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अगर आप IAS बनने का सपना देख चुके हैं और तैयारी में जुट गए हैं तो सबसे पहले आपको NCERT कक्षा 6 से 12 पढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें आपका बेसिक अच्छे से क्लियर हो जाता है और इसलिए इस पोस्ट में हम आपको भारतीय राजव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण टॉपिक Ncert Indian Polity Notes Pdf ( 2 ) लोकतंत्र ( Democracy ) क्या है , एवं लोकतंत्र ही क्यों ? की संपूर्ण जानकारी आपको शार्ट तरीके से आसान भाषा में उपलब्ध करवा रहे हैं

 जब भी आप Ncert पढ़ेंगे तो उसमें आपको What is Democracy के बारे में पढ़ने को मिलेगा उसी से संबंधित हम आपको नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं साथ ही आप इसे PDF के रूप में निशुल्क डाउनलोड भी कर सकते हैं

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Ncert Indian Polity Notes Pdf ( 2 ) लोकतंत्र ( Democracy ) क्या है , एवं लोकतंत्र ही क्यों ?

लोकतंत्र का अर्थ

·  लोकतंत्र शासन का एक ऐसा रूप है जिसमें शासकों का चुनाव लोग करते हैं।

·  यह परिभाषा बहुत स्पष्ट ढंग से लोकतांत्रिक और गैर-लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाओं में अंतर कर देती है।

·  म्यांमार के सैनिक शासकों का चुनाव लोगों ने नहीं किया है।

·  जिन लोगों का सेना पर नियंत्रण था वे देश के शासक बन गए, शासक के फैसलों में लोगों की कोई भागीदारी नहीं है।

·  पिनोशे (चिले) जैसे तानाशाहों का चुनाव लोग नहीं करते, यही बात राजशाहीयों पर भी लागू होती है।

·  सऊदी अरब के शाह लोगों द्वारा शासक नहीं चुने गए हैं बल्कि राज परिवार में जन्म लेने के कारण उन्होंने यह हक पाया है।

लोकतंत्र की विशेषताएँ

1. प्रमुख फैसले निर्वाचित नेताओं के हाथ:-

·  पाकिस्तान में जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने अक्टूबर, 1999 में सैनिक तख्ता पलट की अगुवाई की, उन्होंने लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंका और खुद को देश का मुख्य कार्यकारी घोषित किया।

·  बाद में उन्होंने खुद को राष्ट्रपति घोषित किया और वर्ष 2002 में एक जनमत संग्रह करवा कर अपना कार्यकाल 5 साल के लिए आगे बढ़वा लिया।

·  अगस्त, 2002 में उन्होंने ‘लिगल फ्रेमवर्क ऑर्डर’ के ज़रिए पाकिस्तान के संविधान को बदल डाला।

·  इस ऑर्डर के अनुसार राष्ट्रपति, राष्ट्रीय और प्रांतीय असेम्बलियों को भंग कर सकता है।

·  मंत्रिपरिषद् के काम-काज पर एक राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् की निगरानी रहती है जिसके ज्यादातर सदस्य फौजी अधिकारी है।

·  इस कानून के पास हो जाने के बाद राष्ट्रीय और प्रांतीय असेम्बलियों के लिए चुनाव कराए गए इस प्रकार पाकिस्तान में चुनाव भी हुए, चुने हुए प्रतिनिधियों को कुछ अधिकार भी मिले लेकिन सर्वोच्च सत्ता सेना के अधिकारियों और ज़नरल मुशर्रफ़ के पास थी।

·  ऐसा तानाशाही और राजशाही वाली अनेक शासन व्यवस्थाओं में होता है।

·  वहाँ औपचारिक रूप से चुनी हुई संसद और सरकार तो होती है पर असली सरकार उन लोगों के हाथों में होती है जिन्हें जनता नहीं चुनती।

·  कुछ देशों में असली ताकत विदेशी शक्तियों के पास में रहती है न कि चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथ में, इसे लोगों का शासन नहीं कहा जा सकता।

·  लोकतंत्र में अंतिम निर्णय लेने की शक्ति लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों के पास ही होनी चाहिए।

2. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावी मुकाबला:-

·  चीन की संसद को कवांगुओ रेममिन दाइवियाओ दाहुई (राष्ट्रीय जन संसद) कहते हैं।

·  चीन की संसद के लिए प्रति पाँच वर्ष बाद नियमित रूप से चुनाव होते हैं।

·  इस संसद को देश का राष्ट्रपति नियुक्त करने का अधिकार है। इसमें पूरे चीन से करीब 3000 सदस्य आते हैं। कुछ सदस्यों का चुनाव सेना भी करती है। चुनाव लड़ने से चुनावों में सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी और उससे पहले सभी उम्मीदवारों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से मंजूरी लेनी होती है।

·  2002-03 में हुए संबद्ध कुछ छोटी पार्टियों के सदस्यों को ही चुनाव लड़ने की अनुमति मिली।

·  सरकार सदा कम्युनिस्ट पार्टी की ही बनती है। 1930 में आज़ाद होने के बाद से मैक्सिको में हर छह वर्ष बाद राष्ट्रपति चुनने के लिए चुनाव कराए जाते हैं। देश में कभी भी फ़ौजी शासन या तानाशाही नहीं आई लेकिन सन् 2000 तक हर चुनाव में पीआरआई (इंस्टीट्यूशनल रिवोल्यूशनरी पार्टी) नाम की एक पार्टी को ही जीत मिलती थी। Alliance for Change सत्ता में आया। विपक्षी दल चुनाव में हिस्सा लेते थे पर कभी भी उन्हें जीत हासिल नहीं होती थी।

·  चुनाव में तरह-तरह के हथकंडे अनपाकर हर हाल में जीत हासिल करने के लिए पीआईआई कुख्यात थी।

·  क्या हम ऊपर वर्णित चुनावों को लोगों द्वारा अपना शासक चुनने का उदाहरण मान सकते हैं? इन उदाहरणों को पढ़ने के बाद तो यही लगता है कि हम ऐसा नहीं कह सकते। यहाँ काफी सारी समस्याएँ हैं।

·  चीन के चुनावों में लोगों के सामने कोई वास्तविक और गंभीर विकल्प ही नहीं होता।

·  लोगों को शासक दल या उसके द्वारा स्वीकृत उम्मीदवारों को ही वोट देना होता है। क्या हम इसे मनपसंद चुनाव कह सकते हैं? मैक्सिको के मामले में ऐसा लगता है कि कहने को विकल्प होते हुए भी असल में वहाँ की जनता के पास कोई दूसरा विकल्प न था।

·  किसी भी तरह वहाँ शासक दल को पराजित नहीं किया जा सकता था, लोगों के चाहने पर भी नहीं। वहाँ हुए चुनाव निष्पक्ष नहीं थे।

·  इस प्रकार, लोकतंत्र निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों पर आधारित होना चाहिए ताकि सत्ता में बैठे लोगों के लिए जीत-हार के समान अवसर हों।

3. एक व्यक्ति-एक वोट- एक मोल:-

·  लोकतंत्र के लिए होने वाला संघर्ष सार्वभौम वयस्क मताधिकार के साथ जुड़ा था। अब इस सिद्धांत को लगभग पूरी दुनिया में मान लिया गया है। पर किसी व्यक्ति को मतदान के समान अधिकार से वंचित करने के उदाहरण भी कम नहीं हैं।

·  2015 तक सऊदी अरब में औरतों को वोट देने का अधिकार नहीं था।

·  एस्टोनिया ने अपने यहाँ नागरिकता के नियम कुछ इस तरह से बनाए हैं कि रूसी अल्पसंख्यक समाज के लोगों को मतदान का अधिकार हासिल करने में मुश्किल होती है।

·  फिंजी की चुनाव प्रणाली में वहाँ के मूल वासियों के वोट का महत्त्व भारतीय मूल के फिजी नागरिक के वोट से ज़्यादा है। ‘

·  लोकतंत्र राजनैतिक समानता के बुनियादी सिद्धांत पर आधारित है। इस प्रकार हम लोकतंत्र की तीसरी विशेषता को जान लेते हैं: लोकतंत्र में हर वयस्क नागरिक का एक वोट होना चाहिए और हर वोट का एक समान मूल्य होना चाहिए।

