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भारतीय इतिहास एक ऐसा विषय है जो लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है अगर आप यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो हम आपके लिए Ncert Class 11 History Book Notes उपलब्ध करवा रहे हैं यह नोट्स कक्षा 6 से 12 पर आधारित है इसलिए इस पोस्ट में हमने आपके लिए NCERT Indian History Notes Pdf ( 5 ) : स्वाधीनता आंदोलन के नोट्स नीचे उपलब्ध करवा दिए हैं

उम्मीद करता हूं इन नोट्स को पढ़कर आपका freedom movement टॉपिक अच्छे से क्लियर हो जाएगा क्योंकि हम आपके लिए बेहतरीन से बेहतरीन नोट्स उपलब्ध करवाने की कोशिश करते हैं

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NCERT Indian History Notes Pdf ( 5 ) : स्वाधीनता आंदोलन

बंगाल विभाजन

¨ 19 जुलाई, 1905 – बंगाल विभाजन की घोषणा।

¨ 7 अगस्त, 1905 – कलकत्ता के टाउन हॉल में स्वदेशी आन्दोलन की घोषणा व बहिष्कार प्रस्ताव पारित।

¨ 16 अक्टूबर, 1905 – बंगाल विभाजन प्रभावी। इसे ‘शोक दिवस’ के रूप में मनाया गया।

1906 का कलकत्ता अधिवेशन

¨गरमपंथी तिलक को अध्यक्ष बनाना चाहते थे परन्तु नरमपंथियों ने दादाभाई नौरोजी को लन्दन से बुलाकर अध्यक्ष बना दिया।

¨ इस सम्मेलन में चार प्रस्ताव पारित किए गए ̵

1. स्वराज

2. स्वदेशी

3. विदेशी बहिष्कार

4. राष्ट्रीय शिक्षा

1907 का कांग्रेसका सूरत अधिवेशन

¨ यह सम्मेलन पहले नागपुर में होना था परन्तु तिलक अध्यक्ष न बन पाए इसलिए इसे सूरत स्थानान्तरित किया गया।

¨ गरमपंथी लाला लाजपतराय को अध्यक्ष बनाना चाहते थे परन्तु नरमपंथियों ने रासबिहारीघोष को अध्यक्ष बनवा दिया।

1911 का दिल्ली दरबार

¨ सम्राट जॉर्ज पंचम व उसकी रानी मैरी भारत आए।

¨ उस समय गवर्नर जनरल लॉर्ड हॉर्डिंग II थे।

¨ इनके स्वागत में गेटवेऑफइण्डिया बनाया गया।

¨ दो महत्त्वपूर्ण घोषणाएँ ̵

 1. बंगाल विभाजन रद्द किया गया।

 2. राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानान्तरण।

1916 का कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन

¨ अध्यक्ष – अम्बिका चरण मजूमदार

¨ तिलक व एनी बेसेन्ट के प्रयासों से कांग्रेस के नरमदलगरमदलमेंसमझौता तथा विलय हुआ।

होमरूल आन्दोलन

¨ यह आन्दोलन आयरलैण्ड से प्रेरित था।

¨ तिलक ने 28 अप्रैल, 1916 को ‘बेलगाँव’ में होमरूल लीग की स्थापना की।

¨ ‘स्वराज’, ‘स्वदेश’ और ‘बहिष्कार’ का नारा सर्वप्रथम तिलक ने दिया। तिलक ने 1893 ई. में गणपति महोत्सव, 1896 ई. में शिवाजी महोत्सव की शुरुआत की।

¨ एनी बेसेन्ट ने सितम्बर, 1916 में अड्यार (मद्रास) में होमरूल लीग की स्थापना की।

चम्पारण आन्दोलन – 1917

¨राजकुमारशुक्लकेकहनेपरगाँधीजीचम्पारणगएतिनकठियाप्रथा के विरुद्ध सत्याग्रह प्रारम्भ किया।

¨ तिनकठिया प्रथा – किसानों को 3/20 भूमि पर नीलकीखेती करना अनिवार्य था।

¨ आन्दोलन की सफलता पर टैगोर ने गाँधीजी को ‘महात्मा’ की उपाधि दी।

अहमदाबाद मिल-मजदूर आन्दोलन – 1918 ई.

¨ मिल-मजदूरों व मालिकों में ‘प्लेग-बोनस’ को लेकर विवाद छिड़ा।

¨ मार्च, 1918 को गाँधीजी आमरण-अनशन पर बैठे।

¨ मिल – मालिक अम्बालालसाराभाई गाँधीजी के दोस्त थे तथा इनकी बहन ‘अनुसूइया बेन’ गाँधीजी की सहयोगी थी।

¨ अंत में मजदूरों को 35% बोनस दिया गया।

खेड़ा किसान आन्दोलन – 1918 ई.

¨ गाँधीजी को गुजरात किसान सभा का अध्यक्ष बनाया गया।

¨ गाँधीजी ने अकाल के कारण खराब फसल पर भू-राजस्व के खिलाफ आन्दोलन चलाया।

रॉलेट कानून के विरुद्ध सत्याग्रह आन्दोलन (1919 ई.)

