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भारत का भूगोल विषय को जब भी आप पढ़ेंगे तो उसमें आपको जल संसाधन अध्याय पढ़ने के लिए मिलता है जो एनसीईआरटी क्लास 10 का अध्याय 3 है इस पोस्ट में हम Ncert Indian Geography Class 10th – जल संरक्षण नोट्स आपको उपलब्ध करवा रहे है इन नोट से आपको यह संपूर्ण अध्याय अच्छे से समझ में आ जाएगा

जल संरक्षण सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण अध्याय है और इसे शॉर्ट एवं आसान भाषा में हमने आपको समझने का प्रयास किया है इन नोट्स को आप आगामी परीक्षाओं के लिए तैयार कर सकते हैं

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Ncert Indian Geography Class 10th – जल संरक्षण नोट्स

जल संरक्षण और प्रबंधन–

· अलवणीय जल की घटती उपलब्धता और बढ़ती माँग को ध्यान में रखते हुए सतत पोषण विकास के लिए जल का संरक्षण और प्रबंधन आवश्यक हो गया है।

· देश में जल बचत की तकनीक और प्रदूषण से बचाव के लिए हमें प्रयास करने चाहिए।

· जल संभर विकास, वर्षा जल संग्रहण, जल के पुन: चक्रण और पुन: उपयोग तथा लंबे समय तक जल की आपूर्ति के लिए जल के संयुक्त उपयोग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

जल प्रदूषण का निवारण

· पहाड़ी क्षेत्रों के ऊपरी भागों या ऐसा क्षेत्र जो कम बसा हुआ है वहाँ जल की गुणवत्ता अच्छी है लेकिन मैदानी भागों में जल का उपयोग कृषि, औद्योगिक क्षेत्रों और घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है।

· कृषि उर्वरक और कीटनाशक, ठोस, तरल अपशिष्ट और औद्योगिक अपशिष्टों को ले जाने वाली नदियाँ प्रमुख नदियों में जाकर मिलती है। गर्मियों में जब नदियों में जल की मात्रा कम होती है तो उस जल में प्रदूषण की सघनता बढ़ जाती है।

प्रदूषित नदियाँ

1. यमुना – दिल्ली से इटावा (उत्तर प्रदेश) के बीच सबसे प्रदूषित नदी है।

2. साबरमती – अहमदाबाद

3. गोमती – लखनऊ

4. गंगा – कानपुर, वाराणसी

5. नैगई – मदुरैई

 6. मूसी – हैदराबाद

· जल के महत्त्व और जल प्रदूषण के प्रभावों से जनता को जागरूक करना होगा।

जल प्रदूषण को रोकने के लिए नियम/अधिनियम

· जल अधिनियम – 1974

· पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम – 1986

· जल उपकर अधिनियम – 1977

· केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

· राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

– जलीय संसाधनों की गुणवत्ता की निगरानी करते हैं।

 – देश में 507 स्टेशन स्थापित कर रखे हैं।

जल संभर प्रबंधन

· जल संभर प्रबंधन से तात्पर्य धरातलीय और भौम जल के कुशल प्रबंधन से है।

· जल प्रबंधन विभिन्न तकनीकों जैसे अत: स्रवण तालाब, कुओं पुनर्भरण आदि द्वारा किया जाता है।

· जल प्रबंधन का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधन और समाज के बीच संतुलन लाना है।

सरकार द्वारा शुरू किए गए जल संभर विकास और प्रबंधन कार्य

· केन्द्र सरकार द्वारा संचालित कार्यक्रमों का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल, सिंचाई, मत्स्य पालन और वनोरोपण के लिए वनोरोपण जल संग्रहण के लिए सक्षम बनाना।

· केन्द्र सरकार के कार्यक्रमों को जनभागीदारी के सहयोग से ग्राम पंचायतों द्वारा निष्पादित किया जा रहा है।

             1. निरू-मिरू (जल और आप) कार्यक्रम – आन्ध्रप्रदेश

2. अरवारी-पानी संसद कार्यक्रम – अलवर (राजस्थान)

ये दोनों कार्यक्रम जनता के सहयोग से चलाए जा रहे हैं।

Note:-

रोलेगन सिद्धी गाँव (महाराष्ट्र) – सर्वश्रेष्ठ जल प्रबंधन विकास

वर्षा जल संग्रहण

· वर्षा जल संग्रहण विभिन्न उपयोगों के लिए जल को रोकने और एकत्र करने की विधि है। इसका उपयोग भूमिगत जलस्तर के पुनर्भरण के लिए किया जाता है।

· तमिलनाडु में घरों में वर्षा जल संग्रहण संरचना को अनिवार्य बना दिया है। इस जल संचयन ढाँचे के बिना भवन का निर्माण नहीं किया जा सकता है।

वर्षा जल संचयन के तरीके

· वर्षा जल संचयन झीलों, तालाबों और कुओं के माध्यम से किया जा सकता है। उदाहरण के लिए राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन के लिए कुण्ड और टांका बनाया जाता है।

वर्षा जल संचयन के लाभ

· पानी की उपलब्धता बढ़ाता है।

· गिरते हुए भूजलस्तर को नियंत्रित करता है।

· जल और ऊर्जा संग्रहण को बढ़ाता है।

· मिट्टी के कटाव को रोकता है।

Note:-

1. जल क्रांति अभियान

–  शुरुआत – 2015-16 (भारत सरकार)

– उद्देश्य – प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता को सुनिश्चित करना।

2. जल शक्ति अभियान

  – शुरुआत – जुलाई, 2019

– उद्देश्य – जल संरक्षण और जल सुरक्षा

3.जल जीवन मिशन

 – शुरुआत – 2019

– उद्देश्य – ग्रामीण परिवारों को पाइप से जल उपलब्ध करवाना – 2024 तक

4.  जल शक्ति मंत्रालय

  – स्थापना – 2019

 – उद्देश्य – जल संबंधी मुद्दों का निपटान करने के लिए

बहुउद्देशीय जल परियोजना और जल संरक्षण विधियों का विकास     

· पुरातात्विक और ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार प्राचीन काल से ही हम पत्थरों और मलबे से झीलों, जलाशयों, बाँधों और नहरों का निर्माण कर रहे हैं।

· जवाहरलाल नेहरू ने तीव्र औद्योगीकरण, शहरी आर्थिक और कृषि विकास के साथ-साथ ग्रामीण आर्थिक विकास को एकीकृत करने के उद्देश्य से बाँधों को आधुनिक भारत के मंदिर के रूप में घोषित किया है।

प्राचीन भारत में जलीय कृतियाँ-

· प्रयागराज (इलाहाबाद) के पास   शिृग्वेरा में पहली शताब्दी ई.पू. में एक जल संचयन प्रणाली थी जो गंगा नदी के बाढ़ के पानी को प्रभावित करती थी।

· चन्द्रगुप्त मौर्य ने बाँधों, झीलों और सिंचाई प्रणालियों का वृहद स्तर पर निर्माण करवाया।

· कलिंग (ओडिशा), वेन्नूर (कर्नाटक), नागार्जुन कोण्डा (आन्ध्रप्रदेश) और कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में उत्कृष्ट सिंचाई तंत्र के साक्ष्य मिलते हैं।

· 11वीं शताब्दी में बनाई गई भोपाल झील अपने समय की सबसे बड़ी कृत्रिम झील थी।

· इल्तुतमिश ने सिरीफोर्ट में पानी की सप्लाई के लिए हौजखास बनवाया था।

बाँधों की संरचना और वर्गीकरण

· बहते हुए जल को रोकने, दिशा देने और बहाव कम करने के लिए बनाई गई एक बाधा है, अक्सर इसके पीछे जलाशय या झील का निर्माण हो जाता है।

· बाँध का अर्थ उसके जलाशय से लिया जाता है न कि उसके ढाँचे से।

बाँधों का वर्गीकरण

संरचना और प्रयुक्त पदार्थ के आधार पर

 – तटबंध बाँध

– लकड़ी बाँध

 – पक्का बाँध

ऊँचाई के आधार पर

 – मुख्य बाँध/बड़े बाँध

 – मध्यम बाँध/बड़े बाँध

 – निम्न बाँध/बड़े बाँध

जल संरक्षण में बाँधों की भूमिका और जल प्रबंधन

· परम्परागत रूप से वर्षा के जल को एकत्र करने के लिए बाँध बनवाए जाते थे, इन बाँधों के पीछे के एकत्र पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता था।

· वर्तमान में बाँधों से सिंचाई के साथ-साथ अन्य उद्देश्यों की भी पूर्ति हो रही है, जैसे-

 – जलापूर्ति

– मनोरंजन

– विद्युत उत्पादन

– मत्स्य पालन

– इसलिए बाँधों का बहुउद्देशीय परियोजना के तहत् निर्माण किया गया जैसे-

1. भाखड़ा- नांगल परियोजना – सिंचाई, विद्युत उत्पादन

2. हीराकुण्ड बाँध – जल संरक्षण, बाढ़ नियंत्रण

3. सरदार सरोवर परियोजना – जलापूर्ति (गुजरात-9490 गाँव, 173 शहर-राजस्थान-124 गाँव)            

– महाराष्ट्र + गुजरात + मध्य प्रदेश + राजस्थान

बहुउद्देशीय परियोजनाएँ से समस्याएँ

1. पारिस्थितिकी समस्या

2. सामाजिक समस्या

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अंतिम शब्द

हम आपके लिए Ncert Indian Geography Class 10th – जल संरक्षण नोट्स ऐसे ही टॉपिक वाइज Notes उपलब्ध करवाते हैं ताकि किसी अध्याय को पढ़ने के साथ-साथ  आप हम से बनने वाले प्रश्नों के साथ प्रैक्टिस कर सके अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें