किया गया।

सूचियाँ
संघ सूचीप्रान्तीय सूचीसमवर्ती सूची
59 विषय54 विषय36 विषय
राष्ट्रीय महत्त्व केस्थानीय महत्त्व केकेन्द्र व प्रांत दोनों कानून बना सकते है
जल, थल व वायुसेना, विदेशी मामले, डाक, तार, बीमा, बैंक इत्यादिशांति, न्याय, न्यायालय, स्थानीय स्वशासन, कृषि, शिक्षा, सड़के इत्यादिदीवानी व फौजदारी कानून, विवाह, तलाक, उत्तराधिकार इत्यादि

●  इस अधिनियम द्वारा ‘संघीय न्यायालय’ की स्थापना की गई।

 नोट :- न्यायालय में 1 मुख्य न्यायाधीश, 2 अन्य न्यायाधीश होंगे।

 नोट :- इसमें अंतिम अपील ‘प्रिवी परिषद्’ में की जा सकती है।

● इस अधिनियम में संशोधन का अधिकार केवल ब्रिटिश पार्लियामेंट के पास था।

●  इस अधिनियम द्वारा ‘भारत परिषद्’ को समाप्त कर दिया गया।  

● साम्प्रदायिक निर्वाचन पद्धति का विस्तार दलित जातियों महिलाओं और मजदूर वर्ग तक किया गया।

● इस अधिनियम द्वारा बर्मा को भारत से अलग कर दिया गया। ‘अदन’ को इंग्लैण्ड के औपनिवेशिक कार्यालय के अधीन कर दिया और ‘बरार’ को शासन की दृष्टि से मध्य प्रांत का अंग बना दिया गया।

● इस अधिनियम को भारत के ‘मिनी संविधान’ का दर्जा दिया गया है।

 भारत के वर्तमान संविधान पर 1935 के अधिनियम का प्रभाव

●  संघीय योजना संघ की इकाई, केन्द्र को अधिक शक्ति इत्यादि।

●  द्विसदनीय विधानमण्डल

●  राज्यों में राष्ट्रपति शासन।

●  राज्यपाल का पद।

●  राष्ट्रपति द्वारा संकटकाल की घोषणा।

● संघीय कानून और राज्य कानून में विरोध होने की स्थिति में संघीय  कानून को मान्यता

● RBI की स्थापना – इस अधिनियम के तहत देश की मुद्रा और  साख पर नियंत्रण के लिए RBI की स्थापना की गई।

 नोट :- RBI की स्थापना – 1 अप्रैल, 1935, प्रथम गवर्नर –  सर ओसबोर्न स्मिथ।

  क्रिप्स मिशन

●  अध्यक्ष – सर स्टैफर्ड क्रिप्स, सदस्य –

 1. लार्डपैथिक लारेंस, 2. ए.बी. एलेक्ज़ेडर

●  भारत में आगमन – 22 मार्च, 1942

● प्रधानमंत्री – विंस्टन चर्चिल।

●  वायसराय – लार्ड लिनलिथगो

● इस प्रस्ताव में दो बाते निम्नलिखित है–

 1. युद्ध के समय में लागू होने वाले सुझाव।

 2. युद्ध के बाद लागू होने वाले सुझाव।

●  इस एक्ट में औपनिवेशिक स्वराज्य अर्थात् सीमित स्वतंत्रता की अवधारणा दी गई।

●  इसमें संघ प्रमुख के स्थान पर ब्रिटिश नियंत्रण रहने के प्रावधान होनें के कारण इसे अस्वीकार कर दिया गया और 11 अप्रैल, 1942 को वापस ले लिया गया।

● इसमें भारत को अधिराज्य, संविधान सभा की स्थापना, प्रांतों या देशी रियासतों को पृथक् रहने का अधिकार इत्यादि उल्लेखित था।

 भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947

 कैबिनेट मिशन

●  26 जुलाई, 1945 को ब्रिटेन के आम चुनाव में लेबर पार्टी से ऐटली प्रधानमंत्री बने।

●  अपने मंत्री मण्डल के तीन सद स्यों के आयोग को भारत भेजा – 1. पैथिक लारेंस – अध्यक्ष, 2. सर स्टेफर्ड क्रिप्स – सदस्य, 3 ए.वी. एलेक्जेण्डर – सदस्य।

●  इस आयोग ने तीन महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए–

1. भारत में संघ राज्य की स्थापना की जाए।

2. भारत के संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा गठित की जाए।

3. नए संविधान के अंतर्गत नई सरकार के गठन होने तक एक अंतरिम सरकार की स्थापना की गई।

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अंतिम शब्द

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