अगर आप सिविल सर्विस परीक्षा या किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं जिसमें आपको Indian geography notges pdf विषय अगर आप पढ़ रहे हैं तो उसमें आपको भारत का भूगोल ( Indian Geography ) – भारत की मिट्टियाँ नोट्स टॉपिक पढ़ने को मिलेगा आज हम उसी से संबंधित आपको शार्ट नोट्स करवा रहे हैं
Bharat ki jalvayu notes pdf in hindi के यह नोट्स आपको सभी परीक्षाओं में काम आएंगे यह नोट्स ऑफलाइन क्लास में तैयार किए हुए नोट्स है ताकि आप इस टॉपिक को बहुत ही सरल एवं आसान तरीके से समझ सके
भारत का भूगोल ( Indian Geography ) – भारत की मिट्टियाँ नोट्स
- चट्टानों के अपक्षय से प्राप्त वे असंगठित पदार्थ जिसमें कार्बनिक, अकार्बनिक, जल तथा वायु का मिश्रण पाया जाता है, उसे मृदा कहते हैं।
- मृदा एक बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन है। मृदा की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द सोलम से हुई है, जिसका अर्थ है – फर्श
- मृदा अनेक प्रकार के खनिजों, पौधों और जीव जन्तुओं के अवशेषों से निर्मित होती है।
- पृथ्वी के पृष्ठ की ऊपरी परत पर असंगठित दानेदार कणों के आवरण वाली परत मृदा कहलाती है।
- भारत में पाई जाने वाली चट्टानों की संरचना एवं भारत की जलवायु में पर्याप्त विविधता पाई जाती है।
- अतः भारत की विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की मिट्टियों का विकास हुआ है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने भारत की मिट्टियों को 8 वर्गों में विभाजित किया हैं-
1. जलोढ़ मिट्टी
- इस मिट्टी का विस्तार भारत के लगभग 43.36% भाग पर है।
- इस मिट्टी के दो प्रमुख क्षेत्र हैं
(1) उत्तर का विशाल मैदान
(2) तटवर्ती मैदान
- इसके अलावा नदियों की घाटियों एवं डेल्टाई भाग में भी यह मिट्टी पाई जाती है।
- इस मिट्टी का निर्माण नदियों द्वारा लाए गए तलछट के निक्षेपण से हुआ है।
- इस प्रकार यह एक अक्षेत्रीय मिट्टी है।
- इस मिट्टी में नाइट्रोजन, फाॅस्फोरस एवं ह्यूमस की कमी होती है।
- परंतु इस मिट्टी में पोटाश एवं चूने का अंश पर्याप्त होता हैं।
- इस मिट्टी को सामान्यतः दो वर्गों में विभाजित किया जाता हैं-
- बांगर
- खादर
(i) बांगर
- यह, पुरानी जलोढ़ मृदा है।
- यह मिट्टी सतलज एवं गंगा के मैदान के ऊपरी भाग तथा नदियों के मध्यवर्ती भाग में पाई जाती है, जहाँ सामान्यतः बाढ़ का पानी नहीं पहुँच पाता है।
- इसमें चीका एवं बालू की मात्रा लगभग बराबर होती है, साथ ही इसका रंग गहरा होता है।
- बांगर का मैदान रबी फसलों की कृषि के लिए अधिक उपयुक्त है।
- इसमें गेहूँ, कपास, तिलहन, दलहन, मक्का जैसी फसलों की कृषि बहुतायत से होती है।
- पूर्वी तटीय मैदान के ऊपरी भाग में भी बांगर मिट्टी पाई जाती है, जिसमें तम्बाकू व मक्का की कृषि बहुतायत से होती है।
- हाल के वर्षों में इस मृदा के क्षेत्र में कपास एवं गन्ना की कृषि को भी प्रधानता दी जा रही है।
(ii) खादर
- यह नवीन जलोढ़ मृदा है।
- बाढ़ के पानी के लगभग प्रतिवर्ष पहुँचने के कारण इस मृदा का नवीनीकरण होता रहता है।
- इस मृदा में सिल्ट एवं क्ले (Clay) तुलनात्मक रूप से अधिक पाया जाता है एवं इसका रंग हल्का होता है।
- यह मृदा निम्न गंगा का मैदान, ब्रह्मपुत्र घाटी एवं डेल्टाई क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
- यह मृदा खरीफ फसलों, मुख्यतः चावल एवं जूट की कृषि के लिए विशेष रूप से उपयुक्त होती है।
- शुष्क क्षेत्रों में इस मिट्टी में लवणीय व क्षारीय गुण भी पाए जाते हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में ‘रेह’, ‘कल्लर’ या ‘थुर’ नामों से जाना जाता हैं।
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अंतिम शब्द –
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