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जब आप भारतीय राजव्यवस्था विषय को पढ़ते हैं तो उसमें आपको संवैधानिक विकास टॉपिक देखने के लिए मिलता है इस पोस्ट में आज हम संपूर्ण भारतीय संवैधानिक विकास के क्लास में नोट्स आपके लिए लेकर रहेगा ताकि आप इस टॉपिक को हमारे द्वारा उपलब्ध करवाए जा रहे नोट्स के माध्यम से अच्छे से तैयार कर सके 

अगर आप इस टॉपिक के लिए इन नोट्स को अच्छी तरह पढ़ लेते हैं तो आपको अन्य कहीं से संवैधानिक विकास को पढ़ने की आवश्यकता नहीं होगी हम आपके घर बैठे शानदार नोट्स बिल्कुल फ्री किसी वेबसाइट पर उपलब्ध करवाते हैं

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भारतीय संवैधानिक विकास नोट्स

● संविधान लिखित नियमों की ऐसी किताब है जिसे किसी देश में रहने वाले सभी लोग सामूहिक रूप से मानते हैं।

● संविधान सर्वोच्छ कानून होता है।

भारतीय संवैधानिक इतिहास

● भारतीय इतिहास में 1757 ई. की प्लासी की लड़ाई और 1764 ई. के बक्सर के युद्ध के बाद ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने समय-समय पर कई एक्ट पारित किये, जो भारतीय संविधान के विकास की सीढ़ियाँ बने। जो इस प्रकार है–

 1773 ई. का रेग्यूलेटिंग एक्ट

 ●  इस एक्ट के तहत बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल पद नाम दिया गया।

 नोट:- बंगाल के प्रथम गवर्नर जनरल–लॉर्ड वॉरेन हेस्टिंग्स

●  इस एक्ट के तहत कलक ता में 1774 ई. में एक उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गई।

● इसमें एक मुख्य न्यायाधीश व तीन अन्य न्यायाधीश थे।

    नोट:- प्रथम मुख्य न्यायाधीश सर एलिजाह इम्पे थे।

 (अन्य तीन – 1. चैम्बर्स, 2. लिमेंस्टर, 3. हाइड)

 1784 का पिट्स इण्डिया एक्ट–

●  इस एक्ट के तहत द्वैध शासन (दोहरा शासन) का प्रारंभ हुआ–

 1. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स – व्यापारिक मामले

 2. बोर्ड ऑफ कंट्रोलर – राजनीतिक मामले

1813 का चार्टर एक्ट  

●    इस चार्टर द्वारा पहली बार ईसाई मिशनरियों को भारत में धर्म प्रचार की अनुज्ञा दी गयी।

●  कम्पनी के व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त कर सभी ब्रिटिश जनों को व्यापार का अधिकार प्रदान कर दिया     गया, किन्तु चीन के साथ व्यापार और चाय के व्यापार के एकाधिकार को बनाये रखा गया।

●   भारतीयों की शिक्षा पर प्रतिवर्ष लाख रुपये खर्च करने का उपबन्ध किया गया।

●   स्थानीय स्वायत्तशासी संस्थाओं को करारोपण का अधिकार दिया गया।”ध्यातव्य है कि इस राजलेख द्वारा कलकत्ता, बम्बई और मद्रास सरकारों द्वारा निर्मित विधियों का ब्रिटिश संसद द्वारा अनुमोदन अनिवार्य कर दिया गया

●    ब्रिटिश सम्राट की स्वीकृति से कम्पनी को गवर्नर जनरल, गवर्नरी तथा प्रधान सेनापतियों की नियुक्ति का अधिकार दिया गया।

1833 ई. का चार्टर एक्ट

●  बंगाल के गवर्नर जनरल को सम्पूर्ण ‘भारत का गवर्नर जनरल’ बना दिया गया।

 नोट:- भारत के प्रथम गवर्नर जनरल – लॉर्ड विलियम बेंटिक।

●  इस एक्ट के परिणामस्वरूप ‘प्रथम विधि आयोग’ की स्थापना हुई।

 नोट :- अध्यक्षता लॉर्ड मैकाले द्वारा।  

 1858 ई. का भारत शासन अधिनियम

●  इसके अन्तर्गत भारत का शासन कम्पनी से लेकर ब्रिटिश क्राउन के हाथों में सौंपा गया।

●  इस अधिनियम में गवर्नर जनरल का पदनाम बदलकर ‘भारत का वायसराय’ कर दिया गया।

 नोट :- भारत का प्रथम वायसराय – लॉर्ड कैनिंग।

 1909 ई. का मार्ले-मिण्टों सुधार अधिनियम

●   वायसराय-लॉर्ड मिण्टों, भारत सचिव – लॉर्ड मार्ले

●  इस एक्ट द्वारा साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व का आरंभ हुआ।

 नोट :- मुसलमानों के लिए पृथक् निर्वाचक मण्डल तथा पृथक् निर्वाचित प्रतिनिधियों का प्रावधान किया गया।

 नोट :- मतदाताओं के तीन वर्ग–

 1. सामान्य मतदाता

 2. वर्ग मतदाता (जमींदार व मुसलमान)

 3. विशेष मतदाता (विश्वविद्यालय, वाणिज्य)

 1919 का भारत शासन अधिनियम ( मान्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार )

●  वायसराय – लॉर्ड चेम्सफोर्ड, भारत सचिव – मान्टेग्यू

●  इसके अन्तर्गत प्रांतों में “द्वैध शासन” की स्थापना की गई।

 नोट :- जनक – लियोनस कार्टियस 

 प्रान्तीय शासन के दो भाग –

1.  संरक्षित विषय – प्रशासन गवर्नर व उसकी कार्यकारिणी परिषद् के द्वारा

2. हस्तान्तरित विषय – प्रशासन विधान परिषद् के प्रति उत्तरदायी मंत्रियों की सहायता से।

●  इस अधिनियम द्वारा ‘नरेश मण्डल’ (9 फरवरी, 1921) की स्थापना दिल्ली में की गई। 

 नोट :- प्रथम बार महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला।

● इसमें ‘लोकसेवा आयोग’ का गठन किया गया।

 नोट :- 1926 ई. में सिविल सेवकों की भर्ती के लिए ‘केन्द्रीय लोक सेवा आयोग’ का गठन किया गया।

 नोट :- प्रथम लोक सेवा आयोग अध्यक्ष – सर रॉस बार्कर

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अंतिम शब्द

उम्मीद करते हैं इस पोस्ट में उपलब्ध करवाये गए टॉपिक भारतीय संवैधानिक विकास नोट्स से संबंधित नोट्स आपको आपकी तैयारी के लिए काम आएंगे अगर आप ऐसे ही शानदार नोट्स के साथ घर बैठे अपने एग्जाम की तैयारी करना चाहते हैं तो इस वेबसाइट पर हम आपको बिल्कुल फ्री स्टडी मटेरियल उपलब्ध करवाते हैं