जब भी आप सामान्य ज्ञान के लिए एनसीईआरटी की किताबें पढ़ेंगे तो उसमें आपको कक्षा 7 की इतिहास की बुक में क्षेत्रीय संस्कृति का निर्माण चैप्टर पढ़ने को मिलेगा इस पोस्ट में हम आपको Ncert History Notes PDF : 18वीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन के ऐसे नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं जो शायद आपने कभी नहीं पढ़े होंगे इस अध्याय को आप शार्ट तरीके से तैयार करने के लिए इन नोट्स को पढ़ सकते हैं
Ncert Indian History के ऐसे नोट्स हम आपके लिए टॉपिक वाइज लेकर आते हैं ताकि आप प्रत्येक टॉपिक को अच्छे से क्लियर कर सके
Ncert History Notes PDF : 18वीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन
• 765 ई. तक एक अन्य शक्ति यानी ब्रिटिश सत्ता ने पूर्वी भाग के बड़े-बड़े हिस्सों को सफलतापूर्वक हड़प लिया था।
• इसके कई कारण रहे थे। मोटे तौर पर 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु थी। 1761 ई. में पानीपत का तीसरा युद्ध हुआ। औरंगजेब के उत्तराधिकारियों के शासनकाल में साम्राज्य के प्रशासन की कार्यकुशलता समाप्त होने लगी थी।
नादिरशाह औरअहमदशाहअब्दालीके आक्रमण
• ईरान के शासक नादिरशाह ने 1739 ई. में दिल्ली पर आक्रमण किया। इसके बादशाह अहमदशाह अब्दाली के आक्रमणों का ताँता लगा रहा।
• उसने तो 1748-1761 ई. के बीच पाँच बार उत्तर-भारत पर आक्रमण किया और लूटपाट मचाई।
फर्रुखसियर औरआलमगीर द्वितीय
• 1713-1719 ई. तथा 1754-1759 ई. में दो मुगल बादशाहों फर्रुखसियर तथा आलमगीर द्वितीय की हत्या कर दी गई।
• जो अन्य बादशाहों, अहमदशाह (1748-1754 ई.) और शाह आलम द्वितीय को उनके अभियानों ने अँधा कर दिया।
नए राज्योंका उदय
• मुगल सम्राटों की सत्ता के पतन के साथ-साथ बड़े प्रांतों के सूबेदारों और बड़े जमींदारों ने उपमहाद्वीप के विभिन्न भागों में अपनी शक्ति और प्रबल बना ली।
• मोटे तौर पर 18 वीं शताब्दी के राज्यों को तीन समूहों में बाँटा जा सकता हैं–
– अवध बंगाल एवं हैदराबाद जैसे वे राज्य जो पहले मुगल प्रांत थे।
– ऐसे राज्य जो मुगलों के पुराने शासनकाल में वेतन जागीरों के रूप में काफी स्वतंत्र थे।
– तीसरी श्रेणी में मराठों, सिक्खों तथा जाटों के राज्य आते हैं।
पुराने मुगल प्रांत
• पुराने मुगल प्रांतों से जिन ’उत्तराधिकारी’ राज्यों का उद्भव हुआ।
उनमें से तीन राज्य प्रमुख थे–
(i) अवध – संस्थापक – सआदत खान,
(ii) बंगाल – संस्थापक – मुर्शीद कुली खान,
(iii) हैदराबाद–संस्थापक – आस़फजाह।
राजपूतों कीवतन जागीरी
• बहुत से राजपूत घराने विशेष रूप से अम्बर और जोधपुर के राजघराने मुगल व्यवस्था में विशिष्टता के साथ सेवारत थे। बदले में उन्हें अपनी वतन जागीरों पर पर्याप्त स्वायत्तता का आनन्द लेने की अनुमति मिली हुई थी।
सिक्ख
• 17वीं शताब्दी के दौरान सिक्ख एक राजनीतिक समुदाय के रूप में गठित हो गए।
• गुरुगोविन्द सिंह ने 1699 ई. में खालसा पंथ की स्थापना से पूर्व मुगलों से और राजपूतों के खिलाफ लड़ाइयाँ लड़ी।
• 1708 ई. में गुरुगोविन्द सिंह की मृत्यु के बाद बन्दा बहादुर के नेतृत्व में ‘खालसा’ ने मुगल सत्ता के खिलाफ विद्रोह किए।
