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भारत का भूगोल विषय को जब भी आप पढ़ेंगे तो उसमें आपको जल संसाधन अध्याय पढ़ने के लिए मिलता है जो एनसीईआरटी क्लास 10 का अध्याय 3 है इस पोस्ट में हम Ncert Indian Geography Class 10th – जल संसाधन नोट्स आपको उपलब्ध करवा रहे है इन नोट से आपको यह संपूर्ण अध्याय अच्छे से समझ में आ जाएगा

जल संसाधन सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण अध्याय है और इसे शॉर्ट एवं आसान भाषा में हमने आपको समझने का प्रयास किया है इन नोट्स को आप आगामी परीक्षाओं के लिए तैयार कर सकते हैं

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Ncert Indian Geography Class 10th – जल संसाधन नोट्स

· पृथ्वी का 71% भाग जल से और 29% स्थल से ढका है। 71% में से 3% जल ही पीने योग्य है। पीने योग्य जल की उपलब्धता स्थान और समय के अनुसार अलग-अलग होती है।

भारत में जल संसाधन

· भारत विश्व के भौगोलिक क्षेत्रफल का 2.4% है, यहाँ विश्व की 17% जनसंख्या निवास करती है, लेकिन विश्व के जल संसाधनों का 4% भाग ही भारत में पाया जाता है।

· देश में एक वर्ष में 4000 घन किमी. जल की प्राप्ति वर्षा से होती है।

· धरातलीय जल और पुन: पूर्ति योग्य जल 1869 घन किमी. है जिसमें से 60% (1122 घन किमी.) जल का ही उपयोग किया जा सकता है।

धरातलीय जल संसाधन

· धरातलीय जल के 4 मुख्य स्रोत हैं-

 1. नदियाँ 2. झीलें 3. तलैया 4. सरोवर

· भारत में मुख्य नदियाँ एवं उनकी सहायक नदियाँ जिनकी लम्बाई 1.6 km से अधिक हैं उनकी कुल संख्या 10360 हैं।

· भारत में 1869 घन किमी. जल प्रतिवर्ष नदियों में प्रवाहित होता है।

· नदियों में जल की मात्रा उनके जल ग्रहण क्षेत्र में हुई वर्षा पर निर्भर करता है।

· भारत में गंगा, ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों के जलग्रहण क्षेत्र से अधिक वर्षा होती है, भारत का 60% जल इन्हीं नदी बेसिनों में पाया जाता है।

· दक्षिणी भारत की गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों का वार्षिक जल प्रवाह का अधिकतर भाग उपयोग में लिया जाता है लेकिन गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी से ऐसा संभव नहीं है।

भौम जल संसाधन

· देश में पुन: पूर्ति योग्य भौम जल संसाधन 432 घन किमी. है।

· देश के उत्तरी-पश्चिमी और दक्षिणी भागों के कुछ क्षेत्रों में भौम जल का उपयोग अधिक किया जाता है।

 भौम जल का अधिक उपयोग

– पंजाब

– हरियाणा

– राजस्थान

 – तमिलनाडु

भौम जल का मध्यम उपयोग

  – गुजरात

 – महाराष्ट्र

– उत्तरप्रदेश

 – बिहार

 – त्रिपुरा

भौम जल का बहुत कम उपयोग

– छत्तीसगढ़

 – ओडिशा

– केरल

लैगून और पश्च जल

· देश का तट कटा फटा है इस कारण तट पर बहुत-सी लैगून झीलों का विकास हो गया है, जिनमें खारा पानी होता है। इनका उपयोग मछली पालन और चावल तथा नारियल की कुछ निश्चित किस्मों की सिंचाई में होता है।

जल की माँग और उपयोग

· भारत की 2/3 जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। इसलिए पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सिंचाई परियोजनाओं के विकास को प्राथमिकता दी गई है, जैसे- भाखड़ा-नांगल परियोजना, नागार्जुन सागर परियोजना, दामोदर घाटी परियोजना, इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना।

कृषि क्षेत्र

– धरातलीय जल – 89%

 – भौम जल – 92%

औद्योगिक क्षेत्र

धरातलीय जल – 2%

 भौम जल – 5%

घरेलू क्षेत्र

 इस क्षेत्र में भौम जल की तुलना में धरातलीय जल की तुलना में धरातलीय जल का अधिक उपयोग होता है।

सिंचाई के लिए जल की माँग

· देश में वर्षा की मात्रा स्थान और समय के अनुसार परिवर्तित होती है, इसलिए सिंचाई की आवश्यकता होती है।

· भारत के अधिकतर भाग वर्षा विहीन है- जैसे उत्तरी, पश्चिम भारत, दक्कन पठार।

· शुष्क ऋतु में बिना सिंचाई के कृषि कर पाना कठिन है।

पर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्र

· पश्चिमी बंगाल और बिहार जैसे पर्याप्त वर्षा वाले राज्यों में जब कई बार वर्षा नहीं होती तो वहाँ सूखे की स्थिति बन जाती है जो फसलों के लिए हानिकारक है। तो ऐसी परिस्थिति में कुछ फसलों के लिए सिंचाई आवश्यक हो जाती है, जैसे- चावल, गन्ना, जूट।

· सिंचाई की व्यवस्था अधिक कृषि उत्पादन और बहुफसलीकरण को संभव बनाती है। इसलिए हरित क्रान्ति पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर-प्रदेश में सफल हो गई।

· पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चावल सिंचाई की सहायता से ही पैदा हो पाता है।

· शुद्ध बोए गए क्षेत्र का 76.1% पंजाब में और 51.3% हरियाणा में कुओं और नलकूपों द्वारा सिंचित है इसी कारण इन राज्यों में भौम जल की कमी बनी हुई है।

· भौम जल के अधिक दोहन के कारण महाराष्ट्र और राजस्थान के जल में फ्लोराइड और पश्चिमी बंगाल और बिहार में भूमिगत जल की मात्रा में वृद्धि हो गई।

Note:-

· पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश में गहन सिंचाई के कारण मृदा में लवणता की समस्या बढ़ रही है।

संभावित जल समस्या

· प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता में कमी।

· औद्योगिक, कृषि और घरेलू निस्तारण के कारण उपलब्ध जल प्रदूषित हो रहा है।

जल गुणों का ह्रास

· जल सूक्ष्म जीवों, रासायनिक पदार्थों और औद्योगिक या अन्य अपशिष्ट पदार्थों के कारण प्रदूषित हो जाता है इस कारण यह मानव के उपयोग योग्य नहीं रहता है। जल के गुणों में कमी के कारण जलीय तंत्र भी प्रभावित हो जाता है।

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अंतिम शब्द

हम आपके लिए Ncert Indian Geography Class 10th – जल संसाधन नोट्स ऐसे ही टॉपिक वाइज Notes उपलब्ध करवाते हैं ताकि किसी अध्याय को पढ़ने के साथ-साथ  आप हम से बनने वाले प्रश्नों के साथ प्रैक्टिस कर सके अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें