अगर आप सिविल सर्विस परीक्षा या किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं जिसमें आपको Indian geography notges pdf विषय अगर आप पढ़ रहे हैं तो उसमें आपको भारत का भूगोल ( Indian Geography ) – जलवायु नोट्स टॉपिक पढ़ने को मिलेगा आज हम उसी से संबंधित आपको शार्ट नोट्स करवा रहे हैं
Bharat ki jalvayu notes pdf in hindi के यह नोट्स आपको सभी परीक्षाओं में काम आएंगे यह नोट्स ऑफलाइन क्लास में तैयार किए हुए नोट्स है ताकि आप इस टॉपिक को बहुत ही सरल एवं आसान तरीके से समझ सके
भारत का भूगोल ( Indian Geography ) – जलवायु नोट्स
- भारतीय जलवायु मूलत: उपोष्ण मानसूनी है। ‘मानूसन’ शब्द अरबी भाषा के ‘मौसिम’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ ऋतु होता है अर्थात् वर्ष भर में होने वाले समय-समय पर वायु की दिशा में परिवर्तन से है।
- यद्यपि कर्क रेखा देश के बीच से गुजरती है, जिसके कारण दक्षिणी भारत उष्ण कटिबंध और उत्तरी भारत शीतोष्ण कटिबंध में पाया जाता है परंतु ऊँचे हिमालय के अवरोधात्मक प्रभाव, दक्षिणी भारत की प्रायद्वीपीय स्थिति, भूमध्यरेखा की समीपता, सागरीय प्रभाव आदि के कारण भारत की जलवायु को विशिष्ट स्थान प्राप्त हुआ है।
भारत की जलवायु पर दो बाहरी कारकों का विशेष प्रभाव पड़ता है
(1) उत्तर की ओर हिमालय की ऊँची हिमाच्छादित श्रेणियाँ इसको संशोधित महाद्वीपीय जलवायु (Modified Continental Climate) का रूप देती हैं।
जिसकी प्रमुख विशेषताएं-
(i) स्थलीय पवनों का आधिक्य
(ii) वायु की शुष्कता
(iii) अधिक दैनिक तापीय-परिसर है
(2) दक्षिण की ओर हिन्द महासागर की निकटता इसको उष्ण मानसूनी जलवायु (Tropical Monsoon) देती है जिसमें उष्ण कटिबन्धीय जलवायु की आदर्श दशाएँ प्राप्त होती हैं।
- वास्तव में भारत उष्ण मानसूनी जलवायु का आदर्श देश है।
इसके ऐसे विकास के प्रधान कारण-
(i) हिमालय की विशिष्ट स्थिति
(ii) अक्षांशीय विस्तार, महाद्वीपीयता
(iii) प्रायद्वीपीय भारत का दूर तक हिन्द महासागर में विस्तार है।
(iv) विषुवत् रेखा की निकटता,
(v) कर्क रेखा का देश के मध्यवर्ती भाग से गुजरने,
(vi)कुछ भागों के समुद्रतल से अधिक ऊँचे होने
(vii) दक्षिण भाग का तीन ओर से समुद्र द्वारा घिरा होने का भी विशेष प्रभाव पड़ता है।
अतः देश के विभिन्न भौतिक विभागों के तापमान में बड़ा अन्तर पाया जाता है।
- सामान्यतया भारत की जलवायु मानसूनी है। मानसूनी विभिन्नताओं के आधार पर वर्ष को चार ऋतुओं में बाँटा गया है।
1. ग्रीष्म ऋतु
2. वर्षा ऋतु
3. शरद ऋत
4. शीत ऋतु
1. ग्रीष्म ऋतु –
- ग्रीष्म ऋतु का समय मार्च से मध्य जून तक है।
- मई महीने में उत्तरी भारत अधिकतम तापमान एवं न्यूनतम वायुदाब के क्षेत्र में परिवर्तित होने लगता है।
- थार मरूस्थल पर मिलने वाला न्यूनतम वायुदाब क्षेत्र बढ़ कर छोटा नागपुर पठार तक पहुँच जाता है।
- कभी-कभी स्थलीय गर्म एवं शुष्क वायु का आर्द्र वायु से मिलने के कारण तेज हवा के साथ मूसलाधार वर्षा होती है तथा ओले गिरते हैं।
- इसे मानसून पूर्व वर्षा कहते है।
- आम्र वर्षा (Mango Shower) – मानसून के पूर्व केरल व कर्नाटक के पश्चिम भागों में तटीय मैदानों में होने वाली वर्षा।
- काल वैशाखी (Nor-wester) – ग्रीष्म ऋतु में असम एव पश्चिम बंगाल में सायं काल में गरज के साथ होने वाली वर्षा। इसे नोर-वेस्टर (Nor-westers) भी कहते हैं।
- चेरी ब्लॉसम (Cherry Blossom) – कर्नाटक और केरल में होने वाली मानसून पूर्व वर्षा। इससे कहवा उत्पादन वाले क्षेत्रों को बहुत लाभ होता है।
- लू (Loo) – ग्रीष्म ऋतु में उत्तर पश्चिमी भारत के शुष्क भाग में चलने वाली गरम हवा।
2. वर्षा ऋतु (मध्य जून से सितम्बर तक) –
- मानसून अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ – मौसम होता है।
- प्रथम सदी में एक अरबी नाविक ‘हिप्पौलस‘ ने मानसून की खोज की (अवधारणा दी) थी।
- भारतीय मानसून की उत्पत्ति- इसकी उत्पत्ति हिन्दमहासागर में मेडागास्कर द्वीप के पास से मानी जाती है क्योंकि मई के माह में उच्च ताप व निम्न वायुदाब होता है इस कारण हवाएँ मेडागास्कर के पास से दक्षिण-पश्चिम दिशा बहती हुई भारत की ओर आती है तथा सबसे पहले केरल तट पर वर्षा करती है।
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अंतिम शब्द –
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