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इस पोस्ट में हम पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में पढ़ेंगे यह विश्व का भूगोल का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जहां से अक्सर पेपर में प्रश्न देखने को मिलते हैं पृथ्वी की बाहरी एवं आंतरिक संरचना दोनों के बारे में ही हम पढ़ेंगे लेकिन सबसे पहले आप आंतरिक संरचना से संबंधित इन नोट्स को जरूर पढ़ें | अगर इस टॉपिक के लिए यह नोट्स पढ़ लेते हैं तो निश्चित ही यह टॉपिक आपको अच्छे से क्लियर हो जाएगा

नीचे हमने नोट्स हिंदी भाषा में उपलब्ध करवाए हैं एवं साथ ही आप इन्हें पीडीएफ प्रारूप में डाउनलोड कर सकते हैं जो हिंदी भाषा में प्रकाशित है

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विश्व का भूगोल : पृथ्वी की आंतरिक संरचना

पृथ्वी की बाह्य स्थलाकृतियाँ उसकी आंतरिक संरचना से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना का अध्ययन, ‘भूगर्भशास्त्र’ का विषय है।

· पृथ्वी की त्रिज्या 6370 Km है।

· पृथ्वी की आंतरिक संरचना सम्बन्ध स्रोत

अप्राकृतिक स्रोत

 1. घनत्व –

·  सम्पूर्ण पृथ्वी का औसत घनत्व 5.51 g/cm­3 है।

·  भू पर्पटी (crust) का घनत्व लगभग 3.0 g/cm3 है।

·  पृथ्वी के आंतरिक भाग क्रोड (core) का घनत्व 11g/cm3, जो सर्वाधिक है।

 2. दबाव

·  पृथ्वी के आंतरिक भाग का दबाव बढ़ने से घनत्व भी बढ़ता है।

 3. तापक्रम

·  प्रत्येक 32 मीटर की गहराई पर तापमान में 1ᵒC की वृद्धि होती है। परन्तु बढ़ती गहराई के साथ तापमान की वृद्धि दर में भी गिरावट आती है।

प्राकृतिक स्रोत

 1. ज्वालामुखी क्रिया – ज्वालामुखी उद्‌गार से निकलने वाले तप्त व तरल मैग्मा के आधार पर पृथ्वी की आंतरिक संरचना का पता चलता है।

 2. भूकम्प विज्ञान के साक्ष्य – भूकम्पीय लहरों का ‘सिस्मोग्राफ यंत्र’ से अंकन करते हैं। जिससे पृथ्वी की आंतरिक संरचना का पता चलता है।

 3. उल्का पिण्डों से प्राप्त साक्ष्य – उल्का पिण्ड वे ठोस संरचनाएँ है, जो स्वतंत्र रूप से अंतरिक्ष में तैर रही है ये उल्का पिण्ड पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव क्षेत्र में आने पर ये पृथ्वी से टकरा जाते हैं।

पृथ्वी की विभिन्न परतें – पृथ्वी के आंतरिक भाग को तीन वृहद् मण्डलों में विभक्त किया गया है–

भू-पर्पटी (Crust)

· यह ठोस पृथ्वी का सबसे बाहरी भाग है।

· महासागरों के नीचे इसकी औसत मोटाई 5 कि.मी. है, जबकि महाद्वीपों के नीचे यह 30 किमी तक है।

· भूकम्पीय लहरों की गति में अन्तर के आधार पर भू-पर्पटी को दो उपविभागों में बाँटा गया है – ऊपरी क्रस्ट व निचली क्रस्ट।

· ऊपरी क्रस्ट एवं निचले क्रस्ट के बीच घनत्व सम्बन्धी यह असंबद्धता, “कोनराड असंबद्धता” कहलाती है।

· भू-पर्पटी का निर्माण ‘सिलिका’ और ‘एल्युमिनियम’ पदार्थों से होने के कारण इसे “सियाल” परत भी कहा जाता है।

· इस परत का घनत्व 2.7 g/cm3 – 3.0  g/cm3 है।

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अंतिम शब्द

उम्मीद करते हैं पृथ्वी की आंतरिक संरचना से संबंधित नोट्स को पढ़ने के बाद आपको यह टॉपिक अच्छे से क्लियर हो जाएगा अगर आप अपनी तैयारी ऐसे ही शानदार नोट्स के साथ निरंतर करना चाहते हैं तो हम आपके लिए इस वेबसाइट पर बिल्कुल फ्री नोट्स उपलब्ध करवाते हैं