Rajasthan ka itihas एक ऐसा विषय है जो अगर आप RAS, RAJASTHAN POLICE, S.I. LDC, HIGH COURT एवं अन्य परीक्षा की तैयारी करेंगे तो आपको पढ़ने को मिलेगा इसलिए इस पोस्ट में हम आपको Rajasthan history notes pdf : राजस्थान में 1857 की क्रांति बिल्कुल सरल एवं आसान भाषा में उपलब्ध करवा रहे हैं
जब भी आप राजस्थान में 1857 की क्रांति के बारे में पढ़ेंगे तो इन नोट्स को आप एक बार जरूर पढ़ें क्योंकि ऐसे शार्ट नोट्स आपको फ्री में और कहीं नहीं देखने को मिलेंगे आप इसे पीडीएफ के रूप में भी डाउनलोड कर सकते हैं
Rajasthan history notes pdf : राजस्थान में 1857 की क्रांति
- 10 मई, 1857 को मेरठ की छावनी में विद्रोह से देश में क्रांति की शुरुआत हुई।
- राजस्थान में क्रांति का आरम्भ – 28 मई, 1857 को नसीराबाद छावनी में गुरुवार के दिन दोपहर 3 बजे ।
● राजस्थान में क्रांति के कारण :-
- पॉलिटिकल एजेण्ट द्वारा राज्य प्रशासन व आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप करना।
- अंग्रेजी सरकार की आर्थिक नीतियाँ।
- सामन्तों ने अपनी महत्त्वहीन स्थिति के लिए अंग्रेजी सरकार को जिम्मेदार माना।
- अफीम पर एकाधिकार एवं अंग्रेजी माल के प्रचार ने आम जन की स्थिति खराब कर दी।
- ब्रिटिश सत्ता के सामाजिक सुधारों ने जनता को सरकार के प्रति शंकालु बना दिया।
- ईसाई मिशनरियों के कार्य को जनता ने अपने धर्म के लिए खतरा माना।
- अंग्रेजी संरक्षण के कारण शासक गैर-जिम्मेदार व निरंकुश हो गए।
- साहित्य ने भी जनता में अंग्रेज विरोधी वातावरण बनाने में अहम् भूमिका निभाई।
- तत्कालीन कारणों में नई एनफील्ड राइफल्स व आटे में हड्डियों का चूरा मिलाना प्रमुख थे।
● नसीराबाद में विद्रोह :-
- विद्रोह – 28 मई, 1857 को दोपहर 3 बजे
- राजस्थान में क्रांति का श्रीगणेश यहीं से हुआ
- 15 वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के सैनिकों को मेरठ विद्रोह की सू्चना मिलने पर नसीराबाद भेज दिया।
- अजमेर की सुरक्षा के लिए मेर रेजीमेन्ट व डीसा से अंग्रेजी सेना बुलाई गई।
- विद्रोह – 28 मई, 1857 को 15 वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के सैनिकों द्वारा
- मेजर स्पोटिसवुड और कर्नल न्यू बारी की हत्या कर दी।
- लेफ्टिनेंट लॉक तथा कप्तान हार्डी घायल हो गए
- अंग्रेज अधिकारियों ने ब्यावर में शरण ली।
- यहाँ से सैनिकों ने दिल्ली के लिए कूच किया।
- मारवाड़ व मेवाड़ की सेना ने अंग्रेज अधिकारियों के नेतृत्व में विद्रोही सैनिकों का पीछा किया।
- 18 जून, 1857 को विद्रोही सैनिक दिल्ली पहुँचे और अंग्रेजी सेना को परास्त किया।
● नीमच का विद्रोह:-
- विद्रोह – 3 जून, 1857 को रात्रि 11 बजे
- नीमच छावनी, मेजर शावर्स के नियंत्रण में थी।
- कर्नल एबॉट ने सैनिकों को धर्म ग्रंथ देकर कम्पनी के प्रति निष्ठावान बने रहने की शपथ दिलवाई
- तब मोहम्मद अली बेग ने अवध के सन्दर्भ में कहा कि “जब अंग्रेज अपनी शपथ भंग कर सकते हैं, तो वे उनसे यह अपेक्षा क्यों करते हैं कि भारतीय अपनी शपथ का पालन करेंगे।”
- एक अंग्रेज सार्जेन्ट की पत्नी व बच्चों की हत्या कर दी व छावनी को लूटा।
- चित्तौड़गढ़, हम्मीरगढ़, बनेड़ा व शाहपुरा होते हुए देवली पहुँचे और छावनी को लूटा।
- देवली में महीदपुर की सैनिक टुकड़ी भी इनके साथ मिल गई।
- जोधपुर की सेना ने कैप्टन हार्डकेसल और मेवाड़ सेना में कैप्टन शावर्स के नेतृत्व में देवली की ओर गए विद्रोही सैनिकों का पीछा किया।
- शाहपुरा के ठिकानेदार ने मेवाड़ी सेना की रसद की सहायता नहीं की।
- विद्रोही सैनिकों के देवली से टोंक पहुँचने पर टोंक के सैनिक भी इनसे मिल गए।
- टोंक से सभी सैनिकों ने दिल्ली कूच किया।
- कैप्टन शावर्स ने कोटा, बूँदी और मेवाड़ की सेना की सहायता से 6 जून को नीमच छावनी पर पुन: अधिकार कर लिया।
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