भारतीय इतिहास एक ऐसा विषय है जो लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है अगर आप यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो हम आपके लिए Ncert Class 11 History Book Notes उपलब्ध करवा रहे हैं यह नोट्स कक्षा 6 से 12 पर आधारित है इसलिए इस पोस्ट में हमने आपके लिए NCERT Indian History Notes Pdf ( 1 ) : यूरोपीय कंपनियों का भारत आगमन के नोट्स नीचे उपलब्ध करवा दिए हैं
उम्मीद करता हूं इन नोट्स को पढ़कर आपका यह टॉपिक अच्छे से क्लियर हो जाएगा क्योंकि हम आपके लिए बेहतरीन से बेहतरीन नोट्स उपलब्ध करवाने की कोशिश करते हैं
NCERT Indian History Notes Pdf ( 1 ) : यूरोपीय कंपनियों का भारत आगमन
· 1453 ई.में कुस्तुन्तुनिया पर तुर्की का अधिकार हो गया, जिससे भारत व यूरोप के मध्य सम्पर्क का स्थल मार्ग अवरुद्ध हो जाने से भौगोलिक खोजों को प्रोत्साहन मिला ‘तत्पश्चात नवीन जल स्रोतों की खोज आरंभ हुई।
·नवीन जल स्रोतों की खोज से भारत व यूरोप के व्यापारिक संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
भारत आगमन का मुख्य उद्देश्य
1.भारत से धन/साधन/प्राप्त करना
2.धर्म का प्रसार (ईसाई धर्म का प्रचार)
3.गर्म मसालों सहित विभिन्न वस्तुओं का व्यापार करना।
·बार्थोलोम्यु डियाजको पुर्तगाली शासक जॉन द्वितीय ने यात्रा पर भेजा, इन्होंने सुदूर अफ्रीकी तट पर Cape of Storm (तुफानी अन्तरीप) की खोज 1488 में की। जिसे तत्कालीन शासक ने Cape of Good Hope(उत्तम आशा अंतरीप)नाम दिया।
·भारत में यूरोपीय कंपनियों के आगमन का क्रम इस प्रकार है–

1.पुर्तगाली
· प्रथम पुर्तगाली यात्री वास्को-डी-गामा था जिसने यूरोप से भारत के समुद्री रास्ते की खोज1498 ई.में की। (पुर्तगाली भारत में सबसे पहले 1498 ई. में आये व सबसे अंत में 1961 में गये)
· वास्को-डी-गामा एक भारतीय यात्रीअब्दुल मनीककी सहायता से भारत पहुँचा।
· वास्को-डी-गामा ने 17 मई, 1498 को पश्चिम तट केकालीकट बन्दरगाहपर पहुँचा।
· कालीकट (कोझीकोट) के हिन्दू शासकजमोरिनने स्वागत किया।
· वास्को डी-गामा को अपने व्यापार में60 गुना फायदाहुआ, जिससे अन्य पुर्तगाली व्यापारियों को प्रोत्साहन मिला।
· 1500 ई. मेंपेट्रो अल्वारेज क्रेबालदूसरा पुर्तगाली यात्री जो भारत पहुँचा।
· 1502 में वास्को डी-गामा ने दूसरी बार भारत की यात्रा की
· तीसरी बार यात्रा के दौरान 1524 ई. में कोचीन/कोच्चि में वास्को-डी-गामा की मृत्यु हो गई।
· पुर्तगालियों ने 1503 ई. मेंकोचीनमें अपनीपहली व्यापारिक कोठी(फैक्ट्री) की स्थापना की।
· 1505 ई. मेंफ्रांसिस्को डी अल्मेडाको भारत मेंप्रथम पुर्तगाली गवर्नरबनाया गया।
· दूसरी पुर्तगाली फैक्ट्री 1505 ई. में कन्नूर में स्थापित की।
· फ्रांसिस्को-डी-अल्मेडा नेशान्त जल की नीति (ब्लू वॉटर पॉलिसी)अपनाई इस नीति का मुख्य उद्देश्य भारत व व्यापारिक एकाधिकार बनाये रखने हेतु समुद्र पर नियंत्रण रखना था। (पुर्तगाली स्वयं को समुद्र का स्वामी कहते थे)
