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History of india ( भारत का इतिहास ) Notes Pdf in hindi – मराठा साम्राज्य नोट्स
शिवाजी ( प्रारंभिक जीवन )
शिवाजी के पूर्वज भोंसलावंशीय मराठा थे। इस परिवार का प्रधान पुरुष बालाजी थे। बालाजी के दो पुत्र थे- मालोजी और वीठोजी, जो अहमदनगर के सामन्त जाधवरावज की नौकरी में थे। कुछ समय बाद जाधवराव ने नाराज होकर मालोजी को नौकरी से हटा दिया, तब मालोजी ने अहमदनगर के सुल्तान के पास नौकरी की और अपनी योग्यता से दरबार में महत्वपूर्ण पद प्राप्त कर लिया। जाधवराव ने अपनी पुत्री जीजाबाई का विवाह मालोजी के पुत्र शाहजी से कर दिया। यहीं शाहजी भोंसले आगे चलकर अहमदनगर का प्रमुख सेनानायक बने। कुछ समय बाद शाहजी ने बीजापुर के सुल्तान के पास नौकरी की। वह मैसूर के पठार तथा पूर्वी कर्नाटक में एक राज्य स्थापित कर बीजापुर का प्रमुख सामन्त बने। शाहजी भोंसले की प्रथम पत्नी जीजाबाई के गर्भ से शिवाजी का जन्म हुआ था।
शिवाजी के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-
- शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले था। वे पहले अहमदनगर की सेवा में थे। किंतु शाहजहाँ द्वारा 1633 ई. में अहमदनगर की विजय के पश्चात् बीजापुर की सेवा में चले गये और उन्होंने अपने अधीन आने वाली पूना की जागीर शिवाजी को सौंप दी।
- शिवाजी की माता का नाम जीजाबाई था तथा उनके संरक्षक दादोजी कोंडदेव थे।
- शिवाजी के आध्यात्मिक गुरु रामदास थे। उनके विचारों के चलते शिवाजी के व्यक्तित्व को व्यापक दृष्टिकोण प्राप्त हुआ।
- दादोजी कोंडदेव की मृत्यु के बाद शिवाजी ने पूना की जागीर का कार्यभार स्वयं संभाला। 1646 ई. में शिवाजी ने पूना के पास स्थित तोरण के किले और 1648 ई. में पुरंदर के किले को जीता।
- 1656 ई. में मराठा सरदार चंद्रराव मोर से जावली का किला जीता।
- इस समय मुगलों का बीजापुर से संघर्ष चल रहा था। अतः शिवाजी ने मुगलों के साथ मैत्री करने का प्रयास किया, किंतु औरंगजेब ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। बीजापुर से संधि करने के पश्चात् औरंगजेब ने बीजापुर को शिवाजी की अधीन आने वाले क्षेत्रों को वापस लेने की सलाह दी।
- बीजापुर शासक ने अपने सेनापति अफज़ल खाँ को शिवाजी को कैद करने या मार डालने के लिये भेजा। किंतु, शिवाजी ने चतुराई से उसकी हत्या कर दी और बीजापुर के कई अन्य क्षेत्रों को भी जीत लिया जैसे- ‘पन्हाला का किला’, ‘कोल्हापुर’ और ‘उत्तरी कोंकण’।
- इसके पश्चात् औरंगजेब ने शिवाजी के अधीन आने वाले मुगल क्षेत्र को वापस लेने का निश्चय किया जो अहमदनगर की संकि बीजापर को दे दिये गए थे। इसके लिये मुगल गवर्नर शासन को भेजा।
- शिवाजी ने शाइस्ता खाँ के शिविर पर छापामार हमला किया शाइस्ता खाँ को घायल कर दिया।
- इसके पश्चात औरंगज़ेब ने शाइस्ता खाँ को वापस बुला लिया और आमेर के शासक जयसिंह को शिवाजी से निपटने का दायित्व सौंपा। शाइस्ता खाँ को बंगाल का गवर्नर बनाकर भेज दिया। जयसिंह ने शिवाजी से निपटने के लिये एक नई नीति तैयार की जिसके तहत शिवाजी को चारों तरफ से घेरा जाना था। इसके लिये जयसिंह ने बीजापुर के साथ समझौता करने का प्रयास किया तथा बीजापुर ने अपनी सेना की एक टुकड़ी को जयसिंह की तरफ से भेजा।
- 1665 ई. में शिवाजी को पुरंदर में घेर लिया गया।
- विवश होकर शिवाजी को 1665 ई. में जयसिंह से पुरंदर की संधि करनी पड़ी। संधि के तहत प्रावधान – शिवाजी को अपने 23 किले, जिनकी आय 4 लाख हूण प्रति वर्ष थी, मुगलों को सौंपने थे। इसके अतिरिक्त 12 किले, जिसकी वार्षिक आमदनी 1 लाख हूण थी, शिवाजी को अपने पास रखने थे।
- औरंगज़ेब द्वारा शिवाजी के पुत्र शंभाजी को मुगल दरबार में भेजा जाना था। उसे 5 हज़ार का मनसब प्रदान किया गया।
- इसके पश्चात् बीजापुर के विरुद्ध अभियान प्रारंभ हुआ, किंतु औरंगज़ेब का सही से समर्थन न मिल पाने की वजह से इस अभियान में विशेष सफलता नहीं प्राप्त हुई।
- इसके पश्चात् जयसिंह ने शिवाजी को व्यक्तिगत रूप से मिलने के लिये आगरा भेजा, किंतु वहाँ औरंगजेब से विवाद हो गया और शिवाजी को कैद कर लिया गया।
- 1666 ई. में शिवाजी औरंगजेब की कैद से फरार हो गए।
- इसके बाद शिवाजी ने पुनः मुगलों के किले जीतने का फैसला किया। 1670 ई. में उन्होंने पुनः सूरत को लूटा।
- शिवाजी ने 1674 ई. में अपना राज्याभिषेक रायगढ़ के किल में किया।
- इस अवसर पर शिवाजी ने ‘छत्रपति’, ‘हद धर्मोद्धारक’, ‘गौ बाहाण गौ-बाह्मण प्रतिपालक’ की उपाधि धारण की तथा अपने आप को ‘सूर्यवंशी क्षत्रिय’ घोषित किया।
शिवाजी (मराठा साम्राज्य का संस्थापक )
- जन्म- 19 फरवरी, 1630 में शिवनेर के पहाड़ी दुर्ग में
- पिता- शाहजी भोसले
- माता- जीजाबाई
- संरक्षक- दादोजी कोंडदेव
- गुरु- रामदास
- राज्याभिषेक- 6 जून, 1674
- राजधानी- रायगढ़
- मृत्यु- 1680 ई.
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