• 18वीं शताब्दी में एक शासक महाराजा रणजीत सिंह ने सिक्खों में फिर से एकता कायम करके 1799 ई. में लाहौर को अपनी राजधानी बनाया।
मराठा
• मराठा राज्य एक अन्य शक्तिशाली क्षेत्रीय राज्य था। जो मुगल शासन का लगातार विरोध कर रहा था। इसमें छत्रपति शिवाजी (1627-1680 ई.) ने मराठों को सुसंगठित किया।
चौथ
• जमींदारों द्वारा वसूला जाने वाला भू-राजस्व का 25% दक्कन में इनको मराठा वसूलते थे।
सरदेशमुखी
• दक्कन में मुख्य राजस्व संग्रहकर्ता को दिए जाने वाले भू-राजस्व का 9-10 प्रतिशत हिस्सा।
बाजीराव प्रथम
• बाजीराव प्रथम जो बाजीराव बल्लाल के नाम से जाने जाते हैं, पेशवा बालाजी विश्वनाथ के पुत्र थे। वे एक महान मराठा सेनापति थे। उन्हें विंध्य के पार मराठा राज्य के विस्तार का श्रेय प्राप्त है तथा वे मालवा, बूँदेलखण्ड, गुजरात और पुर्तगालियों के खिलाफ सैन्य अभियानों के लिए भी जाने जाते हैं।
जाट
• 17वीं और 18वीं शताब्दियों में जाट राज्य में अपनी सुदृढ़ सत्ता बनाई। जाट नेता चूड़ामन के नेतृत्व में दिल्ली पर भी इन्होंने नियंत्रण स्थापित किया।
• सूरजमल के द्वारा भरतपुर राज्य की स्थापना की गई।
• भरतपुर का प्रसिद्ध किला सभी किलों में मजबूत किला है इसका नाम लोहागढ़ है।
फ्रांसीसी क्रांति (1784-1794)
• अठारवीं शताब्दी में भारत की विभिन्न राज्य व्यवस्थाओं में जनसाधारण को अपनी-अपनी सरकारों के कार्यों में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं था। ऐसी स्थिति पश्चिमी दुनिया में अठारवीं शताब्दी के आखिरी दशकों तक बनी हुई थी। अमेरीकी (1776-1781) और फ्रांसीसी क्रांतियों ने इस स्थिति को और साथ-साथ अभिजात वर्ग के सामाजिक व राजनीतिक प्राधिकारों को चुनौती दी।
• फ्रांसीसी क्रांति के दौरान मध्य वर्ग, किसानों और शिल्पकारों ने पादरी गण और अभिजातों के विशेषाधिकारों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उनका मानना था कि समाज में किसी भी समूह के जन्मसिद्ध प्राधिकार नहीं होने चाहिए, बल्कि लोगों की सामाजिक स्थिति योग्यता पर निर्भर करनी चाहिए। फ्रांसीसी क्रांति के दार्शनिकों ने यह सुझाया कि सभी के लिए समान कानून और समान अवसर होने चाहिए। उनका यह भी कहना था कि सरकार की सत्ता लोगों से बननी चाहिए और जनता को सरकार के कार्यों में भूमिका अदा करने का अधिकार होना चाहिए। फ्रांसीसी और अमेरिकी क्रांतियों जैसे आंदोलनों ने धीरे-धीरे प्रजाओं को नागरिकों में बदल डाला।
• नागारिकता, राष्ट्रीय-राज्य एवं लोकतांत्रिक अधिकारों के विचारों ने भारत में उन्नीसवीं सदी के अंतिम दशकों से जड़ पकड़ी।
Download complete notes PDF…..
Download PDF
अगर आपकी जिद है सरकारी नौकरी पाने की तो हमारे व्हाट्सएप ग्रुप एवं टेलीग्राम चैनल को अभी जॉइन कर ले
अंतिम शब्द –
हम आपके लिए Ncert History Notes PDF : 18वीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन ऐसे ही टॉपिक वाइज Notes उपलब्ध करवाते हैं ताकि किसी अध्याय को पढ़ने के साथ-साथ आप हम से बनने वाले प्रश्नों के साथ प्रैक्टिस कर सके अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें