अगर आप किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और आपके सिलेबस में भारतीय राजव्यवस्था आपको पढ़ने को मिलता है तो उसमें आपको 6 fundamental rights of the Indian Constitution के बारे में आपको पढ़ने को मिलेगा उसी से संबंधित इस पोस्ट में हम आपको Indian Polity Notes Pdf ( 2 ) भारतीय संविधान के 6 मौलिक अधिकार उपलब्ध करवा रहे हैं
भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार में से पहले भी बहुत बार परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जा चुके हैं इसलिए अपनी आगामी परीक्षा की तैयारी के लिए इस टॉपिक को अच्छे से जरूर पढ़ ले
Indian Polity Notes Pdf ( 2 ) भारतीय संविधान के 6 मौलिक अधिकार
समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18 तक)
● अनुच्छेद-14 – विधि के समक्ष सभी समान होंगे एवं विधि के समान संरक्षण।
नोट :-
1. विधि के समक्ष समानता – इंग्लैण्ड से ली गई।
2. विधि के समान संरक्षण – अमेरिका से ली गई।
● अनुच्छेद-15 – राज्य किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग एवं जन्मस्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।
नोट :- समाज के सभी वर्गों के लिए सभी सार्वजनिक स्थान तालाब, कुएँ इत्यादि बिना किसी भेदभाव के खुलें रहेंगे।
● अनुच्छेद-15(3) में महिलाओं एवं बच्चों के लिए विशेष प्रावधान राज्य द्वारा किया जा सकेगा।
● अनुच्छेद-15 (4) में राज्य SC व ST तथा सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान कर सकेगा।
● अनुच्छेद-15(5) में राज्य SC, ST तथा पिछड़े हुए लोगों के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
● अनुच्छेद-15(5) – 103वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा जोड़ा गया। इसके द्वारा कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने के लिए या शैक्षिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए राज्य सरकार आर्थिक रूप से कमजोर भाग की उन्नति के लिए वर्तमान आरक्षण के अतिरिक्त 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करेगी।
● अनुच्छेद-16 – सभी व्यक्तियों को सरकारी पदों पर नियुक्ति के समान अवसर प्राप्त होंगे।
● इसमें यह भी उल्लेखित है कि राज्य किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, मूलवंश, जन्मस्थान, निवासस्थान, लिंग तथा उद्भव के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।
● अनुच्छेद-16 (3) में यह उल्लेखित है कि राज्य चाहे तो निवास के आधार पर भेदभाव कर सकता है।
● अनुच्छेद-16 (4) में यह बताया गया कि सरकार समाज के पिछड़े लोगों तथा जिनका सरकार नौकरियों में ‘अपर्याप्त प्रतिनिधित्व’ है, के लिए आरक्षण का प्रावधान कर सकेगी।
● अनुच्छेद-16(4) (क) – 77वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1995 द्वारा जोड़ा गया। इसमें राज्य को यह शक्ति दी गई है कि वह एस.सी. व एस.टी. के लिए प्रोन्नति (Promotion) में आरक्षण की व्यवस्था कर सकता है।
● अनुच्छेद-16(4) (ख) – 81वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2000 द्वारा जोड़ा गया। इसके द्वारा सेवाओं में आरक्षण में अग्रनयन के नियम (Carry Forward Rule) को मान्यता प्रदान किया गया है।
● अनुच्छेद-16(5) – राज्य द्वारा निर्मित कोई ऐसी विधि जो किसी धार्मिक या साम्प्रदायिक संस्था के किसी पदाधिकारी या सदस्य के रूप में किसी विशिष्ट धर्म या सम्प्रदाय के लोगों को ही नियुक्त किये जाने की प्रावधान करती है।
