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अगर आप जीव विज्ञान ( Biology Notes in Hindi ) से संबंधित क्लासरूम नोट्स के साथ तैयारी करना चाहते हैं तो हम आपके लिए इस पोस्ट में Endocrine System ( अंतःस्रावी तंत्र ) टॉपिक के संपूर्ण नोट्स लेकर आए हैं ऐसे नोट्स फ्री में आपको कहीं भी नहीं पढ़ने के लिए मिलेंगे

इसलिए अगर आप घर बैठे ऐसे ही शानदार नोटिस के साथ निरंतर तैयारी करना चाहते हैं तो हमारी इस वेबसाइट पर रोजाना विजिट करते रहें | जिसमें हम आपको टॉपिक अनुसार नोट्स उपलब्ध करवाते हैं

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Endocrine System ( अंतःस्रावी तंत्र ) Classroom Notes

Endocrine System ( अंतःस्रावी तंत्र ) Classroom Notes in Hindi
Endocrine System ( अंतःस्रावी तंत्र ) Classroom Notes in Hindi

4.  गोनेडोट्रॉफिक हार्मोन [ Gonadotropic Hormone ] – यह हार्मोन जनन ग्रंथियों की क्रियाशीता को प्रभावित करता है। इसके दो प्रकार है–

(a) फॉलिकल उत्तेजन हार्मोन [ Follicle Stimulating Hormone – FSH ] – यह हार्मोन पुरुषों में शुक्रजन (Spermatogenesis) तथा स्त्रियों में अण्डाशय से अण्डोत्सर्ग (Ovulation) फॉलिकल की वृद्धि में सहायक है।

(b) ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन [ Lutenizing Hormone-LH ] – यह हार्मोन पुरुषों में टेस्टोरटेरान तथा स्त्रियों में एस्ट्रोजन हार्मोन के स्राव को प्रेरीत (Stimulate) करता है।

5.  दुग्धजनक हार्मोन [ Lactogenic Hormone-LTH ] – इस हार्मोन का मुख्य कार्य शिशु के लिए स्तनों में दुग्ध स्राव उत्पन्न करता है7 यह कार्पसल्युटियम (Corpus Luteum) का स्रावण भी शुरू करता है।

6. मिलैनोसाइट प्रेरक हार्मोन [ Melanocyte Stimulating Hormone ] – यह हार्मोन मनुष्य में  चकते पडने (Pigmentation) को प्रेरित करता है तथा कई जन्तुओं व पक्षियों में यह मिलेनिन (Melanin) से त्वचा के रंग को प्रभावित करता है।

7.  वेसोप्रेसिन हार्मोन [ Vasopressin Hormone ] – यह हार्मोन वृक्क (Kidney) की मूत्रवाहिनियों को जल पुनरावशोषण (Reabsorption) के लिए प्रेरित करता है।

8.  ऑक्सीटॉसिन [ Oxytocin ]  या पाइटोसिन [ Pitocin ] – यह हार्मोन गर्भाशय की अरेखित पेशियों में सिकुड़न पैदा करता है जिससे प्रसव पीड़ा (Labour Pain) उत्पन्न होती है तथा बच्चों के जन्म में सहायता करता है। यह स्तन से दुग्ध स्राव में सहायक है।  

 B. अवटू या थायरॉइड ग्रंथि [ Thyroid Gland ]

●  यह ग्रंथि थायरॉक्सिन हार्मोन स्त्रावित करती है।

●  यह ग्रंथि श्वासनली के अधर पार्श्व तल (Base Side) पर स्वर यंत्र (Larynx) के समीप स्थित होता है।

● थायरॉक्सिन हार्मोन शरीर में कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन आदि का उपापचय (Metabolism) करता है।

● थायरॉक्सिन हार्मोन के लिए आयोडिन आवश्यक है, आयोडिन की कमी से शरीर में थायराक्सिन हार्मोन का सतुंलन बिगड़ जाने के कारण गलगण्ड रोग (Goiter, ग्वाइटर) हो जाता है।

C. परावटु ग्रंन्थि [ Parathyroid Glands ]

● यह मटर आकृति की पालियुक्त ग्रंथि है जो थाइरॉइड ग्रंथि के पीछे स्थित रहती है।

● इसमें दो हार्मोनों का स्राव होता है­

 1. पैराथाइरॉइड हार्मोन [ Parathyroid Hormone ]

 2. कैल्सिटॉनिन हार्मोन [ Calcitonin Hormone ]

● यह दोनों हार्मोन रक्त में कैल्सियम और फास्फोरस की मात्रा का नियत्रंण करते हैं।

D. पीनियल ग्रंथि [ Pineal Gland ]

  यह मस्तिष्क के एपिथैलेमस भाग से जुड़ी होती है। यह सामान्यत: दो हार्मोन स्रावित करती है–

