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जब भी आप Biology विषय को पढ़ते हैं तो उसमें आपको रुधिर  परिसंचरण तंत्र ( Blood Circulatory System ) टॉपिक पढ़ने के लिए मिलता है आज हम इस पोस्ट में आपको Blood Circulatory System Notes in Hindi लेकर आए हैं ताकि आपका यह टॉपिक इन नोट्स को पढ़कर अच्छे से क्लियर हो जाए | हमने आपको सम्पूर्ण नोट्स बिल्कुल सरल एवं आसान भाषा में उपलब्ध करवाने का प्रयास किया है

अगर आप जीव विज्ञान से संबंधित नोट्स ढूंढ रहे हैं तो आप एक बार हमारे द्वारा उपलब्ध करवाये गये नोट्स को जरूर पढ़ें हम उम्मीद करते हैं आपको अन्य कहीं से इस टॉपिक के बारे में पढ़ने की आवश्यकता नहीं होगी

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रुधिर  परिसंचरण तंत्र नोट्स

है। जिसे रुधिर  परिसंचरण कहते हैं।

● इसमें एक केन्द्रीय पम्प अंग-हृदय (Heart) उपस्थित होता है और रुधिर  वाहिनियाँ जिसके भीरत रुधिर  निरंतर प्रवाहित होता रहता है।

रुधिर परिसंचरण तंत्र के प्रकार

खुला परिसंचरण तंत्र (Open Circulatory System)

  इस तंत्र में रुधिर  कुछ समय के लिए रुधिर  नलिकाओं में उपस्थित रहता है और अंत में रुधिर  नलिकाओं से खुले स्थान में आ जाता है। इसमें कम दाब व कम गति से बहता है। इसमें परिसंचरण कम समय में पूर्ण हो जाता है।

●    यह तिलचट्‌टा, प्रॉन, कीट, मकड़ी आदि में पाया जाता है।

बंद परिसंचरण तंत्र [ Closed Circulatory System ]

  इस तंत्र में रुधिर  बंद नलिकाओं में बहता है। इसमें रुधिर  अधिक दाब एवं अधिक गति से बहता है।

●  इसमें ऊतक द्रव द्वारा पदार्थों का आदान-प्रदान होता है।

●  यह सभी कशेरुकियों (Vertebrate) में पाया जाता है।

●  मनुष्य में विकसित बन्द तथा दोहरा परिसंचरण तंत्र पाया जाता है।

●  मनुष्य में रुधिर परिसंचरण तंत्र की खोज बिलियम होर्वे ने की थी।

●  मनुष्य का रुधिर परिसंचरण तंत्र दो भागों से निर्मित है।

रुधिर  दोहरा परिसंचरण तंत्र– इस तंत्र में निम्नलिखित को सम्मिलित किया जाता है।

1. रुधिर [Blood] – यह तरल संयोजी ऊतक (Connective Tissue) है जिसमें रुधिर  कणिकाएँ, प्लाज्मा, प्लाज्मा प्रोटीन आदि उपस्थित होते हैं।

2. हृदय– एक पेशीय अंग (A Muscular organ)

● मनुष्य का हृदय लम्बा व शंक्वाकार होता है यह पसलियों के नीचे और दोनों फेफड़ों के मध्य परन्तु थोड़ा बायीं (left) ओर स्थित होता है।

● हृदय चार कोष्ठों का बना होता है। इसके ऊपर की ओर बायाँ तथा दायाँ आलिंद (Left & Right Auricle) और नीचे की ओर बायाँ तथा दायाँ निलय (Left and Right Ventricle) होता है।

● ऑक्सीजन युक्त रुधिर  फुफ्फुस (Pulmonary) से हृदय में बायीं ओर स्थित कोष्ठ (बायाँ आलिंद व निलय Left Auricle and Ventricle) में लाया जाता है।

● आलिन्द की अपेक्षा निलय (Ventricle) की पेशीय भित्ति (Muscular wall) मोटी होती है, क्योंकि निलय से पूरे शरीर में रुधिर जाता है।

● आलिन्द या निलय में संकुचन हों तो वॉल्व उल्टी दिशा में रुधिर  प्रवाह को रोकते हैं।

● दोनों आलिन्दों (Auricles) के मध्य का एक पट या भित्ति होती है जिसे अर्न्तआलिन्दीय पट (Inter auricular septum) कहते है उसी प्रकार दोनों निलय के मध्य पट या भित्ति होती है जिसे अन्तर्निलयी पर (Inter Ventricular Septum) कहते हैं।

 हृदय की क्रियाविधि [Mechanism of Heart]

