जब आप भारतीय राजव्यवस्था विषय को पढ़ते हैं तो उसमें आपको संवैधानिक विकास टॉपिक देखने के लिए मिलता है इस पोस्ट में आज हम Indian Polity Notes – भारतीय संवैधानिक विकास के क्लास में नोट्स आपके लिए लेकर रहेगा ताकि आप इस टॉपिक को हमारे द्वारा उपलब्ध करवाए जा रहे नोट्स के माध्यम से अच्छे से तैयार कर सके
अगर आप इस टॉपिक के लिए इन नोट्स को अच्छी तरह पढ़ लेते हैं तो आपको अन्य कहीं से संवैधानिक विकास को पढ़ने की आवश्यकता नहीं होगी हम आपके घर बैठे शानदार नोट्स बिल्कुल फ्री किसी वेबसाइट पर उपलब्ध करवाते हैं
भारतीय संवैधानिक विकास नोट्स Part 3
ब्रिटिश प्रधानमंत्री की घोषणा
● ब्रिटिश प्रधानमंत्री ‘क्लेमेंट एटली’ ने 20 फरवरी, 1947 को एक महत्त्वपूर्ण घोषण करते हुए कहा कि ब्रिटिश सरकार जून 1948 तक भारत की ‘उत्तरदायी सरकार’ को सत्ता हस्तान्तरित कर देगी।
● यदि इससे पूर्व भारत के राजनीतिक दलों में कोई समझौता हो गया तो इससे पूर्व भी सत्ता सौंपी जा सकती है।
माउण्टबेटन योजना
● वायसराय – लार्ड माउण्टबेटन
● इस योजना के तहत भारत व पाकिस्तान के रूप में दो राज्य बनाने स्वीकार किये गए।
● भारत को दो अधिराज्यों में विभाजित करने की माउण्टबेटन द्वारा ‘3 जून, 1947’ को दी गई योजना की स्वीकृति के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की कि 15 अगस्त, 1947 तक भारत एवं पाकिस्तान को सत्ता हस्तांतरित कर दी जाएगी।
● इसी क्रम में ब्रिटिश संसद में ‘4 जुलाई, 1947’ को भारतीय स्वतंत्रता विधेयक प्रस्तुत किया गया।
● इस विधेयक को 18 जुलाई 1947 को संसद ने पास कर दिया।
● इसमें कुल 20 धाराएँ थी।
1947 अधिनियम की विशेषताएँ
● दो अधिराज्यों की स्थापना – भारत व पाकिस्तान
● संविधान सभाओं को सत्ता सौंपना – ब्रिटिश सरकार दोनों अधिराज्यों की संविधान सभाओं को सत्ता का उत्तरदायित्व सौप देगी
● दोनों देशों की सीमाएँ, सीमा आयोग की रिपोर्ट के पश्चात् ही निर्धारित होगी।
नोट :- सीमा आयोग अध्यक्ष – रेड क्लिफ, सदस्य – 2 हिन्दू व 2 मुसलमान
● दोनों देशों के अलग-अलग गवर्नर जनरल होंगे।
● जब तक संविधान सभाएँ संविधान का निर्माण नहीं कर लेती है, उस समय तक वे विधान मण्डल के रूप में कार्य करती रहेगी।
● देशी रियासतों की सर्वोच्छता का अंत कर दिया जाएगा।
प्रमुख कथन
1.1935 भारत शासन अधिनियम से संबंधित
● पं. जवाहरलाल नेहरू
1. गुलामी का अधिकार-पत्र
2. एक ऐसी कार जिसमें ब्रेक तो हैं पर इंजन नहीं।
● डॉ. बी.आर. अम्बेडकर – मुझे इस आरोप के संबंध में कोई क्षमा नहीं माँगनी है कि संविधान के प्रारूप में गवर्नमेंट ऑफ इण्डिया एक्ट, 1935 के बड़े भाग को पुन: उत्पादित कर दिया गया है।
2. क्रिप्स मिशन से संबंधित
● महात्मा गाँधी– दिवालिया बैंक के नाम भविष्य की तिथि में भुनने वाला चेक (Post dated cheque on a failing bank)
3. भारत विभाजन से संबंधित
● महात्मा गाँधी – अगर कांग्रेस बँटवारा मंजूर करे गी तो उसे मेरी लाश के ऊपर से गुजरना पड़ेगा।
● सरदार पटेल – मुझे लगा कि यदि हमने विभाजन स्वीकार न किया, तो भारत बहुत से टुकड़ो में बँट जाएगा और बिल्कुल नष्ट हो जाएगा। जिस प्रकार हम लोग बढ़ रहे थे उसमें सर्वनाश के अतिरिक्त और कुछ नहीं था उस रास्ते एक नहीं अनेक पाकिस्तान बनते। प्रत्येक दफतर में एक छोटा पाकिस्तान होता।
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अंतिम शब्द –
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