सिविल सर्विस परीक्षा एवं अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं में World geography notes in hindi से संबंधित अनेक प्रश्न पूछे जाते हैं ऐसे में अगर आप टॉपिक अनुसार नोट्स पढ़ते हैं तो आप इस विषय को मजबूत कर सकते हैं इसलिए हम आपको इस पोस्ट में World geography ( विश्व का भूगोल ) Notes Pdf in hindi – जलमंडल नोट्स के बारे में संपूर्ण नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं
विश्व का भूगोल जब भी आप पढ़ेंगे तो जलमंडल के बारे में शार्ट नोट्स आप यहां से पढ़ सकते हैं हमने एक ही पीडीएफ में इन नोट्स को कवर किया है जिसे आप डाउनलोड भी कर सकते हैं
World geography ( विश्व का भूगोल ) Notes Pdf in hindi – जलमंडल नोट्स
सागरीय उच्चावच –
पृथ्वी पर जल व थल का असमान वितरण है। स्थल की भाँति जलमण्डल में भी उच्चावच विद्यमान है। सागरों की औसत गहराई 3800 मीटर है। स्थलीय उच्च भाग की औसत ऊँचाई 480 मी. है। इस उच्चावच को कई वर्गों में विभाजित किया जाता है।
1. महाद्वीपीय मग्नतट
2. महाद्वीपीय मग्नढाल
3. गंभीर सागरीय मैदान
4. महासागरीय गर्त
महाद्वीपीय मग्नतट –
महाद्वीपों के किनारे मन्द ढाल वाले भू-भाग जो जल से प्लावित रहता है तथा जिस पर जल की औसत गहराई 100 फैदम होती है। मग्न तट की चौड़ाई में विभिन्नता है। इसका निर्माण सागरीय तरंगों की अपरदनात्मक एवं निक्षेपात्मक प्रक्रिया द्वारा तटीय क्षेत्रों के धँसाव के कारण होती है। सागरों के कुल क्षेत्रफल का 7.5 प्रतिशत भाग मग्न तट है।
महाद्वीपीय ढाल –
महाद्वीपीय मग्नतट के छोर पर ढाल कुछ तीव्र हो जाता है। यह ढाल 2 से 5 डिग्री तक होता है। यह तीव्र ढाल, जो समुद्री जलस्तर से लगभग 3,660 मी. की गहराई तक जाती है, महाद्वीपीय ढाल कहा जाता है। यह महाद्वीपीय ढाल मग्नतट तथा महासागरीय नितल के बीच की कड़ी है।
ये महाद्वीपीय ढाल पाँच प्रकार के होते हैं।
1. अधिक तीव्र ढाल, जिनके धरातल केनियन के रूप में कटे होते हैं।
2. मन ढाल, जिस पर लम्बी-लम्बी पहाड़ियाँ तथा बेसिनें होती हैं।
3. भ्रंशित ढाल।
4. सीढ़ी नुमा ढाल।
5. समुद्री पर्वतीय ढाल।
नितल मैदान या गहरे सागरीय मैदान –
महाद्वीपीय उत्थान के बाद महासागर का गहरा तल होता है जिसे नितल मैदान कहते हैं। इसकी गहराई 3000 से 6000 मीटर तक होती है। ये महासागरीय क्षेत्र के लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्र में विस्तृत हैं। ये सभी महासागरों में तथा कुछ समुद्रों में भी पाये जाते हैं। ये लगभग समतल होते हैं।
महासागरीय गर्त –
ये गर्त सागरों के सबसे गहरे भाग होते हैं जिनका तल महासागरों के औसत नितल से काफी गहरा होता है। महासागरीय नितल पर स्थित तीव्रढाल वाले पतले और गहरे अवनमन को खाई या गर्त कहते हैं। ये गर्त सामान्यत: 5,520 मीटर-गहरे होते हैं और महासागरों के नितल के छोर पर स्थित होते हैं। प्रशांत महासागर की खाइयों में गुआम द्वीप माला के समीप मेरिआना गर्त सबसे गहरा गर्त है। इसकी औसत गहराई लगभग 11 किमी है।
महासागरीय जल में लवणता –
महासागरीय के जल के कुल नमक की मात्रा का योग सागरीय जल का खारापन कहलाता है। महासागरों में नमक की मात्रा उन सभी घुले हुए पदार्थों से प्राप्त होती है। नदियों द्वारा लवण के कण निरन्तर पहुँच रहे हैं7 जल तो वाष्पीकरण की क्रिया द्वारा जलवाष्प बनकर पुन: वर्षा के रूप में पृथ्वी पर आ जाता है। लवण की मात्रा सागर में रह जाती है।
सागरों में लवण की मात्रा तथा संरचना –
1884 में डिटमार के चैलेन्जर अन्वेषण अभियान द्वारा महासागरों में 47 प्रकार के लवणों का पता लगाया गया है। जिनमें से 7 मुख्य लवण निम्नलिखित है।
नमक | कुल लवणों का प्रतिशत |
सोडियम क्लोराइड | 77.8 |
मैग्नीशियम क्लोराइड | 10.9 |
मैग्नीशियम ब्रोमाइड | 4.7 |
मैग्नीशियम सल्फेट | 3.6 |
पोटेशियम सल्फेट | 2.5 |
कैल्सियम सल्फेट | 0.3 |
कैल्सियम कार्बोनेट | 0.2 |
कुल लवण मात्रा | 100.0 |
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अंतिम शब्द –
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