¨ रॉलेट एक्ट – सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में ‘सेडिशन समिति’ का गठन हुआ।

¨ बिना अपील, बिना वकील, बिना दलील का कानून रॉलेट एक्ट को भारतीयों ने ‘काला-कानून’ की संज्ञा दी है।

¨ गाँधीजी ने इसके विरोध में बॉम्बे में ‘सत्याग्रह सभा’ की स्थापना की (फरवरी, 1919)।

¨ 6 अप्रैल, 1919 को अखिलभारतीयहड़ताल (प्रथम हड़ताल) का आयोजन किया गया।

जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड

¨ पंजाब में रॉलेट एक्ट का विरोध करने वाले दो स्थानीय कांग्रेसी नेताओं डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू को 9 अप्रैल, 1919 को गिरफ्तार किया गया, जिसके विरोध में 10 अप्रैल को रैली निकाली गई जिस पर गोलीबारी में कुछ आंदोलनकारी मारे गए।

¨ 13 अप्रैल, 1919 को बैशाखी के दिन इस गिरफ्तारी व गोलीबारी के विरोध में अमृतसर के जलियाँवाला बाग में एक सार्वजनिक सभा बुलाई गई।

¨ हत्याकाण्ड के विरोध में टैगोर ने ‘सर’ की उपाधि त्याग दी तथा शंकरननायर ने गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद् से इस्तीफा दे दिया।

¨ हत्याकाण्ड की जाँच के लिए 8 सदस्यीय हण्टरकमेटी का गठन किया गया, जिसमें 3 भारतीय सदस्य (सर चिमन लाल सीतलवाड़, साहबजादा सुल्तान अहमद, जगत नारायण)

¨ हण्टर कमेटी ने डायर को निर्दोष करार दिया।

खिलाफत आन्दोलन (1919 – 1920)

¨ प्रथम विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन व तुर्की के बीच सम्पन्न ‘सेव्रेस की सन्धि’ द्वारा तुर्की के सुल्तान (खलीफा) के अधिकार छिन गए व तुर्की साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो गया।

¨ सितम्बर, 1919 में “अखिलभारतीयखिलाफतकमेटी” का गठन किया गया।

¨ “खिलाफत दिवस” मनाने का निर्णय लिया गया (17 अक्टूबर, 1919)

असहयोग आन्दोलन

¨ सितम्बर, 1920 के कलकत्ता के विशेष अधिवेशन में गाँधीजी ने असहयोगकाप्रस्ताव पेश किया।

¨ असहयोग आन्दोलन के प्रस्ताव के लेखक स्वयं महात्मा गाँधी थे।

¨ चितरंजनदास ने असहयोग आन्दोलन के प्रस्ताव का विरोधकिया था।

¨ आन्दोलन चलाने के लिए ‘तिलक स्वराज फंड’ की स्थापना की गई।

(1 अगस्त, 1920 को तिलक की मृत्यु हो गई थी।)

¨ इसी दिन असहयोगआन्दोलनप्रारम्भ हो गया था।

असहयोग सम्बन्धी प्रस्ताव की मुख्य बातें निम्नलिखित थी-

1. सरकारी उपाधि व अवैतनिक सरकारी पदों को छोड़ दिया जाए।

2. सरकार द्वारा आयोजित सरकारी व अर्द्धसरकारी उत्सवों का बहिष्कार किया जाए।

¨ गाँधीजी ने 12 फरवरी, 1922 को बारदोली से हुई बैठक में असहयोग आन्दोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया।

¨ चौरी-चौरा कांड की जानकारी गाँधीजी को दशरथ प्रसाद द्विवेदी ने दी थी।

¨ चौरी-चौरा काण्ड की जानकारी सर्वप्रथम “वेनगार्ड” नामक अखबार में छपी थी।

1929 का लाहौर अधिवेशन

¨ अध्यक्ष- जवाहर लाल नेहरू

¨ इसमें पूर्ण स्वराज को कांग्रेस का उद्देश्य घोषित किया गया।

¨ 31 दिसम्बर, 1929 को स्वाधीनता का नया-नया स्वीकृत तिरंगा झंडा लहराया गया।

¨ 26 जनवरी, 1930 को “प्रथम स्वाधीनता दिवस” घोषित किया गया।

गाँधीजी का 11 सूत्री माँग पत्र

¨ जिन्ना ने मार्च, 1929 चौदह सूत्री माँगें प्रस्तुत की।

¨ 31 जनवरी, 1930 गाँधीजी ने इरविन (गवर्नर जनरल) व रैम्जे मैकडोनाल्ड के सामने 11 सूत्री प्रस्ताव रखा–

– नमक कर समाप्त किया जाए।

– गुप्तचर विभाग को समाप्त किया जाए।

– सैनिक व्यय में 50 % की कमी हो।

– राजनैतिक बन्दियों को रिहा किया जाए।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन

¨ 12 मार्च, 1930 को गाँधीजी ने साबरमती आश्रम से अपने 78 अनुयायियों के साथ (इनमें वेब मिलर भी था) 24 दिन में 240 मील दूर दांडी की ओर प्रस्थान किया।

¨ 6 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुँचकर नमक कानून तोड़ा।

¨ सुभाष चन्द्र बोस ने दाण्डी मार्च की तुलना नेपोलियन के ‘पेरिस मार्च’ व मुसोलिनी के ‘रोम मार्च’ से की। राजगोपालाचारी ने ‘त्रिचलापल्ली से वेदारण्यम’ तक की यात्रा की।

गाँधी-इरविन समझौता (5 मार्च, 1931)

¨ इसे दिल्ली समझौता भी कहा जाता है।

¨ तेज बहादुर सप्रू व जयकर ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई।

¨ 17 फरवरी से वार्ता प्रारम्भ हुई तथा 5 मार्च को हस्ताक्षर हुए।

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