Share With Friends

अगर आप IAS बनने का सपना देख चुके हैं और तैयारी में जुट गए हैं तो सबसे पहले आपको NCERT कक्षा 6 से 12 पढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें आपका बेसिक अच्छे से क्लियर हो जाता है और इसलिए इस पोस्ट में हम आपको भारतीय भूगोल के एक महत्वपूर्ण टॉपिक NCERT Indian Geography Class 11 PDF : अपवाह तंत्र की संपूर्ण जानकारी आपको शार्ट तरीके से आसान भाषा में उपलब्ध करवा रहे हैं

 जब भी आप Ncert पढ़ेंगे तो उसमें आपको अपवाह तंत्र के बारे में पढ़ने को मिलेगा उसी से संबंधित हम आपको नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं साथ ही आप इसे PDF के रूप में निशुल्क डाउनलोड भी कर सकते हैं

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now
Join whatsapp Group

NCERT Indian Geography Class 11 PDF : अपवाह तंत्र

हिमालय अपवाह तंत्र:-

● इसमें मुख्यत: गंगा, सिंधु व ब्रह्मपुत्र नदी द्रोणियाँ शामिल हैं।

● यहाँ की नदियाँ बारहमासी है क्योंकि ये बर्फ पिघलने व वर्षण दोनों पर निर्भर है।

● ये नदियाँ गहरे महाखड्डों (Gorges) से गुजरती है, जो हिमालय के उत्थान के साथ-साथ अपरदन क्रिया द्वारा निर्मित है।

● महाखड्डों के अतिरिक्त ये नदियाँ अपने पर्वतीय मार्ग में V-आकार की घाटियाँ, क्षिप्रिकाएँ व जलप्रपात भी बनाती है।

● मध्य व निचले भागों में नदियाँ, गोखुर झील, विसर्प, बाढ़कृत मैदान, गुंफित वाहिकाएँ और नदी के मुहाने पर डेल्टा का निर्माण करती है।

● हिमालय क्षेत्र में इन नदियों का रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा है, परन्तु मैदानी क्षेत्र में इनमें सर्पाकार मार्ग में बहने की प्रवृत्ति पाई जाती है और अपना रास्ता बदलती रहती है। कोसी नदी जिसे ‘बिहार का शोक’ (Sorrow of Bihar) कहते हैं, अपना मार्ग बदलने के लिए कुख्यात है।

हिमालय पर्वतीय अपवाह तंत्र का विकास:-

● मायोसीन कल्प में (लगभग 2.4 करोड़ से 50 लाख वर्ष पहले) एक विशाल नदी, जिसे शिवालिक या इंडो-ब्रह्मा कहा गया है, हिमालय के संपूर्ण अनुदैर्ध्य विस्तार के साथ असम से पंजाब तक बहती थी और अंत में निचले पंजाब के पास सिंध की खाड़ी में अपना जल विसर्जित करती थी।

● शिवालिक पहाड़ियों की असाधारण निरंतरता, इनका सरोवरी उद्गम और इनका जलोढ़ निक्षेप से बना होना जिसमें रेत, मृतिका, चिकनी मिट्‌टी, गोलाश्म व कोंगलोमेरेट शामिल है, इस धारणा की पुष्टि करते हैं।

● कालांतर में इंडो-ब्रह्मा नदी तीन मुख्य अपवाह तंत्रों में बँट गई-

1. पश्चिम में सिंध और इसकी पाँच सहायक नदियाँ

2. मध्य में गंगा और हिमालय से निकलने वाली इसकी सहायक नदियाँ

3. पूर्व में ब्रह्मपुत्र का भाग व इसकी सहायक नदियाँ

● विशाल नदी का इस तरह विभाजन संभवत: प्लीस्टोसीन काल में हिमालय के पश्चिमी भाग में पोटवार पठार के उत्थान के कारण हुआ। यह क्षेत्र सिंधु व गंगा अपवाह तंत्रों के बीच जल विभाजक बन गया।

● इसी प्रकार मध्य प्लीस्टोसीन काल में राजमहल पहाड़ियों और मेघालय पठार के मध्य स्थित माल्दा गैप का अधोक्षेपण हुआ जिसमें गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी तंत्रों का दिक् परिवर्तन हुआ और वे बंगाल की खाड़ी की और प्रवाहित हुई।

सिंधु नदी तंत्र:-

● इसका उद्गम तिब्बत क्षेत्र में कैलाश पर्वत श्रेणी में बोखर चू (Bokhar chu) के निकट एक हिमनद से होता है, जो 4,164 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।

