अगर आपके सिलेबस में विश्व का भूगोल विषय है तो इस पोस्ट में हम सौरमंडल से संबंधित आपको शानदार नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं जिसमें कंप्लीट ब्रह्मांड टॉपिक को आप कवर कर सकते हैं आपको ऐसे नोट्स शायद फ्री में कहीं नहीं देखने को मिलेंगे | ब्रह्मांड के इस टॉपिक में आपको आकाशगंगा , सौरमंडल जैसे टॉपिक भी विस्तार से पढ़ने के लिए मिलेंगे
आप इन नोटिस को पीडीएफ फॉर्मेट में डाउनलोड भी कर सकते हैं एवं प्रिंट भी निकलवा सकते हैं संपूर्ण पीडीएफ केवल हिंदी भाषा में प्रकाशित है
ब्रह्मांड के बारे में जाने
● सामान्य रूप से पृथ्वी, ग्रहों, उपग्रहों, सौरमण्डल, तारों एवं आकाश गंगाओं के सम्मिलित पुंज को ‘ब्रह्माण्ड’ की संज्ञा दी जाती है।
जीयोसेन्ट्रिक अवधारणा (भूकेन्द्रीय सिद्धांत)
● इस अवधारणा के तहत ‘क्लॉडियम टॉलमी’ ने पृथ्वी को सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का केन्द्र माना।
हेलियोसेन्ट्रिक अवधारणा (सूर्य क्रेन्द्रित)
· इस अवधारणा के तहत पोलैंड के “निकोलस कोपरनिक्स“(आधुनिक खगोल शास्त्र के जनक) ने बताया कि ब्रह्माण्ड के केन्द्र में सूर्य स्थित है तथा पृथ्वी व अन्य ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं।
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से सम्बन्धित सिद्धान्त
· बिग बैंग सिद्धांत – जॉर्ज लेमैंतेयर
· साम्यावस्था सिद्धांत – थॉमस गोल्ड एवं हर्मन बांडी
· दोलन सिद्धान्त – डॉ. एलन संडेज
आकाशगंगा
· ब्रह्माण्ड में लगभग 100 अरब आकाशगंगाएँ है। आकाशगंगा असंख्य तारों का एक विशाल पुंज होता है। प्रत्येक आकाशगंगा में लगभग 100 अरब तारे होते हैं।
· बल्ज – आकाशगंगा के केन्द्र को कहा जाता है।
· हमारी आकाशगंगा को मंदाकिनी कहा जाता है। इसकी आकृति सर्पिल है।
· मिल्की वे – मंदाकिनी का भाग जो रात में दिखाई देती है।
· सूर्य- मंदाकिनी का एक तारा है
· प्रोक्सिमा सेन्चुरी – सूर्य के निकटतम तारा
सौरमण्डल
· सूर्य एवं उसके चारों ओर भ्रमण करने वाले 8 ग्रह, 205 उपग्रह, धूमकेतु, उल्काएँ एवं क्षुद्रग्रह संयुक्त रूप से ‘सौरमण्डल‘ कहलाता है
सूर्य
· सूर्य जो कि सौरमण्डल का जन्मदाता है यह एक तारा है जो ऊर्जा और प्रकाश प्रदान करता है।
· सौर परिवार के द्रव्यमान 99.8 प्रतिशत सूर्य में निहित है।
· प्रकाश मण्डल – सूर्य का वह भाग जो हमे आँखों से दिखाई देता है।
· सौर कलंक – सूर्य की सतह पर स्थित काले धब्बे।
· क्रोड – सूर्य का आंतरिक भाग जहाँ नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया होती है।
ग्रह
· तारों की परिक्रमा करने वाले प्रकाश रहित आकाशीय पिण्ड को “ग्रह” कहा जाता है।
· ये सूर्य से ही निकले हुए पिण्ड है तथा सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
· सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा पश्चिम से पूर्व दिशा में करते हैं, परन्तु ‘शुक्र’ व ‘अरुण’ इसके अपवाद है जो पूर्व से पश्चिम दिशा में परिक्रमण करते हैं।
· सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह ‘बृहस्पति’ और सबसे छोटा ग्रह ‘बुध’ है।
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Language | Hindi |
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अंतिम शब्द –
उम्मीद करते हैं [ World Geography ] विश्व का भूगोल : ब्रह्मांड से संबंधित नोट्स को पढ़ने के बाद आपको यह टॉपिक अच्छे से क्लियर हो जाएगा अगर आप अपनी तैयारी ऐसे ही शानदार नोट्स के साथ निरंतर करना चाहते हैं तो हम आपके लिए इस वेबसाइट पर बिल्कुल फ्री नोट्स उपलब्ध करवाते हैं