· भारत में पुर्तगाली शक्ति का वास्तविक संस्थापकअल्फांसो-डी-अल्बुकर्कथा, जो 1509 ई. में भारत आया।
· भारत में दूसरा पुर्तगाली गवर्नरअल्फांसो-डी-अल्बुकर्कथा।
· 1510 ई. में अल्बुकर्क नेकृष्णदेव रायके कहने पर बीजापुर के शासक युसुफ आदिल से गोवा छीन लिया। बाद में 1530 ई. में गोवा पुर्तगाली व्यापारिक केन्द्रों की राजधानी बनी।
· 1530 ई. मेंनीनो-डी-कुन्हाने कोचीन से राजधानी गोवा स्थानान्तरित की।
·इनक्विजिशन –पुर्तगालियों द्वारा स्थापितधार्मिक न्यायाधिकरणथे।
· अल्बुकर्क ने पुर्तगालियों को भारतीय महिलाओं से विवाह करने हेतु प्रेरित किया।
· अल्बुकर्क ने पुर्तगाल को भारत में सबसे शक्तिशाली समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित किया।
· बंगाल के शासकमहमूद शाहने 1534 ई. में पुर्तगालियों को चटगाँव में फैक्ट्री खोलने की अनुमति दी।
· पुतगाली गवर्नर मार्टिन अल्फांसो-डी-सूजा के साथ प्रसिद्ध जेसुइट सेंट जेवियर 1542 ई. में भारत आया।
·कार्टज –समुद्र में किसी भी गतिविधियों के लिए पुर्तगालियों से अनुमति लेने हेतु दस्तावेज था।
· पुर्तगालियों का साम्राज्य“एस्तादो द इण्डिया”कहलाता था।
· पुर्तगाली चटगाँव बन्दरगाह कोपोर्टो ग्रान्डे(महान बन्दरगाह) कहते थे।
·आर्मेडा सिस्टम –पुर्तगाली भारतीय जहाजों को अपने जहाज के साथ ही समुद्र में भेजते थे तथा भारतीय जहाजों को समुद्र में सुरक्षा प्रदान करते थे।
पुर्तगालियों का भारत में प्रभाव–
1. पुर्तगालियों ने 1556 ई. में गोवा में प्रथम प्रिटिंग प्रेस की स्थापना की।
2. पुर्तगालियों ने भारत में स्थापत्य कला की गौथिक शैली प्रारम्भ की।
3. पुर्तगालियों ने भारत में जहाजों का निर्माण शुरू किया।
4. भारत में तम्बाकु, अफीम, मस्का, आलु की खेती प्रारम्भ की।
5. भारत में इसाई मिशनरियों का आगमन।
·पुर्तगालियों का भारत में स्थायित्व प्राप्त नहीं करने के कारण–
1. पुर्तगाली धार्मिक रूप से असहिष्णु थे।
2. अरब यात्रियों ने इनका विरोध किया।
3. पुर्तगाली जबरन धर्मान्तरण करवाते थे।
4. इनका ध्यान दक्षिण अमेरिका पर लगा था क्योंकि उन्हें ब्राजील में सोने की खान मिल गई।
2. डच (हॉलैण्ड)–
· पहला डच यात्री जो भारत आया-कार्नेलिस- डे-हाउटमेन
·1602 ई.मेंडच ईस्ट इण्डिया कम्पनीकी स्थापना की तथा 1605 ई. मेंमसूलीपट्टनम(आन्ध्रप्रदेश) मेंपहली फैक्ट्रीकी स्थापना की।
· भारत में डचों का मुख्य उद्देश्य कालीमिर्च व मसालों के व्यापार पर एकाधिकार करना था।
· 1641 ई. में डचों ने पुर्तगालियों से मलक्का छिन लिया।
· भारत मेंडचों का मुख्यालय नागपट्टनममें था।
· 1653 ई. में चिनसूरा (बंगाल) में फैक्ट्री स्थापित की, इस फैक्ट्री कोगुस्तावस फोर्टकहा जाता था।
· चिनसुरा में डचों ने 1653 ई. में गुस्तावुस नामक किले का निर्माण किया तथा 1663 ई. में पुर्तगालियों को पराजित कर कोच्चि मेंफोर्ट विलियमनामक किले का निर्माण किया।