4. कानून का राज और अधिकारों का आदर:-

·  जिंबाब्वे को 1980 में अल्पसंख्यक गोरों के शासन से मुक्ति मिली। उसके बाद देश पर जानु – पीएफ दल का राज है जिसने देश के स्वतंत्रता संघर्ष की अगुवाई की थी। इसके नेता राबर्ट मुगाबे आज़ादी के बाद से ही शासन कर रहे थे।

·  चुनाव नियमित रूप से होते थे और सदा जानू-पीएफ दल ही जीतता था। राष्ट्रपति मुगाबे कम लोकप्रिय नहीं थे पर वे चुनाव में गलत तरीके भी अपनाते थे।

·  आज़ादी के बाद से उनकी सरकार ने कई बार संविधान में बदलाव करके राष्ट्रपति के अधिकारों में वृद्धि की थी और उसकी जवाबदेही को कम किया था। विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं को परेशान किया जाता था और उनकी सभाओं में गड़बड़ कराई जाती थी।

·  अखबार स्वतंत्र थे पर सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को परेशान किया जाता था।

·  वर्ष 2017 में मुगाबे को राष्ट्रपति पद से हटा दिया गया।

·  अगर हम लोकतंत्र को परखना चाहते हैं तो चुनावों पर नजर डालना ज़रूरी है। पर उतना ही ज़रूरी है कि चुनाव के पहले और बाद की स्थितियों पर भी नज़र डाली जाए।

·  चुनाव के पहले सत्ता पक्ष के विरोधी समूहों के कामकाज़ समेत सभी तरह की राजनैतिक गतिविधियों के लिए पर्याप्त गुंजाइश रहनी चाहिए।

·  इसके लिए ज़रूरी है कि सरकार नागरिकों के कुछ बुनियादी अधिकारों का आदर करे।

·  उनको सोचने की, अपनी राय बनाने की, सार्वजनिक रूप से अपने विचार व्यक्त करने की, संगठन बनाने की, विरोध करने और अन्य राजनैतिकगतिविधियाँ करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।

·  इस प्रकार हम लोकतंत्र की चौथी और अंतिम विशेषता को रेखांकित कर सकते है- एक लोकतांत्रिक सरकार संवैधानिक कानूनों और नागरिक अधिकारों द्वारा खींची लक्ष्मण रेखाओं के भीतर ही काम करती है।

लोकतंत्र ही क्यों ?

·  मैडम लिंगदोह की कक्षा में एक बहस शुरू हुई थी। उन्होंने इस अध्याय को यहाँ तक पढ़ाने के बाद छात्रों से पूछा कि क्या उन्हें लोकतंत्र ही शासन का सबसे अच्छा स्वरूप लगता है। इस सवाल पर सबने कोई न कोई टिप्पणी की।

लोकतंत्र के गुणों पर चर्चा:-

·  योलांदाः हम लोकतांत्रिक देश में रहते हैं। दुनिया भर में सभी जगह लोग लोकतंत्र चाहते हैं। जिन देशों में पहले लोकतांत्रिक शासन प्रणाली नहीं थी वहाँ भी अब इसे अपनाया जा रहा है। सभी महान लोगों ने लोकतंत्र के बारे में अच्छी-अच्छी बातें कही हैं। क्या इतने से ही यह स्पष्ट नहीं हो जाता कि लोकतंत्र सबसे अच्छा है? क्या अब भी इस पर बहस करने की ज़रूरत है?

·  तांगकिनी: लेकिन लिंगदोह मैडम ने तो कहा था कि हमें किसी चीज़ को सिर्फ़ इसलिए नहीं मान लेना चाहिए कि बाकी सभी ने उसे मान लिया है। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि बाकी सभी लोग गलत रास्ते पर जा रहे हों?

·  जेनी: हाँ, यह गलत रास्ता ही है। लोकतंत्र ने हमारे देश को क्या दे दिया है? आधी सदी से ज़्यादा समय से लोकतंत्र है और तब भी देश में इतनी अधिक गरीबी है।

·  रिबियांगः लेकिन लोकतंत्र इसमें क्या कर सकता है? क्या हमारे यहाँ लोकतंत्र के कारण गरीबी है या फिर लोकतंत्र होने के बावजूद भी गरीबी है?