1. मेलाटोनिन [ Melatonin ] – यह हार्मोन जैविक सक्रियता से संबंधित है तथा प्रकाश संवेदी हार्मोन (Light Sensitive Hormone) भी है।

 ● कुछ उभयचर प्राणियों में यह त्वचा के रंग का निर्धारण करता है।

2. सिरेटॉनिन [ Serotonin ] – यह हार्मोन  मस्तिष्क व अन्य अंगों में न्यूरोट्रांसमीटर (सूचनाओं की गति बढ़ाने वाले पदार्थ) के रूप में कार्य करते हैं। 

 E. थाइमस ग्रंथि [ Thymus Gland ]

●   यह थाइमोसिन करता है यह ग्रंथि वक्ष में पायी जाती है।

● इस ग्रंथि से थाइमेसिन हार्मोन के अलावा थाइमीन-1 (Thymin-1) व थाइमीन-II हार्मोन स्रावित होते हैं।

● यह हॉर्मोन शरीर में लिंफोसाइट कोशिकाएँ बनाने में सहायक होती है। यह हार्मोन लिम्फोसाइट को जीवाणुओं एवं एण्टीजन्स को नष्ट करने में प्रेरित करती है, जिससे शरीर में एंटीबॉडी बनती है तथा शरीर की सुरक्षा तंत्र स्थापित होती है।

● यह हार्मोन प्रतिरक्षा तंत्र को सुविकसित करता है जिससे शरीर रोगाणुओं (Pathogens) से लड़ने में सक्षम होता है।

● इस ग्रंथि के अधिक सक्रिय होने से टॉन्सिलाइटिस रोग हो जाता है फलस्वरूप टॉन्सिल बढ़ जाते हैं।

 F. अग्नाशय [ Pancreas ]

●   यह ग्रंथि इन्सुलिन हार्मोन स्त्रावित करता है।

● यह छोटी आंत के अग्र भाग ग्रहणी (Duodenum) के पास स्थित होता है।

● ये हार्मोन रक्त शर्करा (Blood Sugar) का नियत्रंण करता है। यदि इन्सुलिन हार्मोन की मात्रा असतुंलित होती है तो मधुमेह (Diabetes) नामक रोग हो जाता है।

 G. एड्रीनल ग्रंथि [ Adrenal Gland ]

●   यह अधिवृक्क ग्रंथि है जिससे एड्रिनलीन हार्मोन स्त्रावित होता है।

●   यह वृक्को (Kidneys) के ऊपर स्थित होता है।

●   हॉर्मोन का स्त्रवण रूधिर में होता है जिससे यह लक्ष्य अंगो (Organs) तक पहुँचता है। जिसके कारण यदि हम संकट में हो तो ह्रदय धड़कन तेज हो जाती है व शरीर की पेशीयों (Muscles) में ऑक्सीजन की पुर्ति होती है।

● एड्रीनल मेडुला से दो हार्मोन का स्राव होता है –

1.  एड्रीनेलीन – यह हार्मोन् सकंटकालीन परिस्थितियों में उचित कदम उठाने का निर्णय ले सकता है। यह हृदय स्पंदन की दर को बढ़ाता है। तथा रोगंटे खड़े होने में व आँखों की पुतलियों को फैलाना आदि कार्यों को प्रेरित करता है। इस हार्मोन को लड़ो या उड़ो हार्मोन कहा जाता है।

2.  नॉर एड्रीनेलीन – ये समान रूप से हृदय पेशियों की उत्तेजनशीलता एवं शंकुचनशीलता को तेज करते हैं।

 H. नर जनन ग्रंथि [ Male Reproductive Gland ]

●   यह ग्रंथि बालक में यौवनारभं (Puberty) के समय टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन का स्त्रवण करती है। जो बालक के किशोरावस्था के लक्षण व जनन अंगों का विकास करते है।

 I. मादा जनन ग्रंथि [ Female reproductive gland ]

● यह अण्डाशय के उदर गुहा में स्थित होता है। इससे स्रावित हार्मोन है–

1.  एस्ट्रोजन ( Estrogen )–यह एस्टेरॉयड(Steroid) है जो योवनारंभ के यौन लक्षणों जैसे – गर्भाशय (Uterus), योनि व स्तनों के विकास को प्रेरित करता है।

2.  प्रोजेस्टेरॉन – यह एस्ट्रोजन से सहयोजित होकर स्तन के विकास व दुग्धग्रंथियों को सक्रिय करता है तथा यह गर्भावस्था एवं प्रसव में होने वाले परिवर्तनों से संबंधित होता है।

3.  रिलैक्सिन [ Relaxine ] – यह हार्मोन बच्चे के जन्म में सहायक है। यह हार्मोन प्यूबिक सिम्फाइसिस (Pubic Symphysis) को मुलायम करता है तथा गर्भाशय को सिकुड़ने से रोकता है एवं गर्भाशय ग्रीवा (Uterine cervix) को चौड़ा करता है।

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अंतिम शब्द

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