· 1759 ई. में अंग्रेजों ने हुगली के निकटवेदरा का युद्धमें डचों को पराजित किया।
· डच अंग्रेजों के सामने नहीं टिक पाये वइण्डोनेशियापर अपना ध्यान केन्द्रित किया।
3. अंग्रेज
· 1599 मेंजॉन मिडेनहॉलनामक ब्रिटिश यात्री थल मार्ग से भारत पहुँचा, वह 7 वर्ष तक भारत रहा।
· भारत में यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों में सर्वाधिक सफलता अंग्रेजों को मिली।
· 31 दिसम्बर, 1600 कोईस्ट इण्डिया कम्पनीकी स्थापना की। (द कम्पनी एण्ड गवर्नर ऑफ मर्चेन्ट्स ऑफ लन्दन ट्रेडिंग इन टू द ईस्ट इण्डिज)
· शुरुआत में महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने 15 वर्ष का अधिकार पत्र प्रदान किया, जिसे बाद में जेम्स प्रथम ने 1609 ई. में अनिश्चित काल तक बढ़ा दिया तथा यह भी प्रावधान किया कि इसे 2 वर्ष पूर्व सूचना देकर समाप्त भी किया जा सकता था (कालांतर में इसे 20-20 वर्षों के लिए बढ़ाया गया)
· ईस्ट इण्डिया कम्पनी एक निजी कम्पनी थी, जिसमें 217 शेयर होल्डर्स थे।
·कम्पनी का नारा –भू भाग नहीं व्यापार था।
· 1608 ई. में कम्पनी प्रतिनिधि के रूप मेंकैप्टन हॉकिन्सहैक्टर नाम जहाज से सूरत पहुँचा तथा मुगल बादशाह जहाँगीर से आगरा में मिलने आया।
· हॉकिन्स फारसी/तुर्की भाषा का जानकार था, जहाँगीर ने इसे 400 का मनसब दिया, परन्तु व्यापारिक रियायतें नहीं दी।
· 1608 ई. में सूरत मेंप्रथम फैक्ट्रीकी स्थापना की।
· 1612 ई. में कैप्टन बेस्ट द्वारा सूरत बन्दरगाह को जीतकर पुर्तगालियों का एकाधिकार समाप्त कर दिया।
· 1611 ई. मेंमसूलीपट्टनममें फैक्ट्री की स्थापना की जो अंग्रेजों की पूर्वी तट पर प्रथम फैक्ट्री थी।
· सर टॉमस रो 1616 ई. में जहाँगीर से अजमेर में मिला तथा तीन वर्ष तक मुगल दरबार में रहने के बाद मुगल साम्राज्य में व्यापार की अनुमति प्राप्त हुई। (टॉमस रो की पुस्तक – पूर्वी द्वीपों की यात्रा)
· 1632 ई. में गोलकुण्डा के सुल्तान ने 500 पैगोडा वार्षिक के बदलेसुनहरा फरमानदिया।
· 1633 ई. में पूर्वी तट परहरिहर (उड़ीसा)में फैक्ट्री की स्थापना की।
· अंग्रेजों (फ्रांसीस डे) ने चन्द्रगिरि के राजा दरमेला वेंकटप्पा से चेन्नई (चैन्ने) नामक गाँव खरीदा तथा 1639 ई. में मद्रास में फैक्ट्री की स्थापना की तथा 1641 ई. मेंफोर्ट सेंट जॉर्जबनाया जो भारत में अंग्रेजों का प्रथम किला एवं प्रथम प्रेसीडेन्सी थी।
· मद्रास फैक्ट्री का संस्थापकफ्रांसिस डेथा।
· 1651 ई. में ग्रेवियन वाटन ने शाहशुजा से अनुमति लेकर हुगली नामक स्थान पर प्रथम अंग्रेज कारखाने की स्थापना की।
· 1661 ई. में पुर्तगाली राजकुमारी कैथरीन ब्रैंगाजा का विवाह इंग्लैण्ड के राजकुमार चार्ल्स द्वितीय से हुआ जिसमें बॉम्बे दहेज में दिया गया। (दस पौंड के वार्षिक किराये पर चार्ल्स द्वितीय ने ईस्ट इण्डिया कंपनी को दे दिया)
·गैराल्ड आंगियारको बॉम्बे का संस्थापक माना जाता है तथा उन्होंने 1668 ई. में बॉम्बे में फैक्ट्री की स्थापना की।