● तिब्बत में इसे सिंगी खंबान (singi khamban) अथवा शेर मुख कहते है।

● लद्दाख व जास्कर श्रेणियों के बीच से उत्तर-पश्चिम दिशा में बहती हुई यह लद्दाख और बाल्टिस्तान से गुजरती है।

● लद्दाख श्रेणी को काटते हुए यह नदी जम्मू और कश्मीर में गिलगित के समीप एक दर्शनीय महाखण्ड का निर्माण करती है।

● यह पाकिस्तान में चिल्लास के निकट दरदिस्तान प्रदेश में प्रवेश करती है।

● यह नदी अटक के निकट पहाड़ियों से बाहर निकलती है, जहाँ दाहिने तट पर काबुल नदी इसमें मिलती है।

● यह नदी दक्षिण की ओर बहती हुई मिथनकोट के निकट पचनंद का जल प्राप्त करती है। अंत में सिंधु नदी कराची के पूर्व में अरब सागर में जल विसर्जित करती है।

● सिंधु नदी की बहुत-सी सहायक नदियाँ हिमाचल पर्वत से निकलती है, जैसे – श्योक, गिलगित, जास्कर, हुंजा, नुबरा, शिगार, गास्टिंग व द्रास।

● इस नदी के दाहिने तट पर मिलने वाली अन्य मुख्य सहायक नदियाँ खुर्रम, तोची, गोमल, विबोआ और संगर हैं। ये सभी नदियाँ सुलेमान श्रेणी से निकलती है।

● सिंधु नदी द्रोणी का कुल क्षेत्रफल 11.65 लाख km2 है, इसमें से 321289 km2 भारत में है।

झेलम:-

● कश्मीर घाटी के दक्षिण-पूर्वी भाग में पीरपंजाल गिरिपद में स्थित वेरिनाग झील से निकलती है।

● यह नदी पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले यह नदी श्रीनगर और वूलर झील से बहते हुए एक तंग व गहरे महाखड्ड से गुजरती है, पाकिस्तान में झंग के निकट यह चिनाब नदी से मिलती है।

चिनाब:-

● यह हिमाचल प्रदेश के केलांग के निकट तांडी में चंद्र और भागा दो सरिताओं के आपस में मिलने से बनती है।

● सिंधु की सबसे बड़ी सहायक नदी है।

रावी:-

● यह हिमाचल प्रदेश की कुल्लू की पहाड़ियों में रोहतांग दर्रे के पश्चिम से निकलती है, और राज्य की चंबा घाटी से प्रवाहित होती है।

● पाकिस्तान में प्रवेश करने व सराय सिंधु के निकट चिनाब नदी में मिलने से पहले यह नदी पीरपंजाल के दक्षिण-पूर्वी भाग व धौलाधर के बीच प्रदेश से प्रवाहित होती है।

व्यास:-

● यह नदी हिमाचल प्रदेश में रोहतांग दर्रे के निकट स्थित व्यास कुंड से निकलती है।

● यह नदी कुल्लू घाटी से गुजरती है, और धौलाधार श्रेणी में काती और लारगी में महाखड्ड का निर्माण करती है।

● यह पंजाब के मैदान में प्रवेश करती है, जहाँ हरिके के पास यह सतलज नदी में मिलती है।

सतलज:-

● यह नदी तिब्बत में मानसरोवर के निकट राक्षस ताल से निकलती है जहाँ इसे लॉगचेन खंबाब के नाम से जाना जाता है।

● भारत में प्रवेश करने से पहले यह लगभग 400 km. तक सिंधु नदी के समांतर बहती है और रोपड्ड में एक महाखड्ड से निकलती है।

● यह हिमालय पर्वत श्रेणी में शिपकीला से बहती है हुई पंजाब के मैदान में प्रवेश करती है।

● यह एक पूर्ववर्ती नदी है।

● यह भाखड़ा नांगल परियोजना के नहर तंत्र का पोषण करती है।

Download complete notes PDF…..

Click & Download Pdf

अगर आपकी जिद है सरकारी नौकरी पाने की तो हमारे व्हाट्सएप ग्रुप एवं टेलीग्राम चैनल को अभी जॉइन कर ले

Join Whatsapp GroupClick Here
Join TelegramClick Here

अंतिम शब्द

General Science Notes ( सामान्य विज्ञान )Click Here
Ncert Notes Click Here
Upsc Study MaterialClick Here

हम आपके लिए कक्षा 6 से 12 के ऐसे ही नोट्स NCERT Indian Geography Class 11 PDF : अपवाह तंत्र टॉपिक अनुसार उपलब्ध करवाएंगे ताकि आपका बेसिक अच्छे से क्लियर हो सके और हम कोशिश करते हैं कि आपको अच्छे से अच्छा स्टडी मैटेरियल निशुल्क प्रोवाइड करवा पाए