हम आपके लिए Ncert Class 6th से 12th तक के Indian History के नोट्स अध्याय अनुसार उपलब्ध करवा रहे है इस पोस्ट में हम आपके लिए लेकर Ncert History Notes – ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना के सम्पूर्ण नोट्स आए हैं एनसीईआरटी सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है इसलिए हमारे द्वारा उपलब्ध करवाये जा रहे प्रत्येक नोट्स को आप जरूर पढ़ें
हम आपको अध्याय अनुसार यह नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं ताकि आपकी तैयारी शुरू से अंत तक बहुत अच्छी हो सके यह नोट्स आपको आपकी आगामी परीक्षा में जरूर काम आएंगे
Ncert History Notes – ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना
– सन् 1765 में मुगल बादशाह से ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने बंगाल की दीवानी का अधिकार देकर बंगाल का दीवान नियुक्त किया।
– दीवान के तौर पर कम्पनी अपने नियन्त्रण वाले भू-भाग के आर्थिक मामलों की मुख्य शासक बन गई थी।
– दीवान के तौर पर कम्पनी ज्यादा से ज्यादा राजस्व हासिल करना चाहती थी और कम कीमत पर बढ़िया सूती और रेशमी कपड़ा खरीदना चाहती थी, जो कम्पनी इंग्लैंड से सोना-चाँदी आयात करती थी।
– सन् 1865 के बाद कम्पनी बंगाल के राजस्व से ही अपना व्यापार भारत में करने लगी।
– जब अंग्रेजी नीति से किसान और व्यापार पूरी तरह बर्बाद होने लगे तो कम्पनी ने खेती में सुधार के कुछ प्रयास किए।
– कम्पनी ने सन् 1793 में लॉर्ड कॉर्नवालिस ने नई बन्दोबस्ती व्यवस्था स्थापित की और बंगाल से यह व्यवस्था लागू की।
– वर्तमान उत्तर प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में होल्ट मैकेन्जी ने सन् 1822 में एक नई व्यवस्था लागू की और इसे महाल व्यवस्था के नाम से जाना जाने लगा।
– टॉमस मुनरो ने दक्षिण भारतीय कम्पनी प्रदेशों में रेयतवाड़ी व्यवस्था लागू की।
– अंग्रेजों ने यूरोप के अनुसार फसलें उगाने के लिए किसानों को मजबूर किया जिससे किसानों का शोषण हुआ और उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई।
– ‘नील’ एक विशेष प्रकार का पौधा था जिसकी यूरोप में जबर्दस्त माँग थी क्योंकि यह कपड़े को रंगने के काम आता था।
– नील की खेती मुख्यतः दो प्रकार से होती थी- निज और रैयती। निज में बागान मालिक खुद की जमीन पर खेती करवाते थे ।
– रैयती व्यवस्था में किसानों को सस्ती दर पर ऋण उपलब्ध करवाया जाता था और कम से कम 25 फीसदी जमीन पर नील उगानी पड़ती थी।
– नील की खेती से सम्बन्धित सभी आवश्यकताएँ बागान मालिक द्वारा उपलब्ध करायी जाती थी।
– पुराना कर्जा और फसल मिलने पर पुनः नया कर्जा मिलता और वही चक्र चलता रहता था।
– मार्च, 1859 में बंगाल के हजारों रैयतों ने नील की खेती करने से इनकार कर दिया और लगान चुकाने से इनकार कर बागान मालिकों की नील की फैक्ट्रियों पर हमला कर दिया।
– इन विरोधों और विद्रोह के चलते अंग्रेजों ने एक नील आयोग बनाया और किसानों, नील मजदूरों ने अपनी व्यथाएँ बताई और आयोग ने बागान मालिकों के अत्याचार को स्वीकार किया।
– इस विद्रोह से बंगाल में नील व्यवसाय/ उत्पादन धराशायी हो गया और ये बागान मालिक बिहार की तरफ आकर्षित होने लगे।
– सन् 1917 में महात्मा गाँधी ने चम्पारन से अपना पहला प्रयास नील बागान मालिकों के खिलाफ किया।
अगर आपकी जिद है सरकारी नौकरी पाने की तो हमारे व्हाट्सएप ग्रुप एवं टेलीग्राम चैनल को अभी जॉइन कर ले
Join Whatsapp Group | Click Here |
Join Telegram | Click Here |
अंतिम शब्द –
हम आपके लिए Ncert History Notes – ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना ऐसे ही टॉपिक वाइज Notes उपलब्ध करवाते हैं ताकि किसी अध्याय को पढ़ने के साथ-साथ आप हम से बनने वाले प्रश्नों के साथ प्रैक्टिस कर सके अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें