सामान्य विज्ञान एक ऐसा विषय है जिस से संबंधित प्रश्न लगभग सभी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं इसलिए आज हम आपको Class 11th Biology – पाचन तंत्र ( Digestive System ) Notes Pdf Part 2 लेकर आए हैं जो सभी परीक्षाओं में आपको काम आएंगे ऐसे बहुत शायद ही आपको गूगल पर निशुल्क देखने को मिलेंगे हम आपके लिए ऐसे ही Bio Class 11 Ncert General Science विषय के के नोट्स टॉपिक अनुसार उपलब्ध करवाते रहेंगे
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Class 11th Biology – पाचन तंत्र ( Digestive System ) Notes Pdf Part 2
2. ग्रासनली [Oesophagus]
• यह एक लम्बी नली होती है जो भोजन को आमाशय में पहुँचाती है।
• इसमें किसी प्रकार की पाचन क्रिया नहीं होती है।
• ग्रासनली या ग्रसिका का आमाशय में खुलना एक पेशीय
अवरोधिनी द्वारा नियंत्रित होता है।
• इसकी दीवार पेशीय व सकुंचनशील होती है जो भोजन के पहुँचते ही तुरंग की तरह सकुंचन शुरू करती है जिसे क्रमाकुंचन (Peristolsis) कहते है। जिसकी गति के कारण भोजन आसानी से आमाशय की ओर खिसकता है।
3. आमाशय [Stomach]
• यह उदरगुहा में बायीं ओर स्थित द्विपालिका थैली जैसी रचना होती है जिसकी लम्बाई 30cm होती है।
• इसका अग्र भाग कार्डिएक (Cardiac) – व पिछला भाग पाइलोरिक (Pyloric) कहलाता है तथा इनके मध्य का भाग फुण्डिक (Fundic) कहलाता है।
• इसकी भीतरी दीवार पर कोशिकाओं का स्तर होता है जिसे स्तंभाकार एपिथिलियम (Columnar Epithelium) कहते हैं। यह कोशिकाएँ जठर ग्रंथि का निर्माण करती है जो जठर रस के स्रवण में सहायक है।
• जठर ग्रंथि की कोशिकाएँ है–
(a) श्लेष्मा कोशिकाएँ [Mucous Cells]
(b) अम्लजन कोशिकाएँ [Oxyntic cells]
(c) जाइमोजिन कोशिकाएँ [Zymogen cells]
• यह कोशिकाओं के स्राव का संयोजित रूप जठर रस (Gastric Juice) है।
• जठर रस में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCL) जिसका स्रवण अम्लजन कोशिकाओं से होता है, श्लेष्मा जिसका स्रवण श्लेष्मा कोशिकाओं से होता है तथा निष्क्रिय पेप्सिनोजेन होता है।
• हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन के साथ आने वाले जीवाणुओं को नष्ट करता है तथा निष्क्रिय पेप्सिनोजन को सक्रिय पेप्सिन में परिवर्तित करता है यह सक्रिय पेप्सिन भोजन में उपस्थित प्रोटीन को पेप्टॉन में परिवर्तित करता है।
• आमाशय में भोजन के पाचन के पश्चात् यह भोजन ‘काइम’ कहलाता है।
• ‘काइम’ आमाशय के पाइलोरिक छिद्र द्वारा छोटी आँत में पहुँचाता है।
4. आँत [Intestine]
• मनुष्य की आँत को दो भागों में विभक्त किया गया है–
(A) छोटी आँत (B) बड़ी आँत
(A) छोटी आँत (small Intestine)
• यह आहारनाल का सबसे लम्बा भाग है जिसकी लम्बाई लगभग 6 मीटर तथा चौड़ाई 2.5 मीटर होती है।
• पित्त वाहिनी (Bile duct) तथा अग्न्याशय वाहिनी (Pancreatic duct) संयोजित होकर एक सामान्य वाहिनी (Common duct) बनाती है। यह सामान्य वाहिनी ग्रहणी से छोटी आँत के पीछे की ओर बड़ी आँत में खुलती है।
