Rajasthan ka itihas in hindi एक ऐसा विषय है जो अगर आप RAS, RAJASTHAN POLICE, S.I. LDC, HIGH COURT एवं अन्य परीक्षा की तैयारी करेंगे तो आपको पढ़ने को मिलेगा इसलिए इस पोस्ट में हम आपको Rajasthan history ( राजस्थान का इतिहास ) notes pdf : किसान आंदोलन एवं प्रमुख कारण बिल्कुल सरल एवं आसान भाषा में उपलब्ध करवा रहे हैं
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Rajasthan history ( राजस्थान का इतिहास ) notes pdf : किसान आंदोलन एवं प्रमुख कारण
♦ किसान आंदोलन के प्रमुख कारण :-
1. लगान – भूमि पर वसूला गया कर या राजस्व
- लगान की प्रमुख विधियाँ – लाठा पद्धति, खेत बँटाई, लंक बँटाई, रास बँटाई, कुंता, ईजारा, मुकाता और गोन्ती बीज/बीज बराड़।
2. लाग-बाग – रियासत काल में कई प्रकार की लाग-बाग कर लगती थी।
- लाग-बाग की प्रमुख विधियाँ – सेंगटी, खिचड़ी, कांसा, चूड़ा, कुँवर घोड़ा, अखैराई, चंवरी कर।
3. बैठ–बेगार – बिना मेहनताना कृषकों से कार्य करवाना।
- प्रमुख बैठ–बेगार – कमठा बेगार, हलकर, लांगाकर, राली कर।
4. राजाओं द्वारा ठिकानेदार या जागीरदार से वसूले जाने वाले कर का भार ठिकानेदारों द्वारा सीधा जनता पर डाल देना।
- उदाहरण – चाकरी, छुटन्द, न्योत बराड़।
5. 19-20 वीं सदी में राजाओं का प्रभाव कम होने के कारण ठिकानेदारों द्वारा किसानों के खिलाफ दमनकारी नीति का प्रयोग करना।
♦ मेवाड़ जाट किसान आंदोलन :-
- महाराणा फतेहसिंह के शासनकाल में 22 जून, 1880 को चित्तौड़ के रश्मि परगना में मातृकुण्डिया में आंदोलन हुआ।
- कारण – जाट किसानों ने नई भू-राजस्व व्यवस्था के विरुद्ध प्रदर्शन किया।
♦ बिजौलिया किसान आंदोलन :- (1897-1941)
- बिजौलिया का प्राचीन नाम – विजयावल्ली/विन्धयावल्ली
- ऊपरमाल – बिजौलिया व भैंसरोड़गढ़ का मध्य भाग
- भारत का सर्वाधिक अवधि (44 वर्ष) तक चलने वाला तथा पूर्णत: अहिंसक किसान आंदोलन।
- मेवाड़ महाराणा – फतेहसिंह
आन्दोलन के प्रमुख चरण
♦ प्रथम चरण (1894-1915) :-
- नेतृत्व – स्थानीय लोगों द्वारा
- 1894 में राव गोविन्ददास की मृत्यु के बाद राव किशनसिंह/कृष्ण सिंह नया जागीरदार बना।
- कृष्णसिंह के समय किसानों से 84 प्रकार की लागें ली जाती थी।
- किसानों की सभा –1897, गिरधारीपुरा गाँव में किसानों ने महाराणा को अपनी समस्या से अवगत करवाने के लिए ‘नानजी पटेल‘ व ‘ठाकरी पटेल‘ को चुना।
- कृष्ण सिंह ने नानजी पटेल व ठाकरी पटेल को बिजौलिया से निष्कासित कर दिया।
- इन शिकायतों की जाँच के लिए महाराणा ने ‘हामिद हुसैन‘ नामक अधिकारी को भेजा।
- हामिद हुसैन ने शिकायतों को सही बताया मगर महाराणा ने कोई कार्यवाही नहीं की।
- चँवरी कर – कृष्ण सिंह ने 1903 में ‘5 रु का कर ‘ लगाया। विरोधस्वरूप वर्ष 1903-04 में किसान विवाह व खेती को बंद कर ग्वालियर की तरफ कूच कर गए।
- वर्ष 1904 में कृष्णसिंह व किसानों के मध्य समझौता हुआ। चँवरी कर समाप्त और लगान भी 1/2 से घटाकर 2/5 कर दिया।
- वर्ष 1906 में कृष्णसिंह की निस्संतान मृत्यु। भरतपुर के पृथ्वीसिंह ठिकानेदार बने।
- ‘तलवार बंधाई कर‘ – वर्ष 1906 में पृथ्वीसिंह ने लगाया।
- तलवार बन्धाई कर का विरोध – किसानों द्वारा
- नेतृत्वकर्ता – साधु सीताराम दास, फतेहकरण चारण और ब्रह्मदेव
- वर्ष 1914 में केसरीसिंह नए ठिकानेदार बने।
- केसरीसिंह अवयस्क होने के कारण अमरसिंह राणावत को मुंसरिफ व डूँगरसिंह भाटी को उप मुंसरिफ नियुक्त किया गया।
- सीताराम दास के आग्रह पर 1915 में विजयसिंह पथिक आंदोलन से जुड़े।
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अंतिम शब्द –
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