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क्या आप जानते हैं मानव में पाचन क्रिया कैसे होती है जब आप जीव विज्ञान विषय को पढ़ेंगे तो उसमें आपको पाचन तंत्र में यह सब पढ़ने के लिए मिलेगा इसलिए इस पोस्ट में हम आपके पाचन क्रिया के बारे में संपूर्ण जानकारी शार्ट तरीके से बता रहे हैं ताकि आपको इसे याद करने में आसानी रहे एवं यह टॉपिक आपको अच्छे से याद हो सके | 

पाचन तंत्र जीव विज्ञान का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है अगर यह आपके सिलेबस में है तो आपको इसे जरूर पढ़ना चाहिए ऐसे नोट्स आपको फ्री में कहीं नहीं देखने को मिलेंगे

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मानव में पाचन क्रिया

जीव विज्ञान ( Biology ) : पाचन तंत्र नोट्स
जीव विज्ञान ( Biology ) : पाचन तंत्र नोट्स
  • भोजन का पाचन मुख से प्रारम्भ होकर छोटी आँत तक होता है। भोजन के अन्तर्ग्रहण के बाद उसे दाँतों के द्वारा अच्छी तरह पीसा व चबाकर लार ग्रंथि से स्रावित लार की मदद से महीन कणों में विभक्त किया जाता है।
  • लार में उपस्थित एंजाइम के कार्य – टायलिन भोजन में उपस्थित मंड (स्टार्च) को माल्टोज शर्करा में अपघटित करता है वही माल्टोज शर्करा माल्टेज एंजाइम द्वारा ग्लूकोज में परिवर्तित होता है।
  • लाइसोजाइम एंजाइम हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने का काम करता है।
  • भोजन जिह्‌वा से ग्रसिका द्वारा फिर आमाशय में पहुँच जाता है। आमाशय में उपस्थित हाइड्रोक्लोरिक अम्ल टायलिन को निष्क्रिय (Inactive) तथा भोजन को अम्लीय बना देता है। जठर रस से मिलकर भोजन अर्द्धतरल लुगदी में परवर्तित हो जाता है। जठर रस में उपस्थित एंजाइम है–

1.  पेप्सिन भोजन में उपस्थित प्रोटीन को पेप्टोन में बदलता है।

2. रेनिन दूध में उपस्थित प्रोटीन केसीन को कैल्सियम पैराकैसिनेट में परिवर्तित करता है अर्थात् दूध को दही में बदल देता है।

3. म्यूसिन जठर रस के अम्लीय प्रभाव को कम करता है जिससे इसका प्रभाव आहारनाल पर नहीं पड़ता है। आमाशय के पश्चात् भोजन ‘काइम’ (chyme) कहलाता है। यह काइम ग्रहणी में पहुँचकर यकृत से स्रावित पित्त रस से मिलता है जो काइम की चर्बी (वसा) को जल द्वारा इमल्शन बनाने में सहायता करता है। अग्न्याशयी रस भी काइम में मिलता है। इसमें उपस्थित एंजाइमों की क्रिया काइम पर होने से यह तरल हो जाता है फिर यह आँत के इलियम भाग में पहुँचता है। यहाँ काइम की आंत्ररस से क्रिया होती है।

आंत्ररस – यह क्षारीय द्रव है जिसका pH मान 8 होता है

यह स्वस्थ्य मनुष्य में प्रतिदीन 2 लीटर स्रावित होता है। आंत्ररस में उपस्थित एंजाइम व उनके कार्य हैं –

 1. इरेप्सिन – प्रोटीन एवं पेप्टोन का एमीनो अम्ल में परिवर्तन।

 2. माल्टेस – माल्टोस का ग्लूकोज शर्करा में परिवर्तन।

 3. सुक्रेस – सुक्रोस का ग्लूकोज व फ्रक्टोज में परिवर्तन।

 4. लेक्टेस – लेक्टोज का ग्लूकोज व ग्लेक्टोस में परिवर्तन।

 5. लाइपेज – इमल्सीकृत वसाओं का ग्लिसरीन व फैटी एसिड में परिवर्तन।

अवशोषण [ Absorption ]

  •  छोटी आँत में ही काइम के अवशोषण की मुख्य क्रिया होती है।
  • छोटी आँत तक भोजन का पूर्ण पाचन हो जाता है और वह इस रूप में परिवर्तित हो जाता है कि आहारनाल की दीवार आसानी से अवशोषण कर सकती है। यह बिना पचा काइम छोटी आँत से बड़ी आँत में पहुँचता है जो काइम से जल का अवशोषण कर लेती है। बचा हुआ काइम मल के रूप में मलाशय में एकत्रित होकर शरीर से गुदा द्वारा त्याग दिया जाता है।

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अंतिम शब्द

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