इस पोस्ट में हम आपके लिए प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्यजीव के नोट्स लेकर आए हैं जिसमें आपको प्राकृतिक वनस्पति एवं वनों के बारे में आप पढ़ सकते हैं अगर आप इस टॉपिक के लिए हमारे द्वारा उपलब्ध करवाई जा रहे इन नोट्स को पढ़ लेते हैं तो निश्चित ही आपको इस टॉपिक के लिए अन्य नोट्स पढ़ने की आवश्यकता नहीं होगी | प्राकृतिक वनस्पति का यह टॉपिक हमें भारत का भूगोल विषय में पढ़ने के लिए मिलता है
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प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्यजीव
प्रबंधन के आधार पर वनों का वर्गीकरण
1. आरक्षित वन
· इन वनों को सर्वाधिक मूल्यवान माना जाता है।
· देश में आधे से अधिक वनक्षेत्र आरक्षित वन घोषित किए गए हैं।
2. रक्षित वन
· देश के कुल वन क्षेत्र का एक तिहाई हिस्सा रक्षित है।
· इन वनों को और अधिक नष्ट होने से बचाने के लिए इनकी सुरक्षा की जाती है।
3. अवर्गीकृत वन
· बंजर भूमि जो सरकार, व्यक्तियों और समुदाय के स्वामित्व में होते हैं, अवर्गीकृत वन कहे जाते हैं।
नोट:- आरक्षित और रक्षित वन ऐसे स्थायी वन क्षेत्र हैं जिनका रख-रखाव इमारती लकड़ी अन्य वन्य पदार्थों और उनके बचाव के लिए किया जाता है।
· मध्य प्रदेश में स्थानी वनों के अंतर्गत सर्वाधिक (75%) क्षेत्र है।
· जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, उत्तराखण्ड, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में एक बड़ा अनुपात है।
· बिहार, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में रक्षित वनों का एक बड़ा अनुपात है।
· पूर्वोत्तर के सभी राज्यों और गुजरात में अधिकतर वन क्षेत्र अवर्गीकृत है।
वनस्पति प्रकार तथा जलवायु परिस्थिति के आधार पर
1. उष्ण कटिबंधीय सदाबहार एवं अर्द्ध सदाबहार वन
(A) सदाबहार वन
· ये वन उष्ण और आर्द्र प्रदेशों में पाए जाते हैं, जहाँ वार्षिक वर्षा 200 सेमी. से अधिक होती है और औसत वार्षिक तापमान 22° सेल्सियस से अधिक रहता है।
· उष्ण कटिबंधीय वन सघन और परतों वाले होते हैं जहाँ भूमि के नजदीक झाड़ियाँ और बेलें होती है। इनके ऊपर छोटे कद वाले पेड़ और सबसे ऊपर लम्बे पेड़ होते हैं।
· इन पेड़ों के पत्ते झड़ने, फूल आने और फल लगने का समय अलग-अलग है, इसलिए ये वर्ष भर हरे-भरे दिखाई देते हैं।
· ये वन पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढाल पर, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की पहाड़ियों पर और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते हैं।
· इसमें पाई जाने वाली मुख्य वृक्ष प्रजातियाँ रोजवुड, महोगनी, ऐनी और एवनी हैं।
· इन वनों में पाए जाने वाले जानवर हाथी, बंदर, लैमूर और हरिण हैं। एक सींग वाले गेंडे असम और पश्चिम बंगाल के दलदली क्षेत्र में मिलते हैं।
(B) अर्द्ध-सदाबहार वन
· यह अपेक्षाकृत कम वर्षा वाले भागों में पाए जाते हैं।
· यह सदाबहार और आर्द्र पर्णपाती वनों के मिश्रित रूप है। इनमें मुख्य वृक्ष प्रजातियाँ साइडर, हॉलक और केल हैं।
2. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन
· ये वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहाँ वर्षा 70 से 200 सेमी. होती है।
· इन्हें मानसून वन भी कहा जाता है।
· ये भारत में सबसे बड़े क्षेत्र में फैले हुए वन हैं।
· इस प्रकार के वनों में वृक्ष शुष्क ग्रीष्म ऋतु में 6 से 8 सप्ताह के लिए अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं।
· जल की उपलब्धि के आधार पर इन वनों को आर्द्र तथा शुष्क पर्णपाती वनों में विभाजित किया जाता है।
(A) आर्द्र या नम पर्णपाती वन
· ये वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहाँ 100 सेमी. से 200 सेमी. तक वर्षा होती है। अत: ऐसे वन देश के पूर्वी भागों, उत्तरी-पूर्वी राज्यों, हिमालय के गिरिपद प्रदेशों, झारखण्ड, पश्चिमी ओडिशा, छत्तीसगढ़ तथा पश्चिमी घाटों के पूर्वी ढालों में पाए जाते हैं।
· सागोन इन वनों की सबसे प्रमुख प्रजाति है। बाँस, साल, शीशम, चंदन, खैर, कुसुम, अर्जुन, शहतूत, आमला, सैमल, हुर्रा तथा सागवान के वृक्ष व्यापारिक महत्त्व वाली प्रजातियाँ हैं।
(B) शुष्क पर्णपाती वन
· यह वन उन भागों में मिलते हैं, जहाँ वर्षा 70 से 100 सेमी. तक होती है।
· आर्द्र क्षेत्रों की ओर ये वन आर्द्र पर्णपाती और शुष्क क्षेत्रों की ओर काँटेदार वनों में मिल जाते हैं।
· ये वन प्रायद्वीप में अधिक वर्षा वाले भागों और उत्तर प्रदेश व बिहार के मैदानी भागों में पाए जाते हैं।
· शुष्क ऋतु शुरू होते ही इन पेड़ों के पत्ते झड़ जाते हैं और घास के मैदान में नग्न पेड़ खड़े रह जाते हैं।
· इन वनों में पाए जाने वाले मुख्य पेड़ों में तेंदू, पलास, अमलतास, बेल, खैर और अक्सलवुड इत्यादि हैं।
3. उष्ण कटिबंधीय काँटेदार वन
· उष्ण कटिबंधीय काँटेदार वन उन भागों में पाए जाते हैं जहाँ वर्षा 50 सेमी. से कम होती है।
· इसमें दक्षिण-पश्चिम पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अर्द्ध-शुष्क क्षेत्र शामिल है।
· इन वनों में पौधे लगभग पूरे वर्ष पर्णरहित रहते हैं और झाड़ियों जैसे लगते हैं।
· इनमें पाई जाने वाली मुख्य प्रजातियाँ बबूल, बेर, खजूर, खैर, नीम, खेजड़ी, पलास, अकासिया, यूफोरबिया तथा नागफनी (केक्टस) इत्यादि हैं।
· इन वृक्षों के नीचे लगभग 2 मीटर लम्बी गुच्छ घास उगती है।
· इनकी जड़ें लम्बी तथा जल की तलाश में चारों ओर फैली होती है। पत्तियाँ प्राय: छोटी होती है, जिनसे वाष्पीकरण कम से कम हो सके।
· इन जंगलों में प्राय: चूहे, खरगोश, लोमड़ी, भेड़िए, शेर, सिंह, जंगली गधा, घोड़े तथा ऊँट पाए जाते हैं।
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अंतिम शब्द –
उम्मीद करते हैं अपने ऊपर दिए गए लिंक के माध्यम से Indian Geography Notes PDF – प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्यजीव से संबंधित नोट्स को डाउनलोड कर लिया होगा अगर आप किसी भी परीक्षा की तैयारी करते हैं तो इन नोट्स को एक बार जरूर पढ़ ले