• इसका अग्र भाग ‘U’ आकार की तरह मुड़ा होता है जिसे ग्रहणी कहते हैं। इसकी लम्बाई 25cm होती है तथा शेष भाग 30cm लम्बा होता जिसे इलियम कहते हैं।
• इलियम की दीवार के भीतर आंत्र रंसाकुर पाए जाते हैं जो आँत की अवशोषण सतह को बढ़ाते हैं।
• छोटी आँत भोजन का पाचन पूर्ण करती है तथा पचे हुए भोजन का अवशोषण करती है।
(B) बड़ी आँत (large Intestine)
– बड़ी आँत को दो भाग में विभक्त किया है –
(i) कोलोन (Colon)
(ii) मलाशय (Rectum)
– छोटी आँत व बड़ी आँत के मध्य एक छोटी-सी नली होती है जिसे सीकम (Cecum) कहते हैं।
– ऐपेन्डिक्स – सीकम के शीर्ष पर अंगुली जैसे रचना होती है। इसका आहारनाल में कोई कार्य नहीं होता है यह एक अवशेषी अंग है।
– कोलोन तीन भागों में विभक्त है – उपरिगामी कोलोन (Ascending colon), अनुप्रस्थ कोलोन (Transverse colon) तथा अधोगामी कोलोन (Descending colon)।
– इलियम व कोलोन के जोड़ पर इलियोसीकल वॉल्व पाया जाता है जो भोजन को फिर से छोटी आँत में जाने से रोकता है।
– अधोगामी कोलोन मलाशय (Rectum) से होते हुए अंत में मलद्वार (Anus) के द्वारा शरीर के बाहर खुलता है।
मानव पाचन तंत्र
B. पाचक ग्रंथियाँ [Digestive Glands]
• वे ग्रन्थियाँ जो आहरनाल में भोजन के पाचन में सहायक हो पाचक ग्रंथियाँ कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है-
(1) आन्तरिक पाचक ग्रन्थियाँ
[Internal Digestive Glands]
• यह आहारनाल की दीवार में उपस्थित ग्रंथियाँ होती है।
जैसे – श्लेष्म ग्रन्थियाँ, जठर ग्रंथियाँ, आँत दीवार में उपस्थित ब्रूनर्स ग्रंथियाँ आती है।
(2) बाह्य पाचक ग्रन्थियाँ
[External Digestive Glands]
• यह आहार नाल के अलावा शरीर के अन्य भागों में पाई जाने वाली ग्रन्थियाँ है।
• मानव में यह तीन बाह्य पाचक ग्रन्थियाँ पाई जाती है–
(A) लार ग्रन्थियाँ [Salivary Glands] – इसमें तीन जोड़ी लार ग्रंथियाँ पाई जाती है-
– अधोजिह्वा ग्रन्थि (sublingual Gland) – जिह्वा के दोनों ओर एक -एक संख्या में उपस्थित होती है।
– अधोजंभ ग्रन्थि (Submaxillary Gland) – यह निचले जबड़े के मध्य में मैक्सिला अस्थि के दोनों ओर एक-एक की संख्या में उपस्थित होती है।
– कर्णपूर्व ग्रन्थि (Parotid Gland) – यह कानों के नीचे एक-एक की संख्या में उपस्थित होती है।
– इन ग्रन्थियों से लार मुखगुहा में पहुँचती है।
– लार में लगभग 99% जल तथा शेष 1% एंजाइम होता है। लार में दो एंजाइम पाए जाते है- टायलिन व लाइसोजाइम यह पाचन में सहायता करते है।
(B) यकृत [Liver]
– यह उदरगुहा के ऊपरी भाग में दायींओर स्थित होता है जिसका वजन 1.2 से 1.5 किग्रा के बीच होता है। यह गहरे धुसर रंग का होता है।
– यह मानव शरी
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अंतिम शब्द –
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