● अनुच्छेद-16(6) – 103वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा अन्त:स्थापित किया गया। इसके अन्तर्गत राज्य आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों के लिए वर्तमान आरक्षण के अतिरिक्त प्रत्यके श्रेणी के पदों में अधिकतम 10 प्रतिशत के आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
● अनुच्छेद-17 – इसके द्वारा ‘अस्पृश्यता/छुआछूत’ पर रोक लगाई गई है।
● अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए वर्ष 1955 में ‘नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम’ बनाया गया।
● इसके अलावा SC तथा ST के विरुद्ध अत्याचारों को रोकने हेतु ‘अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम,1989’ भी बनाया गया है।
● अनुच्छेद-18 – इसके द्वारा सैन्य तथा शिक्षा के अलावा सभी प्रकार की उपाधियों को समाप्त कर दिया गया है।
● कोई भी भारत का नागरिक सरकार की अनुमति के बिना किसी भी अन्य देश से कोई उपाधि नहीं लेगा।
स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22 तक)
● अनुच्छेद-19 (1) मूल संविधान में इसमें 7 स्वतंत्रताएँ प्रदान की गई थी। वर्तमान में इसमें 6 स्वतंत्रताएँ उल्लेखित है–
(a) भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
(b) बिना हथियारों एवं शांतिपूर्वक सम्मेलन की स्वतंत्रता।
(c) संगठन या संघ बनाने की स्वतंत्रता
(d) घूमनें-फिरने की स्वतंत्रता
(e) रहने या बसने की स्वतंत्रता
(f) ……….
(g) व्यापार या वाणिज्य करने की स्वतंत्रता
नोट :- 44वें संविधान संशोधन, 1978 द्वारा ‘सम्पत्ति अर्जित करने की स्वतंत्रता’ (अनुच्छेद-19 (1)(f) को समाप्त कर दिया गया है।
नोट :- ‘प्रेस की स्वतंत्रता’ तथा ‘सूचना का अधिकार’ इन दोनों को ‘भाषण एवं अभिव्यक्ति’ की स्वतंत्रता का भाग माना जाता है।
● अनुच्छेद-20 – इसके अन्तर्गत तीन बातों का उल्लेख है –
(A) जब किसी व्यक्ति ने अपराध किया है, उस व्यक्ति को उस समय के कानून के तहत ही सजा दी जाएगी।
(B) एक व्यक्ति को एक अपराध के लिए दो सजा नहीं दी जा सकती है।
(C) किसी भी व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
● अनुच्छेद-21 – इसके तहत सभी व्यक्तियों को जीने तथा दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार।
● सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णयों में इस अधिकार के अन्तर्गत लगभग 60 अन्य अधिकारों को स्वीकार किया है। इनमें से कुछ वाद निम्नलिखित है–
1. विदेश जाने का अधिकार – मेनका गाँधी बनाम भारत संघ (वर्ष 1978)
2. निजता का अधिकार – P.U.C.L बनाम भारत संघ (वर्ष 1998)
3. शुद्ध जल और वायु पाने का अधिकार – सुभाष कुमार बनाम बिहार राज्य (वर्ष 1991)
4. चिकित्सा सहायता पाने का अधिकार – परमानंद कटारा बनाम भारत संघ (वर्ष 1989)
● अनुच्छेद-21(क) – 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को अनिवार्य एवं नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होगा।
नोट :- 86 वे संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 2002 में इस अनुच्छेद को जोड़ा गया है।
● अनुच्छेद-22 – किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय जो अधिकार प्राप्त होते है, उन अधिकारों का उल्लेख इस अनुच्छेद में है–
1. प्रत्येक व्यक्ति को अपनी गिरफ्तारी के कारणों को जानने का अधिकार है।
2. उसे वकील की सहायता प्राप्त करने का अधिकार है।
3. उसे 24 घण्टे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होने का अधिकार है।
नोट :- अनुच्छेद-22 में यह भी उल्लेखित है किसी व्यक्ति को ‘निरोधक कानून’ के तहत गिरफ्तार किया जाता है तो उसे ये सभी अधिकार प्राप्त नहीं होंगे।
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