·  जेनी: जो भी है, इससे क्या फर्क पड़ता है? मुद्दा यह है कि हम इसे शासन का सर्वश्रेष्ठ रूप नहीं मान सकते। लोकतंत्र का मतलब है अराजकता, अस्थिरता, भ्रष्टाचार और दिखावा । राजनेता आपस में ही लड़ते रहते हैं। देश की परवाह किसे है?

·  पाइमोनः तो फिर इसकी जगह कौन-सी प्रणाली होनी चाहिए? क्या अंग्रेजी हुकूमत वापस लाई जाए? बाहर से किसी राजा को देश पर शासन के लिए बुलाया जाए?

·  रोजः पता नहीं। पर मुझे लगता है कि देश को एक मजबूत नेता की ज़रूरत है-ऐसे नेता की जिसे चुनाव की, संसद की परवाह न हो। एक ही नेता के पास सारे अधिकार हों। देश के हित में जो कुछ ज़रूरी हो वह सब करने में उसे सक्षम होना चाहिए। सिर्फ इसी से देश से गरीबी और भ्रष्टाचार खत्म होंगे।

·  कोई पीछे से चिल्लायाः इसी को तानाशाही कहते हैं।

·  दोई : अगर वह व्यक्ति सत्ता का उपयोग सिर्फ अपनें लिए और अपने परिवार के लिए करने लगे तो क्या होगा? अगर वह खुद भ्रष्ट हो तब?

·  रोज: मैं सिर्फ ईमानदार, संजीदा और मजबूत नेता की बात कर रही हूँ।

·  दोई : यह ठीक नहीं है। तुम वास्तविक लोकतंत्र की तुलना आदर्श तानाशाही के साथ कर रही हो । हमें आदर्श की तुलना आदर्श के साथ और वास्तविक की तुलना वास्तविक से करनी चाहिए। जरा तानाशाहों के वास्तविक जीवन के बारे में पढ़ो। वे सबसे ज्यादा भ्रष्ट, स्वार्थी और क्रूर होते हैं। होता सिर्फ यह है कि हमें उनके बारे में जानकारियाँ उपलब्ध नहीं हो पातीं। और, सबसे बड़ी गड़बड़ तो यह है कि आप उन्हें सत्ता से हटा भी नहीं सकते।

लोकतंत्र के खिलाफ़ तर्क:-

·  इस चर्चा में लोकतंत्र के खिलाफ़ वे अधिकांश तर्क सामने आ गए हैं जिन्हें हम आम तौर पर सुनते हैं। ये तर्क कुछ इस प्रकार के होते हैं:

1. लोकतंत्र में नेता बदलते रहते हैं। इससे अस्थिरता पैदा होती है।

2.  लोकतंत्र का मतलब सिर्फ राजनैतिक लड़ाई और सत्ता का खेल है। यहाँ नैतिकता की कोई जगह नहीं होती।

3.  लोकतांत्रिक व्यवस्था में इतने सारे लोगों से बहस और चर्चा करनी पड़ती है कि हर फ़ैसले में देरी होती है।

4.  चुने हुए नेताओं को लोगों के हितों का पता ही नहीं होता। इसके चलते खराब फ़ैसले होते हैं।

5.  लोकतंत्र में चुनावी लड़ाई महत्त्वपूर्ण और खर्चीली होती है, इसीलिए इसमें भ्रष्टाचार होता है।

6.  सामान्य लोगों को पता नहीं होता कि उनके लिए क्या चीज़ अच्छी है और क्या चीज़ बुरी; इसलिए उन्हें किसी चीज़ का फ़ैसला नहीं करना चाहिए।

लोकतंत्र के पक्ष में तर्क:-

1.  लोकतांत्रिक शासन पद्धति दूसरों से बेहतर है क्योंकि यह शासन का अधिक जवाबदेही वाला स्वरूप है।

2. लोकतंत्र बेहतर निर्णय लेने की संभावना बढ़ाता है।

3. लोकतंत्र मतभेदों और टकरावों को संभालने का तरीका उपलब्ध कराता है।

4. लोकतंत्र नागरिकों का सम्मान बढ़ाता है।

5. लोकतंत्र व्यवस्था दूसरों से बेहतर है क्योंकि इसमें हमें अपनी गलती ठीक करने का अवसर भी मिलता है।

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