· कम्पनी ने जमींदार इब्राहिम खाँ से 1200 रुपये में सुतानाती, कलिकाता तथा गोविन्दपुर को मिलाकर आधुनिक कलकत्ता की नींव तथा 1699 में जॉब चारनाक ने नींव डाली वफोर्ट विलियमका किला बनाया।
· 1700 ई. मेंचार्ल्स आयरको कलकत्ता (फोर्ट विलियम) का पहला गवर्नर बनाया गया।
· 1717 ई. मेंजॉन सर्मनके नेतृत्व में एक दूत मण्डल मुगल बादशाह फर्रुखसियर से मिला जिसमें डॉ. विलियम हैमिल्टन था, जिसने बादशाह को भयानक बिमारी से मुक्ति दिलाई तत्पश्चात् बादशाह ने फरमान जारी कर व्यापारिक रियासतें दी–
(i) 10,000 रु. में सूरत बन्दरगाह से व्यापार की छूट
(ii) 3000 रु वार्षिक से बंगाल में व्यापार की छूट
(iii) कलकत्ता में 38 गाँवों की भूमि
(iv) अंग्रेजों के बॉम्बे टकसाल के सिक्कों को मान्यता
नोट :–इतिहासकार और्म ने फर्रुखसियर के फरमान को कम्पनी का मैग्नाकार्टा कहा है।
· ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी का मुख्यालय– कलकत्ता
4. डेनिश
· डेनमार्क की ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना –1616 ई.में
· कम्पनी ने 1620 में त्रेंकोबार (तमिलनाडु) में व्यापारिक कोठी स्थापित की तथा 1676 में सीरामपुर (बंगाल) में भी व्यपारिक कोठी स्थापित की थी।
· कम्पनी का मुख्यालय-सीरामपुर(बंगाल)
· 1845 ई. को डेनमार्क ने कंपनी को अंग्रेजों को बेच दिया।
5. फ्रांसीसी
· सन्1664 ई.में लुई चौदहवे के मंत्री कोलबर्ट नेफ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनीकी स्थापना की।
· यह एक सरकारी कम्पनी थी।
· 1668 ई. में फ्रैंको कैरो नेसूरतमें पहली फैक्ट्री स्थापित की।
· 1669 ई. मेंमसुलीपट्टनममें दूसरी फैक्ट्री की स्थापना की।
· 1673 ई. में फ्रैंको मार्टिन ने पुद्दुचेरी गाँव में पॉण्डिचेरी नामक फ्रेंच बस्ती बसाई।
· यहाँ परफोर्ट लुईकी स्थापना की तथा कंपनी का मुख्यालय स्थापित किया।
· बंगाल मेंचन्द्रनगर बस्तीबनाई जिसे गुस्टावुस फोर्ट भी कहा जाता था।
· पॉण्डिचेरी पर 1693 ई. में डचों ने अधिकार कर लिया परन्तु 1697 ई. मेंरिजविक संधिके तहत पॉण्डिचेरी को फ्रांसीसीयों को वापस लौटाना पड़ा।
· अंग्रेज-फ्रांसीसी संघर्ष –कोरोमण्डल तट पर स्थित कर्नाटक के लिए अंग्रेजों व फ्रांसीसी कम्पनी के बीच तीन युद्ध हुए।
· प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-1748 ई.)
– तात्कालिक कारण – अंग्रेज कैप्टन बर्नेट द्वारा फ्रांसीसी जहाजों पर अधिकार कर लेने के कारण (यह युद्ध ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार युद्ध का परिणाम था)
– फ्रांसीसी गवर्नर डुप्ले व लॉ बूर्दने ने मिलकर मद्रास को घेर लिया।
–एक्स-ला-शॉपेल (1748 ई.)की संधि द्वारा युद्ध समाप्त हुआ।
· दूसरा कर्नाटक युद्ध (1749-1754 ई.)
– कारण – कर्नाटक व हैदराबाद के उत्तराधिकार को लेकर
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अंतिम शब्द –
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