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Vision ias prelims test series 2024 ( 2 ) Pdf Download
प्रश्न.1 निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
1. किसी राज्य विशेष से राज्य सभा के लिए चुने जाने हेतु उम्मीदवार को उस विशेष राज्य का मतदाता होना चाहिए।
2. अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का कोई सदस्य लोक सभा की ऐसी सीट पर चुनाव नहीं लड़ सकता जो उसके लिए आरक्षित न हो।
3. भारतीय संविधान की चौथी अनुसूची के अनुसार राज्य सभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटें आरक्षित हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही नहीं हैं ?
(a) 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 1 और 2
व्याख्या –
संविधान किसी व्यक्ति को संसद का सदस्य चुने जाने के लिए निम्नलिखित अर्हताएं निर्धारित करता है:
- उसे भारत का नागरिक होना चाहिए।
- उसे इस उद्देश्य के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान करना होगा और उस पर अपना हस्ताक्षर करना होगा।
- राज्य सभा में स्थान के लिए उसकी आयु 30 वर्ष से कम और लोकसभा में स्थान के लिए उसकी आयु 25 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।
- उसके पास संसद द्वारा बनाई गई अन्य अर्हताएं होनी चाहिए।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (1951) में संसद ने निम्नलिखित अतिरिक्त अर्हताएं निर्धारित की हैं:
- उसे संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहिए। यह राज्य सभा और लोक सभा दोनों के मामले में समान है।
- किसी विशेष राज्य से राज्य सभा के लिए चुने जाने के लिए उम्मीदवार को उस विशेष राज्य का मतदाता होने की अर्हता 2003 में समाप्त कर दी गई। इसलिए कथन 1 सही नहीं है।
- यदि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य लोकसभा में उनके लिए आरक्षित स्थान से चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे किसी भी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य होना चाहिए।
- हालांकि, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य ऐसे स्थान से भी चुने जा सकते हैं जो उनके लिए आरक्षित नहीं है। इसलिए कथन 2 सही नहीं है।
- राज्य सभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए स्थान आरक्षित नहीं है। इसलिए कथन 3 सही नहीं है।
- इसके अलावा, भारतीय संविधान की चौथी अनुसूची में राज्य सभा में राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों के लिए स्थानों के आवंटन के संबंध में प्रावधान किए गए है।
प्रश्न. 2 उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
1. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उसी आधार पर हटाया जा सकता है जिस आधार पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जा सकता है।
2. उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को संबंधित राज्य के राज्यपाल के आदेश से हटाया जाता है।
3. न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने से संबंधित प्रक्रिया को विनियमित करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं ?
(a) केवल 2 और 3
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
व्याख्या –
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को राष्ट्रपति के आदेश से हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति द्वारा हटाये जाने का आदेश तभी जारी किया जा सकता है जब संसद द्वारा उन्हें इस तरह के निष्कासन के लिए समावेदन प्रस्तुत किया गया हो। समावेदन को संसद के प्रत्येक सदन के विशेष बहुमत द्वारा समर्थित होना चाहिए। इसलिए कथन 2 सही नहीं है।
- उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश को हटाने के केवल दो आधार हैं- साबित कदाचार या असमर्थता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उसी रीति से और उसी आधार पर हटाया जा सकता है जिस प्रकार से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जा सकता है। इसलिए कथन 1 सही है।
- न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया का विवरण न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 में दिया गया है। इसलिए कथन 3 सही है।
यह अधिनियम पद से हटाने के लिए निम्नलिखित कदम निर्धारित करता है:
कार्यवाही शुरू करने के लिए :
- लोकसभा के कम से कम 100 सदस्य अध्यक्ष को हस्ताक्षरित नोटिस दे सकते हैं, या,
- राज्यसभा के कम से कम 50 सदस्य सभापति को हस्ताक्षरित नोटिस दे सकते हैं।
- अध्यक्ष या सभापति व्यक्तियों से परामर्श कर सकते हैं और नोटिस से संबंधित प्रासंगिक सामग्री की जांच कर सकते हैं। इसके आधार पर, वह प्रस्ताव को स्वीकृत या अस्वीकृत करने का निर्णय ले सकते हैं। महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में शुरू किया जा सकता है।
- याद प्रस्ताव ग्रहण कर लिया जाता है, ता अध्यक्ष या सभापात (जा इस प्राप्त करते हैं) आरापा का जाच के लिए तान सदस्याय समिति का गठन करेंगे। इसमें शामिल होंगे: (i) उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति और अन्य न्यायाधीशों में से एक सदस्य; (ii) उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपतियों में से एक सदस्य; और (ii) एक विशिष्ट विधिवेत्ता।
- जाँच की समाप्ति के बाद, समिति अपनी रिपोर्ट अध्यक्ष या सभापति को प्रस्तुत करेगी, जो रिपोर्ट को संसद के संबंधित सदन के समक्ष प्रस्तुत करेगा। यदि रिपोर्ट में साबित कदाचार या असमर्थता का पता चलता है, तो हटाने के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा और बहस की जाएगी।
हटाने के प्रस्ताव को संसद के प्रत्येक सदन द्वारा अंगीकृत किया जाना आवश्यक है:
- उस सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत; तथा
- उस सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों के बहुमत द्वारा।
यदि एक सदन में प्रस्ताव अंगीकृत हो जाता है तो प्रस्ताव को दूसरे सदन में अंगीकृत किये जाने हेतु पारेषित किया जाता है।
दोनों सदनों में प्रस्ताव के एक बार अंगीकृत किये जाने के पश्चात्, इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है, जो न्यायाधीश को हटाने का आदेश जारी करेगा।
ऐसे ही इस टेस्ट सीरीज में 100 प्रश्नों को शामिल किया गया है जिसमें आप व्याख्या सहित उत्तर के साथ प्रैक्टिस कर सकते हैं
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अंतिम शब्द –
यूपीएससी की तैयारी करने वाले विद्यार्थी Vision ias prelims test series 2024 ( 2 ) Pdf Download सीरीज में शामिल प्रश्नों को जरुर पढ़ ले प्रत्येक टेस्ट सीरीज में 100 प्रश्न दिए हुए हैं एवं उत्तर के साथ-साथ आपको प्रश्न की व्याख्या भी पढ़ने के लिए मिलती है
Is test series is also available in english