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Seasons in India : जब भी आप भारत का भूगोल विषय को पढ़ते हैं तो उसमें आप भारत में ऋतुएँ ( ग्रीष्म ऋतु , शीत ऋतु ) के बारे में जरूर पढ़ते होंगे | लेकिन किताबों में विस्तार से पढ़ने के लिए मिलता है इसलिए आज हम आपको क्लास रूम में तैयार किए गए शानदार नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं जिसमें आप भारत की सभी ऋतुओं के बारे में बहुत ही आसान एवं सरल भाषा में पढ़ सकते हैं 

यह नोट्स फ्री में आपको कहीं नहीं देखने को मिलेंगे इसलिए अगर आप घर पर रहकर किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो इन्हें नोट्स को आप जरूर पढ़ें एवं डाउनलोड करके प्रिंट भी निकलवा सकते हैं

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भारत में ऋतुएँ

मौसम-वैज्ञानिक वर्ष को चार ऋतुओं में बाँटा जा सकता है –

1. शीत ऋतु

2. ग्रीष्म ऋतु

3. दक्षिणी-पश्चिमी मानसून ऋतु (वर्षा ऋतु)

4. मानसून निवर्तन की ऋतु

1. शीत ऋतु

तापमान

· उत्तरी भारत में शीत ऋतु मध्य नवम्बर से प्रारंभ होती है। उत्तरी मैदान में जनवरी-फरवरी सर्वाधिक ठण्डे महीने होते हैं। इस समय उत्तरी भारत का औसत दैनिक तापमान 21° सेल्सियस से कम रहता है जबकि रात्रि का तापमान पंजाब और राजस्थान में हिमांक (0° सेल्सियस) से भी नीचा चला जाता है।

उत्तरी भारत में अधिक ठण्ड पड़ने के मुख्य रूप से तीन कारण है –

1. पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्य समुद्र के समकारी प्रभाव से दूर स्थित होने के कारण महाद्वीपीय जलवायु का अनुभव करते हैं।

2. निकटवर्ती हिमालय की श्रेणियों में हिमपात के कारण शीत लहर की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

3. फरवरी के आस-पास कैस्पियन सागर और तुर्कमेनिस्तान की ठण्डी पवनें उत्तरी भारत में शीत लहर ला देती है जिसके कारण देश के उत्तरी-पश्चिमी भाग में पाला व कोहरा पड़ता है।

·प्रायद्वीपीय भारत में कोई निश्चित शीत ऋतु नहीं होती क्योंकि तटीय भागों में समुद्र का समकारी प्रभाव पड़ता है, जैसे- तिरुवनंतपुरम में मध्य जनवरी का तापमान 31° सेल्सियस जबकि जून में 29.5° सेल्सियस तापमान रहता है।

वायुदाब एवं पवनें

· दिसंबर के अंत तक (22 दिसम्बर) सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर सीधा चमकता है। इस ऋतु में उत्तरी मैदान में एक दक्षिण उच्च वायुदाब विकसित होता है और दक्षिणी भारत में वायुदाब उत्तरी भारत से भी कम होता है। इस ऋतु में 1019 मिलीबार उत्तरी-पश्चिमी भारत तथा 1013 मिलीबार संभार रेखाएँ भारत के सुदूर दक्षिण हिस्से से होकर गुजरती है।

· भारत के उत्तरी-पश्चिमी उच्च वायुदाब क्षेत्र से हिन्द महसागर में स्थित निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर पवनें चलता प्रारंभ करती है, कम दाब प्रवणता के कारण इनकी गति 3-5 किमी./घंटा होती है। यह पवनें क्षेत्र की भू-आकृति से प्रभावित होकर गंगा घाटी में पश्चिम से उत्तर-पश्चिम की ओर तथा गंगा-ब्रह्मपुत्र-डेल्टा में उत्तर की ओर प्रवाहित होती है।

· पश्चिमी विक्षोभ कहे जाने वाले शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात पूर्वी भूमध्य सागर में उत्पन्न होते हैं जो पश्चिम जेट प्रवाह के सम्पर्क में आकर पश्चिम से पूर्व की ओर चलते हुए पश्चिमी एशिया, ईरान, अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान को पार कर भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में पहुँचते हैं।

· यह पश्चिमी विक्षोभ कैस्पियन सागर और फारस की खाड़ी की आर्द्रता प्राप्त करते हैं।

वर्षा

· शीत काल में पवनें स्थल से समुद्र की ओर चलने के कारण वर्षा नहीं करती क्योंकि इनमें नमी केवल नाममत्र की होती है और स्थल पर घर्षण के कारण इन पवनों का तापमान बढ़ जाता है जिससे वर्षा होने की संभावना खत्म हो जाती है इसलिए शीत ऋतु में अधिकांश भारत में वर्षा नहीं होती है। अपवाद स्वरूप कुछ क्षेत्र ही शीत ऋतु में वर्षा प्राप्त करते हैं।

1. पश्चिमी विक्षोभ पंजाब, हरियाणा, दिल्ली तथा पश्चिमी-उत्तर प्रदेश में वर्षा करता है। यह वर्षा रबी फसल के लिए उपयोगी होती है। स्थानीय भाषा में इस वर्षा को ‘मावठ’ कहते हैं, इसे ‘गोल्डन ड्रॉप्स’ के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण लघु हिमालय में वर्षा हिमपात के रूप में होती है। यही हिम गर्मियों के महीने में हिमालय से निकलने वाली नदियों में जल प्रवाह को निरंतर बनाए रखता है। पश्चिमी विक्षोभ से होने वाली वर्षा की मात्रा पश्चिम से पूर्व की ओर तथा पर्वतों से उत्तर से दक्षिण की ओर घटती जाती है।

2.भारत के उत्तरी-पूर्वी भाग में अरुणाचल प्रदेश तथा असम में भी 25-50 मिमी. तक वर्षा हो जाती है।

3. उत्तरी-पूर्वी मानसूनी पवनें अक्टूबर से नवम्बर के मध्य बंगाल की खाड़ी से नमी प्राप्त कर तमिलनाडु, दक्षिणी आंध्र प्रदेश, दक्षिणी-पूर्वी कर्नाटक तथा दक्षिणी-पूर्वी केरल में झंझावत वर्षा करती हैं।

2. ग्रीष्म ऋतु

तापमान:-

· मार्च के बाद सूर्य कर्क रेखा की ओर बढ़ने लगता है जिसके कारण उत्तरी भारत में तापमान बढ़ने लगता है इसमें अप्रैल, मई व जून में उत्तरी भारत में स्पष्ट रूप से ग्रीष्म ऋतु होती है। इस समय भारत का औसत तापमान 30-32° सेल्सियस होता है। मार्च में दक्कन पठार का अधिकतर तापमान 38° सेल्सियस, अप्रैल में गुजरात और मध्य प्रदेश का तापमान 38-43° सेल्सियस और मई में देश के उत्तरी-पश्चिमी भाग का तापमान 48° सेल्सियस तक पहुँच जाता है।

· दक्षिणी भारत (तापमान 26-32° सेल्सियस) में समुद्र का समकारी प्रभाव होने के कारण तापमान उत्तरी भारत से कम रहता है। पश्चिमी घाट की पहाड़ियों पर तापमान ऊँचाई के कारण घट कर 25° सेल्सियस से भी कम हो जाता है।

· तटीय भागों में समताप रेखाएँ तट के समानांतर उत्तर से दक्षिण में फैली है जो प्रमाणित करती है कि तापमान उत्तरी भारत से दक्षिणी भारत की ओर न बढ़कर तटों से भीतर की ओर बढ़ता है।

वायुदाब और पवनें

· ग्रीष्म ऋतु में अधिक गर्मी के कारण उत्तर भारत में कम वायुदाब पाया जाता है। उप-महाद्वीप के गर्म होने के कारण जुलाई में ITCZ उत्तर की ओर खिसक कर 25° उत्तरी अक्षांश रेखा पर स्थित हो जाता है। यह ITCZ उत्तरी-पश्चिमी थार मरुस्थल से पूर्व और दक्षिण-पूर्व में पटना और छत्तीसगढ़ पठार तक विस्तृत होता है।

· उत्तर-पश्चिम में ITCZ के केंद्र में दोपहर के बाद ‘लू’ नामक शुष्क व गर्म हवाएँ चलती थी जो कई बार आधी रात तक चलती रहती है। मई के शाम के समय पंजाब, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान और उत्तर प्रदेश में धूलभरी आँधियाँ चलने चलने लगती है जो पीड़ादायक गर्मी से कुछ राहत दिलाती है क्योंकि ये हवाएँ अपने साथ हल्की बारिश और शीतल हवाएँ लाती है। कई बार इन स्थानीय तूफानों से मूसलाधार वर्षा और यहाँ तक कि ओले भी आते हैं।

ग्रीष्म ऋतु में आने वाले कुछ प्रसिद्ध स्थानीय तूफान

1. आम्र वर्षा- दक्षिण भारत (आम को जल्दी पकाने में सहायक)

2. फूलों की बौछार- केरल कर्नाटक (कहवा के फूलों को खिलाने में सहायक)

3. काल बैशाखी- पश्चिमी बंगाल (चाय, पटसन, चावल के लिए लाभदायक)

4. बारदोली छीड़ा- असम

5.लू – उत्तरी मैदान में पंजाब से बिहार तक ( शुष्क व गर्म पवन )

ध्यान दें भारत में ऋतुएँ अभी कंप्लीट नहीं हुआ है इसके लिए आप नीचे दिए गए लिंक से पीडीएफ डाउनलोड करें

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अंतिम शब्द

उम्मीद करते हैं अपने ऊपर दिए गए लिंक के माध्यम से भारत में ऋतुएँ ( ग्रीष्म ऋतु , शीत ऋतु , वर्षा ऋतु ) से संबंधित नोट्स को डाउनलोड कर लिया होगा अगर आप किसी भी परीक्षा की तैयारी करते हैं तो इन नोट्स को एक बार जरूर पढ़ ले