आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और अगर उसमें General Science Notes PDF से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं तो हम आपको इस पोस्ट में Ncert Biology Chapter 12 – पोषक तत्त्व ( Nutrients ) नोट्स लेकर आए हैं जिसमें आप कोशिका के बारे में विस्तार से पढ़ सकते हैं यह नोट्स आपको किताबों में देखने को नहीं मिलेंगे क्योंकि हम आपको सरल एवं आसान तरीके से तैयार किए हुए नोट्स उपलब्ध करवाते हैं
नीचे हमने पोषक तत्त्व ( Nutrients ) के नोट्स हिंदी भाषा में उपलब्ध करवा दिए हैं यह नोट्स कंप्लीट नहीं है इसलिए इस पोस्ट के अंत में पीडीएफ डाउनलोड करने का लिंक दिया हुआ है आप वहां से कंप्लीट पीडीएफ जरूर डाउनलोड करें
Ncert Biology Chapter 12 – पोषक तत्त्व ( Nutrients ) नोट्स
पोषण [Nutrition]
· जीवों के वृद्धि, विकास एवं सभी जैव प्रक्रमों के संचालन के लिए आवश्यक सभी पोषक पदार्थों से युक्त भोजन ग्रहण करने की प्रक्रिया पोषण कहलाती है।
पोषक पदार्थ [Nutirents]
· वे सभी भोज्य पदार्थ जिनसे सजीव ऊर्जा प्राप्त करते हैं तथा नए कोशिकीय पदार्थों का संश्लेषण करते हैं, पोषक पदार्थ कहलाते हैं।
पोषण के प्रकार [Types of Nutrition]
इन्हें दो भागों में विभक्त किया जा सकता हैं–
1. स्वपोषी [ Autotrops ]
● हरे पौधो में क्लोरोफिल नामक पदार्थ वातावरण से कार्बन-डाई-ऑक्साइट (CO2), जल, सौर ऊर्जा आदि ग्रहण करके स्वयं अपना भोजन बनाते हैं, स्वपोषी कहलाते हैं।
कुछ जीवाणु जैसे सल्फर जीवाणु, नाइट्रीकारी जीवाणु तथा लौह जीवाणु भी स्वपोषी है।
2. विषमपोषी [ Heterotrops ]
● वे प्राणी जो स्वयं अपना भोजन नहीं बना सकते तथा दूसरे जीवों पर अपने भोजन के लिए निर्भर रहते है, विषमपोषी कहलाते हैं। यह निम्न प्रकार के हैं–
A. प्राणीसमभोजी पोषण [ Halozoic Nutrition ] – वे प्राणी जो अन्य प्राणी या उनके द्वारा निर्मित कार्बनिक पदार्थों को ग्रहण करते हैं। यह चार प्रकार के होते हैं–
(i) शाकाहारी [Herbivores] – वे जन्तु जो भोजन के लिए पौधो पर निर्भर रहते हैं। उदाहरण – बकरी, गाय, हिरण आदि।
(ii) मांसाहारी [carnivores] – वे जन्तु जो दूसरे जन्तुओं का भक्षण कर भोजन प्राप्त करते हैं। उदाहरण – शेर, चीता आदि।
(iii) सर्वाहारी [Omnivoros] – वे जन्तु जो पौधो व प्राणी दोनों को भोजन के रूप में ग्रहण करते है सर्वाहारी कहलाते हैं। उदाहरण – चुहे, सुअर, मनुष्य आदि।
(iv) अपमार्जक [Scavengers] – वे जन्तु जो मृत जन्तुओं को अपने भोजन के रूप में ग्रहण करते है। मरे हुए जन्तुओं को खाने की प्रक्रिया को अपमार्जन (Scavenging) कहते हैं। जैसे – सियार, लकड़बग्घा, गिद्ध, चील आदि।
B. परजीवी [Parasitic] – वे प्राणी जो अन्य प्राणियों और पादपों के शरीर के बाहर या भीतर रहकर उनसे आहार प्राप्त करते है। यह दो प्रकार के होते हैं–
(i) बाह्य परजीवी [Ectoparasite] – यह परजीवी अपना पोषण, परपोषी की त्वचा से चिपक कर प्राप्त करते है, बाह्य परजीवी कहलाते हैं। उदाहरण – जूँ, मच्छर, खटमल तथा पादपों में अमरबेल।
(ii) अंत: परजीवी [Endoparasite] – यह परजीवी अपना पोषण परपोषी के दैहिक अंगों में जैसे आंत, देहगुहा, यकृत, रुधिर आदि में प्रवेश कर प्राप्त करते हैं। उदाहरण – एस्केरिस।
C. सहजीवी [Symbiosis] – इस पोषण में विभिन्न प्रकार की जातियाँ साथ रहती है तथा दोनों ही जातियों को लाभ होता है तथा किसी जाति को हानि नहीं पहुँचती है। यह सहजीविता कहलाती है। उदाहरण – शैवाल तथा कवक द्वारा निर्मित लाइकेन।
D. मृतोपजीवी पोषण [Sapratic Nutrition] – वे प्राणी जो पौधों या जन्तुओं के सड़ते-गलते ऊतकों से आहार प्राप्त करते हैं, मृतोपजीवी कहलाते है। अनेक जीवाणु (Bacteria), कवक (Fungi) तथा प्रोटोजोआ में यह पोषण विधि द्वारा होता है।
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अंतिम शब्द –
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