● हृदय के संकुचन तथा शिथिलन द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में रुधिर  पम्प करता है।

● हृदय के बाएँ आलिन्द (Left Auricle) में ऑक्सीजन युक्त रक्त फुफ्फुसीय शिराओं (Pulmonary Veins) द्वारा आता है।

● दोनों आलिन्द सिकुड़न जाते है फिर आलिन्द से ऑक्सीजन युक्त रुधिर  बाएँ निलय में तथा दाएँ आलिन्द से ऑक्सीजन रहित रुधिर  दाएँ निलय में जाता है।

● इसके पश्चात दोनों निलय में सिकुड़न होती है। जिससे रुधिर  में दाब पड़ता है तथा आलिन्द व निलय के बीच कपाट (वॉल्व) बन्द हो जाते हे जिससे रुधिर  पुन: आलिन्द में नहीं जा सके।

● रुधिर  पर दाब के कारण निलय (Ventricle) से जुड़ी महाधमनी (Aorta) का महाधमनी कपाट (Aorta Value) खुलता है तथा रुधिर  महाधमनी में आ जाता है। तथा ऐसे धमनियों द्वारा यह शरीर के सभी भागों में पहुँच जाता है।

● दाएँ निलय (Right Ventricle) के सिकुड़न से रुधिर  फुफ्फुसीय धमनीयों (Pulmonary Arteries) द्वारा फुफ्फुस में जाता है और कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) को मुक्त कर ऑक्सीजनित होकर पुन: बायी आलिंद में प्रवेश करता है और इसी प्रकार रुधिर  हृदय में दो चक्र पुर्ण करता है। अत: इसे दोहरा परिसंचरण कहते है।

3. रुधिर वाहिनियाँ [ Blood Vessels ]

1. धमनियाँ [Arteries]– वे वाहिनियाँ जो रुधिर  (Blood) को हृदय से शरीर के विभिन्न अंगो (Organs) तक ले जाती है।

● इसमें शुद्ध या ऑक्सीजनित रुधिर  प्रवाहित होता है परन्तु फुफ्फुसीय धमनियों (Pulmonary Arteries) में अशुद्ध रक्त प्रवाहित होता है।

2. शिराएँ [Veins]– वे वाहिनियाँ जो रुधिर  (Blood) को शरीर के सभी अंगो से एकत्रित करके हृदय में लाती है।

● इसमें अशुद्ध या ऑक्सीजन रहित रुधिर प्रवाहित होता है परन्तु फुफ्फुसीय शिराओं में शुद्ध या ऑक्सीजनित रक्त प्रवाहित होता है।

3. केशिकाएँ [Capillaries]– वे वाहिनियाँ जो धमनी और शिरा (Arteries and Vein) को जोड़ने का कार्य करती है।

● एक स्वास्थ्य मनुष्य का हृदय 1 मिनट में 72 बार धड़कता है परन्तु कड़ी मेहनत के पश्चात् यह 1 मिनट में 180 बार भी धड़क सकता है।

● हृदय एक बार में लगभग 70 मिमी. रुधिर  पम्प करता है।

● हृदय की धड़कन दाहिने आंलिद में स्थित ऊतकों (Tissue) के समूह से शुरू होती है जिसे शिरा आंलिद नोड (Sin auricular node) या पेसमेकर (Pacemaker) भी कहते हैं।

● इलेक्ट्रोकार्डियाग्राफी द्वारा हृदय की धड़कन की जाँच की जाती है यह एक ग्राफीय विधि है जिसे ECG (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी) कहते हैं।

   रुधिर  दाब (Blood Pressure )

  रुधिर  वाहिकाओं की भिति के विरूद्ध लगा दाबा, रक्त दाब कहलाता है।

● प्रकुंचन (Systole) निलय के सिकुड़ने पर उसमें भरे रुधिर  को महाधमनी (Aorta) में पम्प करना वह रुधिर  का दाब, प्रकुंचन दाब कहलाता है।

● अनुशिथिलन (Diastole) निलय सकुंचन के पश्चात आलिंद से रुधिर  प्राप्त करते समय रुधिर  का दाब, अनुशिथियन दाब कहलाता है।

● सामान्य मनुष्य के शरीर मं प्रकुंचन दाब 120 mm तथा अनुशिथिलन दाब लगभग 80 mm होता है।

लसीका तंत्र [Lymph System ]

● इस तंत्र में लसीका द्रव अन्तर कोशिकीय स्थलों में परिसंचरण करता है।

● शरीर में लसीका कोशकाएँ व दो बड़ी लसीकाएँ पाई जाती है।

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अंतिम शब्द

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