अगर आप IAS बनने का सपना देख चुके हैं और तैयारी में जुट गए हैं तो सबसे पहले आपको NCERT कक्षा 6 से 12 पढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें आपका बेसिक अच्छे से क्लियर हो जाता है और इसलिए इस पोस्ट में हम आपको भारतीय भूगोल के एक महत्वपूर्ण टॉपिक NCERT Indian Geography Class 11 PDF : भारत का भौतिक स्वरूप की संपूर्ण जानकारी आपको शार्ट तरीके से आसान भाषा में उपलब्ध करवा रहे हैं
जब भी आप Ncert पढ़ेंगे तो उसमें आपको bharat ka bhautik swarup के बारे में पढ़ने को मिलेगा उसी से संबंधित हम आपको नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं साथ ही आप इसे PDF के रूप में निशुल्क डाउनलोड भी कर सकते हैं
NCERT Indian Geography Class 11 PDF : भारत का भौतिक स्वरूप
भू-वैज्ञानिक खण्ड:-
· भू-वैज्ञानिक संरचना व शैल समूह की भिन्नता के आधार पर भारत को तीन भू-वैज्ञानिक खण्डों में विभाजित किया गया है-
1. प्रायद्वीपीय खण्ड
2. हिमालय और अन्य प्रायद्वीपीय पर्वतमालाएँ
3. सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र मैदान
1. प्रायद्वीपीय खण्ड:-
· प्रायद्वीपीय खण्ड की उत्तरी सीमा कटी-फटी है जो कच्छ से आरंभ होकर अरावली पहाड़ियों के पश्चिम से गुजरती हुई दिल्ली तक और फिर गंगा व यमुना नदी के समानांतर राजमहल की पहाड़ियों व गंगा डेल्टा तक जाती है।
· उत्तर-पूर्व में कॉर्बी एगलोंग व मेघालय का पठार तथा पश्चिम राजस्थान भी इसी खण्ड का हिस्सा है।
· उत्तरी-पूर्वी पठार इस खण्ड से पश्चिमी बंगाल में मालदा भ्रंश द्वारा अलग होता है जबकि राजस्थान में इस खण्ड का हिस्सा मरुस्थल से ढका है।
· यह खण्ड प्राचीन नाइस (नीस) व ग्रेनाइट से बना है।
· केम्ब्रियन काल से यह भूखण्ड कठोर खण्ड के रूप में खड़ा है। अपवादस्वरूप पश्चिमी तट समुद्र में डूबा है।
· इण्डो-ऑस्ट्रेलिया प्लेट का हिस्सा होने के कारण यह ऊर्ध्वाधर हलचलों व खण्ड भ्रंश से प्रभावित है।
· इस प्रायद्वीपीय खण्ड पर अरावली नल्लामाला, जावादी, वैलीकोंडा, पालकोडा और महेन्द्रगिरी आदि अवशिष्ट पहाड़ियाँ स्थित है।
· इस खण्ड पर नर्मदा, तापी और महानदी की रिफ्ट घाटियाँ और सतपुड़ा ब्लॉक पर्वत स्थित है।
2. हिमालय और अन्य अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पर्वतमालाएँ:-
· इनकी भू-वैज्ञानिक संरचना तरुण, दुर्बल और लचीली है।
· यह पर्वत वर्तमान समय में बहिर्जनित और अन्तर्जनित बलों की अंत:क्रियाओं से प्रभावित है। इसी कारण इनमें वलन, भ्रंशन और क्षेप बनते हैं। इन पर्वतों की उत्पत्ति विर्वतनिकी हलचलों से हुई है।
· तेज बहाव वाली नदियों से अपरदित ये पर्वत युवावस्था में है। गॉर्ज-V आकार की घाटियाँ, क्षिप्रिकाएँ व जल-प्रपात इसका प्रमाण है।
3. सिधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान:-
· यह एक भूअभिनति गर्त है, जिसका निर्माण हिमालय पर्वत निर्माण क्रिया के तीसरे चरण में लगभग 604 करोड़ वर्ष पहले हुआ था, तब से हिमालय और प्रायद्वीपीय खण्ड से निकलने वाली नदियाँ यहाँ अवसाद जमा कर रही है। इस मैदान में जलोढ़ की औसत गहराई 1000-2000 मीटर गहरी है।
मुख्य भौगोलिक/भू-आकृतिक खण्ड:-
1. उत्तर तथा उत्तर-पूर्वी पर्वतमाला
2. उत्तरी भारत का मैदान
3. प्रायद्वीपीय पठार
4. भारतीय मरुस्थल
5. तटीय मैदान
6. द्वीप समूह
उत्तर तथा उत्तरी-पूर्वी पर्वतमाला:-
· यह पर्वतमाला भूगर्भीय रूप से युवा एवं बनावट की दृष्टिकोण से वलित शृंखला है।
· इसमें हिमालय पर्वत और उत्तरी-पूर्वी पहाड़ियाँ शामिल हैं।
· हिमालय सिंधु से ब्रह्मपुत्र तक फैला है, इसकी लंबाई 2400 किमी. और औसत चौड़ाई 150-400 किमी. है।
· हिमालय विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी है।
· यह श्रेणियाँ भारत के उत्तरी-पश्चिमी भाग में उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर फैली है।
· दार्जिलिंग और सिक्किम क्षेत्र में ये श्रेणियाँ पूर्व-पश्चिम दिशा में फैली है।
· अरुणाचल प्रदेश में यह दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर फैली है।
· मिजोरम, नागालैण्ड और मणिपुर में ये पहाड़ियाँ उत्तर-दक्षिण की ओर फैली है।
· हिमालय एक जलवायु, अपवाह और सांस्कृतिक विभाजक है।
· उत्तर से दक्षिण में हिमालय को तीन भागों में बाँटा गया है-
1. वृहद हिमालय
2. हिमाचल हिमालय
3. शिवालिक हिमालय
1. वृहद हिमालय:-
· इसे महान या आंतरिक या हिमाद्रि कहते हैं।
· यह सबसे अधिक सतत शृंखला है।
· इसकी औसत ऊँचाई 6000 मीटर है।
· यह शृंखला हमेशा बर्फ से ढकी रहती है।
· इससे बहुत-सी हिमानियों का प्रवाह होता है।
· हिमालय के इस भाग का क्रोढ़ ग्रेनाइट से बना है।
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अंतिम शब्द –
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