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जब भी आप विश्व का भूगोल विषय पढ़ाते हैं तो उसमें हमें चट्टानों के बारे में एक टॉपिक पढ़ने के लिए मिलता है आज हम आपको किताबों से परे शानदार तरीके से तैयार किए गए नोट्स लेकर आए हैं ताकि आप अपनी तैयारी इन नोट्स को पढ़कर कम समय में बहुत अच्छे से कर सके इसमें आपको चट्टानों का वर्गीकरण के बारे में पढ़ने के लिए मिलेगा

साथ ही अगर आप इन्हें पीडीएफ प्रारूप में डाउनलोड करना या प्रिंट निकलवाना चाहते हैं तो पीडीएफ डाउनलोड करने का लिंक हमने नीचे उपलब्ध करवा दिया है

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पृथ्वी की चट्‌टानें

● पृथ्वी के क्रस्ट (भू-पर्पटी) में मिलने वाले सभी प्रकार के मुलायम व कठोर पदार्थ को चट्‌टान कहते हैं।

● पृथ्वी के क्रस्ट में 98 प्रतिशत से भी अधिक भाग की संरचना में मात्र 8 प्रमुख चट्‌टान निर्माणकारी तत्त्वों का ही योगदान है जिनमें ऑक्सीजन, सिलिकॉन, एल्युमिनियम, लोहा, कैल्सियम, सोडियम, पोटैशियम एवं मैग्नीशियम

चट्‌टानों का वर्गीकरण

  निर्माण विधि के अनुसार चट्‌टानों के तीन वर्ग किए जा सकते हैं–

●  आग्नेय चट्‌टान को ‘प्राथमिक चट्‌टान’ भी कहते हैं।

●  पृथ्वी की उत्पत्ति के पश्चात् सर्वप्रथम आग्नेय चट्‌टान का निर्माण हुआ था।

●  अवसादी चट्‌टान व रूपान्तरित चट्‌टान इसी से निर्मित है।

●  आग्नेय चट्‌टान में जीवाश्म का अभाव पाया जाता है।

●  क्रस्ट का लगभग 90 प्रतिशत भाग आग्नेय चट्टानों से बना है।

आग्नेय चट्‌टान दो प्रकार की होती है –

1. अन्तर्जात आग्नेय चट्‌टान – जब ज्वालामुखी उद्‌गार के समय मैग्मा धरातल के ऊपर न पहुँचकर धरातल के नीचे ही ठण्डा होकर ठोस रूप धारण कर लेता है तो इस प्रकार ‘आंतरिक आग्नेय चट्‌टान’ का निर्माण होता है। इसके दो उपवर्ग हैं–

A. पातालीय अन्तर्जात आग्नेय चट्‌टान – इस चट्‌टान का निर्माण पृथ्वी के अंदर काफी अधिक गहराई पर होता है। ग्रेनाइट चट्‌टान इसी चट्‌टान का उदाहरण है।

B. मध्यवर्ती अन्तर्जात आग्नेय चट्‌टानें – ज्वालामुखी उद्‌गार के समय धरातलीय अवरोध के कारण मैग्मा दरारों, छिद्रों, एवं नली में ही जमकर ठोस रूप धारण कर लेता है। इसके मुख्य रूप – लैकोलिथ, फैकोलिथ, लोपोलिथ, बेथोलिथ, सिल डाइक है।

2. बाह्य आग्नेय चट्‌टान – जब तरल एवं तप्त मैग्मा या लावा पदार्थ भू-पर्पटी के ऊपर आ जाता है तो तेजी से ठण्डा होकर ठोस रूप धारण कर लेता है तो इस प्रकार बाह्य आग्नेय चट्‌टान का निर्माण होता है इस चट्‌टान को “ज्वालामुखी चट्‌टान” भी कहा जाता है। इस चट्‌टान के क्षरण से ही काली मिट्‌टी (रेगुर) का निर्माण होता है।  

●  पृथ्वी तल पर आग्नेय व रूपान्तरित चट्‌टानों के अपरदन व निक्षेपण के फलस्वरूप निर्मित चट्‌टानों को “अवसादी चट्‌टानें” कहते हैं।

●  अवसादी चट्‌टानों में जीवाश्म अत्यधिक मात्रा में पाए जाते हैं। 

●  इन चट्‌टानों में प्राकृतिक गैस, कोयला, खनिज तेल के भण्डार पाए जाने की सबसे अधिक सम्भावना है।

●  जब ताप एवं दबाब के कारण आग्नेय तथा अवसादी चट्‌टानों के संगठन तथा स्वरूप में परिवर्तन या रूपान्तरण हो जाता है तब रूपान्तरित चट्‌टानों का निर्माण होता है।  

●  रूपान्तरित चट्टानें सर्वाधिक कठोर एवं जीवाश्म रहित होती है। 

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अंतिम शब्द

उम्मीद करते हैं चट्टानों का वर्गीकरण से संबंधित नोट्स को पढ़ने के बाद आपको यह टॉपिक अच्छे से क्लियर हो जाएगा अगर आप अपनी तैयारी ऐसे ही शानदार नोट्स के साथ निरंतर करना चाहते हैं तो हम आपके लिए इस वेबसाइट पर बिल्कुल फ्री नोट्स उपलब्ध करवाते हैं