Medieval History Khilji Vansh Notes : मध्यकालीन भारतीय इतिहास के लिए आप बाजार में अनेक किताबें उपलब्ध है जहां से आप इतिहास की तैयारी कर सकते हैं लेकिन हम आपकी तैयारी नोट्स के माध्यम से करवाएंगे इस पोस्ट में हम मध्यकालीन भारतीय इतिहास ( सल्तनत काल ) खिलजी वंश नोट्स आपके लिए लेकर आए हैं जिसमें आप गुलाम वंश के बारे में पढ़ेंगे
आप चाहे किसी भी परीक्षा की तैयारी करते हो उन सभी के लिए यह नोट्स बहुत महत्वपूर्ण है और हम आपके लिए शानदार नोट्स उपलब्ध करवाने की कोशिश करते हैं ताकि आपकी तैयारी कम समय में बहुत अच्छी हो सके
मध्यकालीन इतिहास : खिलजी वंश
जलालुद्दीन खिलजी ( 1290-1296 )
जलालुद्दीन खिलजी ने किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया।
वह दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था जिसने अपने विचारों को स्पष्ट रूप से रखा कि राज्य का आधार प्रजा का समर्थन होना चाहिए चूँकि भारत की अधिकांश जनता हिन्दू थी, अतः सही अर्थोंमें यहाँ कोई राज्य इस्लामी राज्य नहीं हो सकता था।
देवगिरी के सफल अभियान के बाद जब अलाउद्दीन वापस आ रहा था तो सुल्तान स्वयं उससे मिलने कड़ा गया जहाँ अलाउद्दीन खिलजी ने अपने चाचा से गले मिलते समय हत्या कर दी।
अलाउद्दीन खिलजी ( 1296-1316 )
अलाउद्दीन खिलजी पहले कड़ा का गवर्नर था।
बचपन में वही अली गुरशस्प नाम से प्रसिद्ध था।
उसका राज्याभिषेक बलबन के लाल महल में हुआ था।
उसने सिकन्दरसानी द्वितीय सिकन्दर की उपाधि धारण की।
अलाउद्दीन खिलजी के प्रमुख अभियान
उसने 1298 ई. में गुजरात के रायकर्ण, 1300-1301ई. में रणथम्भौर के हम्मीरदेव, 1303 ई. में चित्तौड़ के रतनसिंह, 1305 ई. में मालवा के महलक देव तथा सिवाना के शीतलदेव एवं 1311ई. में जालौर के कान्हड़देव पर आक्रमण किया।
अलाउद्दीन प्रथम मुस्लिम शासक था जिसने दक्षिणी राज्यों पर आक्रमण किया।
उसने देवगिरी पर आक्रमण कर रामचन्द्र को पराजित किया तथा उसे ‘राय रायान’ की उपाधि प्रदान की।
1310 ई. में उसने वारंगल के काकतीय शासक प्रताप रुद्रदेव को पराजित किया। यहीं से विश्वप्रसिद्ध ‘कोहिनूर’ हीरा प्राप्त हुआ।
दक्षिणी राज्यों में आक्रमण का नेतृत्व मलिक काफूर द्वारा किया गया।
दक्षिणी राज्यों से धन वसूला गया न कि उसे सल्तनत में शामिल किया गया।
अलाउद्दीन के प्रशासनिक सुधार
उसने धर्म को राजनीति से अलग किया।
दीवान-ए-रियासत विभाग की स्थापना अलाउद्दीन खिलजी ने ही की थी जो व्यापार वाणिज्य मंत्रालय था।
सैन्य व्यवस्था में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए उसने दाग तथा हुलिया प्रथा की शुरुआत की।
उसने सेना की सीधी भर्ती एवं नकद वेतन देने की प्रथा को आरम्भ किया।
बाजार नियंत्रण प्रणाली
अलाउद्दीन खिलजी की प्रमुख आर्थिक देन बाजार नियंत्रण नीति है।
वित्तीय एवं राजस्व सुधारों में रुचि लेने वाला पहला सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी था।
अलाउद्दीन के बाजार नियंत्रण नीति के स्रोत
अमीर खुसरो की खजाइन-उल फुतूह
जियाउद्दीन बरनी की तारीख-ए-फिरोजशाही
बाजार नियंत्रण से संबंधित अधिकारी
दीवान-ए- रियासत
शहना-ए- मण्डी
बरीद-ए-मण्डी
वह प्रथम सुल्तान था जिसने भूमि की वास्तविक आय पर राजस्व निश्चित किया। भूमि पर उपज का 50% भूमिकर या खिराज के रूप में लेने की घोषणा की गई जिसे जाबिता/मसाहत प्रणाली कहा जाता है।
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अंतिम शब्द –
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