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मध्यकालीन भारतीय इतिहास के लिए आप बाजार में अनेक किताबें उपलब्ध है जहां से आप इतिहास की तैयारी कर सकते हैं लेकिन हम आपकी तैयारी नोट्स के माध्यम से करवाएंगे इस पोस्ट में हम मध्यकालीन भारतीय इतिहास ( सल्तनत काल ) गुलाम वंश नोट्स आपके लिए लेकर आए हैं जिसमें आप गुलाम वंश के बारे में पढ़ेंगे

आप चाहे किसी भी परीक्षा की तैयारी करते हो उन सभी के लिए यह नोट्स बहुत महत्वपूर्ण है और हम आपके लिए शानदार नोट्स उपलब्ध करवाने की कोशिश करते हैं ताकि आपकी तैयारी कम समय में बहुत अच्छी हो सके

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मध्यकालीन इतिहास : गुलाम वंश

  • 1206 में तुर्की गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक, मोहम्मद गौरी का उत्तराधिकारी बना।
  • उसने सुल्तान का पद धारण न कर ‘मलिक’ तथा ‘सिपहसालार’ के पद से शासन किया इसे दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
  • उसका राज्याभिषेक लाहौर में हुआ।
  • उसे भारत का प्रथम मुस्लिम शासक भी माना जाता है।
  • अपनी उदारता तथा दानी स्वभाव के कारण वह लाखबख्श तथा ‘हातिम द्वितीय’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद’ तथा ‘अढ़ाई दिन का झोंपड़ा’ के निर्माण का श्रेय ऐबक को है।
  • ऐबक का मकबरा लाहौर में है।
  • इल्तुतमिश इल्बरी तुर्क था।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने एक लाख जीतल में इल्तुतमिश को खरीदा तथा उसके साथ अपनी पुत्री का विवाह किया।
  • सुल्तान बनने से पूर्व इल्तुतमिश बदायूँ का सुबेदार था।
  • यह दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था जिसने ”सुल्तान” की उपाधि धारण की।
  • इल्तुतमिश ने सर्वप्रथम लाहौर के स्थान पर ‘दिल्ली’ को अपनी राजधानी बनाया।
  • दिल्ली राजधानी स्थानान्तरित करने के कारण इसे दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
  • इल्तुतमिश ने ‘सुल्तान’ व ‘नासिर-आमिर-उल मौमनिन’ की उपाधि धारण की।
  • इल्तुतमिश ने अपने प्रशासन को सुव्यवस्थित व सुचारू चलाने के लिए 40 वफादार सरदारों का एक दल “तुर्कान-ए-चिहलगानी” (चालीस दल) का गठन किया जिसे बाद में बलबन ने समाप्त कर दिया था। बरनी ने इसे ‘तुर्कान-ए-चहगानी’ कहा ।
  • “इक्ता” का सर्वप्रथम प्रयोग मोहम्मद गौरी ने किया किन्तु इसे संस्था का रूप इल्तुतमिश ने दिया।
  • राज्य के अधिकारियों व सैनिकों को वेतन के बदले दी जाने वाली जमीन/जागीर – ‘इक्ता’ कहलाती थी। इसका प्रमुख ‘इक्तेदार’ कहलाता था।
  • वह पहला तुर्क शासक था जिसने शुद्ध अरबी सिक्के जारी किए तथा टकसाल का नाम सिक्कों पर लिखवाने की परम्परा शुरू की।
  • इल्तुतमिश ने चांदी का टंका (175 ग्रेन) एवं ताँबे का जीतल प्रारंभ किया।
  • इल्तुतमिश ने कुतुबमीनार का निर्माण पूरा करवाया तथा इसके ऊपर 3 मंजिले और बनवाई।
  • कुतुबमीनार का वास्तुकार फजल इब्न-अबुल माली था।
  • इल्तुतमिश को मकबरा निर्माण शैली का जन्मदाता माना जाता है।
  • इल्तुतमिश ने सुल्तानगढ़ी में अपने पुत्र नासिरुद्दीन महमूद का मकबरा बनवाया जो सल्तनत काल का प्रथम मकबरा है।
  • वह मध्यकालीन भारत की पहली तथा अंतिम मुस्लिम महिला शासक थी।
  • बलबन के सिंहासन पर बैठने के साथ ही एक शक्तिशाली केन्द्रित शासन का युग आरम्भ हुआ इल्बरी तुर्क था
  • कुलीन घरानों तथा प्राचीन वंशों के व्यक्तियों से अपने को संबंधित करने के लिए बलबन ने प्रसिद्ध तुर्की योद्धा अफरासियाब का वंशज घोषित किया।
  • बलबन का मुख्य कार्य चहलगानी या तुर्की सरदारों की शक्ति भंग कर सम्राट की शक्ति एवं प्रतिष्ठा को बढ़ाना था।
  • बलबन ने सैन्य मंत्रालय दीवान-ए-अर्ज बनाया।
  • उसने ‘लौह एवं रक्त’ की नीति अपनाई।
  • तुर्क अमीरों के प्रभाव को कम करने के लिए बलबन ने सिजदा (घुटने पर बैठकर सिर झुकाना) तथा पेबोस (सम्राट के सामने झुककर पाँव को चूमना) की प्रथा आरम्भ की जो मूलतः ईरानी एवं गैर इस्लामी था।
सल्तनतकालीनस्थापत्यकला
1.कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिदकुतुबुद्दीन ऐबक (दिल्ली)
2. कुतुबमीनारकुतुबुद्दीन ऐबक और इल्तुतमिश (दिल्ली)
3. अढ़ाई दिन का झोंपड़ाकुतुबुद्दीन ऐबक (अजमेर)
4. लाल महलबलबन (दिल्ली)
5. अलाई दरवाजाअलाउद्दीन खिलजी (दिल्ली)
6. जमातखाना मस्जिदअलाउद्दीन खिलजी (दिल्ली)
7. सिकन्दर लोदी का मकबराइब्राहिम लोदी (दिल्ली)
8. सुल्तानगढ़ीइल्तुतमिश
9. हौज-ए-शम्सीइल्तुतमिश
10. अतारकिन का दरवाजाइल्तुतमिश
11. हौज-ए-खासअलाउद्दीन खिलजी
12. तुगलकाबादगयासुद्दीन तुगलक
13. आदिलाबाद का किलामुहम्मद बिन तुगलक
14. जहांपनाह नगरमुहमद बिन तुगलक
15. कोटलाफिरोजशाहफिरोजशाह तुगलक
16. खान-ए-जहां तेलंगानी का मकबरा (अष्टभुजीय)जूनाशाह
17. काली मस्जिदफिरोजशाह तुगलक

उसने नौरोज (फारसी) प्रथा को भी आरम्भ किया।

बलबन ने राजत्व को दैवी संस्था मानते हुए राजा को नियामते खुदाई (ईश्वर का प्रतिनिधि) घोषित किया।

उसने सिक्कों पर खलीफा का नाम खुदवाया।

बाद में तुर्क सरदारों ने उसके पुत्र शम्सुद्दीन कैयूमर्स को सुल्तान घोषित किया।

जलालुद्दीन खिलजी ने क्यूमर्स की हत्या कर खिलजी राजवंश की स्थापना की।

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अंतिम शब्द

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