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Ncert Class 12 History ( Chapter 1 ) Notes Pdf – ईंट, मनके, अस्थियाँ
आरंभिक मानव
- इस उप-महाद्वीप में 20 लाख साल पहले रहा करते थे। आज हम उन्हें आखेटक-खाद्य संग्राहक के नाम से जानते हैं।
- भोजन का इंतजाम करने की विधि के आधार पर उन्हें इस नाम से पुकारा जाता है।
- आमतौर पर खाने के लिए वे जंगली जानवरों का शिकार करते थे, मछलियाँ और चिड़ियाँ पकड़ते थे, फल, मूल, दाने, पौधे-पत्तियाँ, अंडे इकट्ठा किया करते थे।
- आखेटक-खाद्य संग्राहक समुदाय के लोग एक जगह से दूसरी जगह तक घूमते रहते थे, इसके दो प्रमुख कारण रहे हैं-
1. एक ही स्थान पर ज्यादा दिनों तक टिके रहने से उस स्थान पर पौधों, फलों, जानवरों आदि की कमी हो जाना। अत: भोजन की तलाश में उन्हें दूसरे स्थानों पर जाना पड़ता था।
2. जानवरों को भी अपना शिकार ढूँढ़ने के लिए दूसरे स्थानों पर जाना पड़ता था। अत: इन जानवरों के शिकार करने वाले लोगों को भी दूसरे स्थानों पर जाना पड़ता था।
3. पानी, झीलों, नदियों की तलाश में इधर-उधर जाना पड़ता था।
आरंभिक मानव के बारे में जानकारी
- पुरातत्त्वविदों को कुछ ऐसी वस्तुएँ मिली हैं जिनका निर्माण और उपयोग आखेटक-खाद्य संग्राहक किया करते थे।
- यह संभव है कि लोगों ने अपने काम के लिए पत्थरों, लकड़ियों और हड्डियों के औजार बनाए हों, इनमें से पत्थरों के औजार आज भी बचे हैं।
- इनमें से कुछ औजारों का उपयोग फल-फूल काटने, हड्डियाँ और मांस काटने तथा पेड़ों की छाल और जानवरों की खाल उतारने के लिए किया जाता था।
- कुछ के साथ हड्डियों या लकड़ियों के मुट्ठे लगा कर भाले और बाण जैसे हथियार बनाए जाते थे, कुछ औजारों से लकड़ियाँ काटी जाती थीं।
- लकड़ियों का उपयोग ईंधन के साथ-साथ झोपड़ियाँ और औजार बनाने के लिए भी किया जाता था। पत्थर के उपकरणों की प्राप्ति भी आदिमानव के बारे में जानकारी का साधन बनी।
पुरास्थल
- पुरास्थल उस स्थान को कहते हैं जहाँ औजार, बर्तन और इमारतों जैसी वस्तुओं के अवशेष मिलते हैं।
- ऐसी वस्तुओं का निर्माण लोगों ने अपने काम के लिए किया था और बाद में वे उन्हें वहीं छोड़ गए।
- ये जमीन के ऊपर, अन्दर, कभी-कभी समुद्र और नदी के तल में भी पाए जाते हैं।
आग की खोज
- कर्नूल गुफा में राख के अवशेष मिले हैं, इससे यह ज्ञात होता है कि आरंभिक लोग आग जलाना सीख गए थे।
- वे आग का इस्तेमाल प्रकाश के लिए, मांस भुनने के लिए और खतरनाक जानवरों को दूर भगाने के लिए करते थे।
नाम और तिथियाँ
- पुरातत्त्वविदों ने बड़े-बड़े नाम रखे हैं। आरंभिक काल को वे पुरापाषाण काल कहते हैं।
- यह दो शब्दों पुरा यानी ‘प्राचीन’ और पाषाण यानी ‘पत्थर’ से बना है। यह नाम पुरास्थलों से प्राप्त पत्थर के औजारों के महत्त्व को बताता है।
- पुरापाषाण काल 20 लाख साल पहले से 12,000 साल पहले के दौरान माना जाता है।
- इस काल को भी तीन भागों में विभाजित किया गया है- आरंभिक, मध्य और उत्तर पुरापाषाण युग।
- मानव इतिहास की लगभग 99 प्रतिशत कहानी इसी काल के दौरान घटित हुई।
- जिस काल में हमें पर्यावरणीय बदलाव मिलते हैं, उसे ‘मेसोलिथ’ यानी मध्यपाषाण युग कहते हैं। इसका समय लगभग 12,000 साल पहले से लेकर 10,000 साल पहले तक माना गया है।
- इस काल के पाषाण औजार आमतौर पर बहुत छोटे होते थे, इन्हें ‘माइक्रोलिथ’ यानी लघुपाषाण कहा जाता है।
- प्राय: इन औजारों में हड्डियों या लकड़ियों के मुट्ठे लगे हँसिया और आरी जैसे औजार मिलते थे साथ-साथ पुरापाषाण युग वाले औजार भी इस दौरान बनाए जाते रहे।
- अगले युग की शुरुआत लगभग 10,000 साल पहले से होती है, इसे नवपाषाण युग कहा जाता है।
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