[ NCERT ] Indian Geography Notes – प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्यजीव

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अगर आप IAS बनने का सपना देख चुके हैं और तैयारी में जुट गए हैं तो सबसे पहले आपको NCERT कक्षा 6 से 12 पढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें आपका बेसिक अच्छे से क्लियर हो जाता है और इसलिए इस पोस्ट में हम आपको भारतीय भूगोल के एक महत्वपूर्ण टॉपिक [ NCERT ] Indian Geography Notes – प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्यजीव की संपूर्ण जानकारी आपको शार्ट तरीके से आसान भाषा में उपलब्ध करवा रहे हैं

 जब भी आप Ncert पढ़ेंगे तो उसमें आपको प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्यजीव के बारे में पढ़ने को मिलेगा उसी से संबंधित हम आपको नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं साथ ही आप इसे PDF के रूप में निशुल्क डाउनलोड भी कर सकते हैं

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[ NCERT ] Indian Geography Notes – प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्यजीव

परिभाषा

·  प्राकृतिक वनस्पति से अभिप्राय उस पौधे समुदाय से है जो लम्बे समय तक बिना किसी बाह्य हस्तक्षेप से होता है और इसकी विभिन्न प्रजातियाँ हैं।

·  वहाँ पाई जाने वाली मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों में स्वयं को ढाल लेती है।

·  भारत में 47,000 विभिन्न प्रजातियों के पौधे पाए जाने के कारण विश्व में 10वें स्थान पर और एशिया के देशों में चौथे स्थान पर है।

वनस्पतियों की विविधता के कारण

धरातलीय

 1. भू-भाग

 2. मृदा

जलवायवीय

 1. तापमान

 2. सूर्य का प्रकाश

 3. वर्षा

धरातलीय

1. भू-भाग

·  धरातल के स्वभाव का वनस्पति पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।

·  उपजाऊ भूमि पर कृषि की जाती है जबकि असमतल भू-भाग पर जंगल तथा घास के मैदान मिलते हैं, जिनमें वन्य प्राणियों को आश्रय मिलता है।

2. मृदा

·  अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग प्रकार की मृदा पाई जाती है जो विभिन्न प्रकार की वनस्पति का आधार है।

·  मरुस्थल के बलुई मृदा में कँटीली झाड़ियाँ, डेल्टा क्षेत्र में पर्णपाती वन और पर्वत की ढलानों में जहाँ मृदा की परत गहरी है, वहाँ शंकुधारी वन पाए जाते हैं।

जलवायवीय

1. तापमान

·  वनस्पति की विभिन्नता तथा विशेषताएँ, तापमान और वायु की नमी पर निर्भर करती है।

·  हिमालय पर्वत ढलानों तथा प्रायद्वीप की पहाड़ियों पर 915 मी. की ऊँचाई से ऊपर तापमान में गिरावट वनस्पति के पनपने और बढ़ने को प्रभावित करती है और उसके उष्ण कटिबंध से उपोष्ण, शीतोष्ण तथा अल्पाइन वनस्पतियों में परिवर्तित करती है।

वनस्पति खण्डऔसत वार्षिक तापमान (°से.)जनवरी में औसत तापमान (°से.)टिप्पणी
उष्ण24°से. से अधिक18°से. से अधिककोई पाला नहीं
उपोष्ण17°से. से 24°से.10°से. से 18°से.पाला कभी-कभी
शीतोष्ण7°से. से 17°से.-1°से. से -10°से.कभी पाला, कभी वर्षा
अल्पाइन7°से. से कम-1°से. से कमबर्फ

2. सूर्य का प्रकाश

·  किसी भी स्थान पर सूर्य के प्रकाश का समय उस स्थान के अक्षांश, समुद्र तल से ऊँचाई एवं ऋतु पर निर्भर करता है।

·  प्रकाश अधिक समय तक मिलने के कारण वृक्ष गर्मी की ऋतु में जल्दी बढ़ते हैं।

·  यही कारण है कि हिमालय की दक्षिण ढलानों पर उत्तरी ढलानों की अपेक्षा अधिक सघन वनस्पति मिलती है।

3. वर्षा

·  अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में कम वर्षा वाले क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक सघन वन पाए जाते हैं।

·  यही कारण है कि पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलानों पर पूर्वी ढलानों पर अधिक सघन वनस्पति पाई जाती है।

वनों का वर्गीकरण

प्रबंधन के आधार पर:-

1. आरक्षित वन

·  इन वनों को सर्वाधिक मूल्यवान माना जाता है।

·  देश में आधे से अधिक वनक्षेत्र आरक्षित वन घोषित किए गए हैं।

2. रक्षित वन

·  देश के कुल वन क्षेत्र का एक तिहाई हिस्सा रक्षित है।

·  इन वनों को और अधिक नष्ट होने से बचाने के लिए इनकी सुरक्षा की जाती है।

3. अवर्गीकृत वन

·  बंजर भूमि जो सरकार, व्यक्तियों और समुदाय के स्वामित्व में होते हैं, अवर्गीकृत वन कहे जाते हैं।

नोट:- आरक्षित और रक्षित वन ऐसे स्थायी वन क्षेत्र हैं जिनका रख-रखाव इमारती लकड़ी अन्य वन्य पदार्थों और उनके बचाव के लिए किया जाता है।

·  मध्य प्रदेश में स्थानी वनों के अंतर्गत सर्वाधिक (75%) क्षेत्र है।

·  जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, उत्तराखण्ड, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में एक बड़ा अनुपात है।

·  बिहार, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में रक्षित वनों का एक बड़ा अनुपात है।

·  पूर्वोत्तर के सभी राज्यों और गुजरात में अधिकतर वन क्षेत्र अवर्गीकृत है।

वनस्पति प्रकार तथा जलवायु परिस्थिति के आधार पर

1. उष्ण कटिबंधीय सदाबहार एवं अर्द्ध सदाबहार वन:-

(A) सदाबहार वन

·  ये वन उष्ण और आर्द्र प्रदेशों में पाए जाते हैं, जहाँ वार्षिक वर्षा 200 सेमी. से अधिक होती है और औसत वार्षिक तापमान 22° सेल्सियस से अधिक रहता है।

·  उष्ण कटिबंधीय वन सघन और परतों वाले होते हैं जहाँ भूमि के नजदीक झाड़ियाँ और बेलें होती है। इनके ऊपर छोटे कद वाले पेड़ और सबसे ऊपर लम्बे पेड़ होते हैं।

·  इन पेड़ों के पत्ते झड़ने, फूल आने और फल लगने का समय अलग-अलग है, इसलिए ये वर्ष भर हरे-भरे दिखाई देते हैं।

·  ये वन पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढाल पर, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की पहाड़ियों पर और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते हैं।

·  इसमें पाई जाने वाली मुख्य वृक्ष प्रजातियाँ रोजवुड, महोगनी, ऐनी और एवनी हैं।

·  इन वनों में पाए जाने वाले जानवर हाथी, बंदर, लैमूर और हरिण हैं। एक सींग वाले गेंडे असम और पश्चिम बंगाल के दलदली क्षेत्र में मिलते हैं।

(B) अर्द्ध-सदाबहार वन

·  यह अपेक्षाकृत कम वर्षा वाले भागों में पाए जाते हैं।

·  यह सदाबहार और आर्द्र पर्णपाती वनों के मिश्रित रूप है। इनमें मुख्य वृक्ष प्रजातियाँ साइडर, हॉलक और केल हैं।

2. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन

·  ये वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहाँ वर्षा 70 से 200 सेमी. होती है।

·  इन्हें मानसून वन भी कहा जाता है।

·  ये भारत में सबसे बड़े क्षेत्र में फैले हुए वन हैं।

·  इस प्रकार के वनों में वृक्ष शुष्क ग्रीष्म ऋतु में 6 से 8 सप्ताह के लिए अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं।

·  जल की उपलब्धि के आधार पर इन वनों को आर्द्र तथा शुष्क पर्णपाती वनों में विभाजित किया जाता है।

(A) आर्द्र या नम पर्णपाती वन

·  ये वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहाँ 100 सेमी. से 200 सेमी. तक वर्षा होती है। अत: ऐसे वन देश के पूर्वी भागों, उत्तरी-पूर्वी राज्यों, हिमालय के गिरिपद प्रदेशों, झारखण्ड, पश्चिमी ओडिशा, छत्तीसगढ़ तथा पश्चिमी घाटों के पूर्वी ढालों में पाए जाते हैं।

·  सागोन इन वनों की सबसे प्रमुख प्रजाति है। बाँस, साल, शीशम, चंदन, खैर, कुसुम, अर्जुन, शहतूत, आमला, सैमल, हुर्रा तथा सागवान के वृक्ष व्यापारिक महत्त्व वाली प्रजातियाँ हैं।

(B) शुष्क पर्णपाती वन

·  यह वन उन भागों में मिलते हैं, जहाँ वर्षा 70 से 100 सेमी. तक होती है।

·  आर्द्र क्षेत्रों की ओर ये वन आर्द्र पर्णपाती और शुष्क क्षेत्रों की ओर काँटेदार वनों में मिल जाते हैं।

·  ये वन प्रायद्वीप में अधिक वर्षा वाले भागों और उत्तर प्रदेश व बिहार के मैदानी भागों में पाए जाते हैं।

·  शुष्क ऋतु शुरू होते ही इन पेड़ों के पत्ते झड़ जाते हैं और घास के मैदान में नग्न पेड़ खड़े रह जाते हैं।

·  इन वनों में पाए जाने वाले मुख्य पेड़ों में तेंदू, पलास, अमलतास, बेल, खैर और अक्सलवुड इत्यादि हैं।

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