Indian Economy by Ramesh Singh ( 5 ) भारत में राष्ट्रीय आय नोट्स : इस सीरीज में हम आपके लिए Economy of India For Upsc अर्थात भारतीय अर्थव्यवस्था के नोट्स टॉपिक अनुसार अलग-अलग पोस्ट के माध्यम से लेकर आएंगे ताकि प्रत्येक टॉपिक को आप आसानी से एवं सरल भाषा में पढ़ सके आज हम इसमें आपको भारत में राष्ट्रीय आय के बारे में बताने वाले हैं इस टॉपिक से बहुत बार परीक्षा में प्रश्न पूछे जा चुके हैं
भारतीय अर्थव्यवस्था ( Economy of India ) सिविल सर्विस परीक्षा ( UPSC ) की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण विषय है जिसे हम संपूर्ण विषय को नोट्स के माध्यम से कर करेंगे ताकि इस विषय के लिए आपकी तैयारी शानदार हो सके
Indian Economy by Ramesh Singh ( 5 ) भारत में राष्ट्रीय आय नोट्स
राष्ट्रीय आय की परिभाषा–
● किसी देश में एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित समस्त वस्तुओं एवं सेवाओं के अंतिम मूल्य को राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
● इसमें एक देश के निवासियों द्वारा घरेलू सीमा में या इसके बाहर उत्पादित की गई वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य को सम्मिलित किया जाता है।
● इसमें विदेशों से प्राप्त की गई शुद्ध साधन आय को भी सम्मिलित किया जाता है।
भारत में राष्ट्रीय आय–
● भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की गणना 1868 में दादाभाई नौरोजी द्वारा की गई। अपनी पुस्तक ‘पॉवर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया’ में उन्होंने प्रति व्यक्ति आय 20 रुपये प्रतिवर्ष बताई।
● 1931–32 में वी. के. आर. वी. राव द्वारा सर्वप्रथम वैज्ञानिक आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की गई।
● वी. के. आर. वी. राव ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “The National Income of British India” में पहली बार राष्ट्रीय आय की गणना की।
● अगस्त, 1949 में राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष पी. सी. महालनोबिस थे।
● 2 मई, 1951 को केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन (central statistical organization) CSO का गठन किया गया।
● वर्ष 1949 में सांख्यिकीय एवं क्रियान्वयन मंत्रालय का गठन किया गया था। इसी के अंतर्गत केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) का गठन 1951 में किया गया।
● 23 मई, 2019 को NSSO और CSO के विलय के माध्यम से राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (national statistical office – NSO) के गठन को मंजूरी दी गई।
● राष्ट्रीय आय की गणना पहले CSO के द्वारा की जाती थी, अब गणना NSO के द्वारा की जाती है।
CSO का गठन–02 मई, 1951
मुख्यालय– नई दिल्ली
● 1 जून, 2005 में सरकार ने सांख्यिकी विधेयक पास करके राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (National commission for statistic–NCS) का गठन किया गया। इसका गठन रंगराजन समिति की सिफारिश पर किया गया।
विभिन्न राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग
पहला आयोग | वर्ष 2006 | सुरेश डी. तेंदुलकर |
दूसरा आयोग | वर्ष 2009 | प्रो. आर. राधाकृष्णन |
तीसरा आयोग | वर्ष 2013 | डॉ. प्रणब सेन |
चौथा आयोग | वर्ष 2016 | डॉ. राधा बिनोद बर्मन |
पाँचवा आयोग | वर्ष 2019 | प्रो. बिमल कुमार रॉय |
राष्ट्रीय आय की गणना करते समय निम्नलिखित बिन्दुओं का ध्यान
रखना होता है–
1.राष्ट्रीय आय का मापन मुद्रा के रूप में किया जाता है।
2. राष्ट्रीय आय की गणना प्रचलित बाजार मूल्य पर की जाती है।
3. गतवर्ष का उत्पादन राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।
4. गतवर्ष का स्टॉक राष्ट्रीय आय का हिस्सा नहीं होता है।
5. पेंशन, वजीफा, भत्ता आदि हस्तान्तरण भुगतानों को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता हैं।
6. राष्ट्रीय आय में देश के साधारण निवासियों द्वारा विदेशों में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य को भी शामिल किया जाता है।
7. ब्याज प्राप्तियाँ
8. उधारियों की पुन: प्राप्ति राष्ट्रीय आय का हिस्सा नहीं है।
9. लॉटरी व सट्टेबाजी से प्राप्त आय राष्ट्रीय आय का हिस्सा नहीं होती हैं।
10. शेयरों की बिक्री से प्राप्त आय राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं होती है।
11. पुरानी वस्तुओं की बिक्री से प्राप्त आय राष्ट्रीय आय का हिस्सा नहीं है।
12. कम्पनियों द्वारा दिया जाने वाला लाभांश राष्ट्रीय आय का हिस्सा होगा।
13. भारत में विदेशी कम्पनियों द्वारा अर्जित लाभ राष्ट्रीय आय का हिस्सा नहीं होगा।
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अंतिम शब्द –
उम्मीद करते हैं इस पोस्ट में हमने Indian Economy by Ramesh Singh ( 5 ) भारत में राष्ट्रीय आय नोट्स टॉपिक के लिए आपको नोट्स उपलब्ध करवाए हैं यह आपको अच्छे लगे होंगे और आशा करते हैं यह आपको आपकी आगामी परीक्षा में जरूर काम आएंगे इसलिए अन्य विद्यार्थियों तक भी आप इसे जरूर शेयर करेंशेयर करने के लिए पोस्ट के ऊपर शेयर बटन पर क्लिक करें