सामान्य विज्ञान एक ऐसा विषय है जिस से संबंधित प्रश्न लगभग सभी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं इसलिए आज हम आपको Ncert Class 11 biology : उत्सर्जन तंत्र ( Excretory System ) नोट्स लेकर आए हैं जो सभी परीक्षाओं में आपको काम आएंगे ऐसे बहुत शायद ही आपको गूगल पर निशुल्क देखने को मिलेंगे हम आपके लिए ऐसे ही Bio Class 11 Ncert General Science विषय के के नोट्स टॉपिक अनुसार उपलब्ध करवाते रहेंगे
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Ncert Class 11 biology : उत्सर्जन तंत्र ( Excretory System ) नोट्स
● जंतुओं में उपापचयी क्रियाओं (Metabolic Activities) के दौरान निर्मित नाइट्रोजन (N2) युक्त अपशिष्ट पदार्थों को शरीर के बाहर त्यागना ही उत्सर्जन/Excretion कहलाता है।
● विभिन्न जंतुओं में ये उत्सर्जी पदार्थ अलग-अलग होते हैं, जैसे– अमोनिया, यूरिया, यूरिक अम्ल आदि।
● इस आधार पर जंतुओं को 3 वर्गों में बाँटा गया है–
1. अमोनोटेलिक:-
● उत्सर्जी पदार्थ– अमोनिया (सबसे ज्यादा विषाक्त/Toxic)
● उदा.– अस्थिल मछलियाँ, उभयचर और जलीय कीट।
2. यूरियोटेलिक:-
● उत्सर्जी पदार्थ– यूरिया।
● उदा.– स्तनधारी/Mammals (मनुष्य)
● स्थलीय उभयचर/Amphibians (मेंढक)
● समुद्री मछलियाँ
3. यूरिकोटेलिक :-
● उत्सर्जी पदार्थ– यूरिक अम्ल (सबसे कम विषाक्त/Toxic)
● उदा.– पक्षी वर्ग
● स्थलीय घोंघा तथा कीटों में
● सरीसृपों/Reptiles
Note:-
● अधिकांश अकशेरुकियों में यह संरचना सरल नलिकाकार रूप में होती है, जबकि कशेरुकियों में जटिल नलिकाकार अंग होते हैं, जिन्हें वृक्क (Kidney) है।
मानव उत्सर्जन तंत्र/Human Excretory System
● यूरिया चक्र को ‘क्रेब्स-हेन्सलेट चक्र’ भी कहते हैं।
● मनुष्य में उत्सर्जी पदार्थ (Urea) का निर्माण तो यूरिया चक्र के द्वारा यकृत/liver में होता है जबकि इसका उत्सर्जन वृक्क/Kidney से होता है।
मानव उत्सर्जन तंत्र में 4 प्रमुख संरचनाएँ:-
● वृक्क (Kidney) (2)
● मूत्रवाहिनी (Ureter) (2)
● मूत्राशय (Urinary bladder) (1)
● मूत्रमार्ग (Urethra) (1)
1. वृक्क (Kidney):-
● उत्पत्ति- मीसोडर्म
● मनुष्य के उत्सर्जी अंग।
● वृक्क सेम के बीज की आकृति के गहरे भूरे लाल रंग के होते हैं तथा ये अंतिम वक्षीय और तीसरी कटि कशेरुका के समीप उदर गुहा में आंतरिक पृष्ठ सतह पर स्थित होती है।
● वयस्क मनुष्य में प्रत्येक वृक्क की लम्बाई 10-12 सेमी., चौड़ाई 5-7 सेमी., मोटाई 2-3 सेमी. तथा भार लगभग 120-170 ग्राम होता है।
● बायीं किडनी (left kidney) थोड़ा ऊपर जबकि दायीं किडनी/Right Kidney थोड़ी नीचे।
● वजन– मादा में– 135gm., नर में– 150gm.
● किडनी के चारों ओर रीनल कैप्सूल होता है, जो कि इसे संक्रमण (Infection) से बचाता है।
● रीनल कैप्सूल के बाहर एडीपोज कैप्सूल का आवरण जो कि वसा (fat) से बना तथा किडनी को बाहरी चोटों व झटकों से सुरक्षा प्रदान करता है।
● वृक्क के केन्द्रीय भाग अवतल (कॉन्केव) सतह के मध्य में एक खांच होती है, जिसे हाइलम कहते हैं। इसे होकर मूत्र-नलिका, रक्त वाहिनियाँ और तंत्रिकाएँ प्रवेश करती है।
● हाइलम के भीतरी ओर कीप के आकार की रचना होती है जिसे वृक्कीय श्रोणि (पेल्विस) कहते हैं तथा इससे निकलने वाले प्रक्षेपों (प्रोजेक्शन) को चषक (कैलिक्स) कहते हैं।
● किडनी का आंतरिक भाग 2 क्षेत्रों में बँटा होता है।
● बाहरी, गहरे रंग का क्षेत्र– कॉर्टेक्स/वल्कुट
● आंतरिक, हल्के रंग का क्षेत्र– मेड्यूला/मध्यांश
● मध्यांश कुछ शंक्वाकारा पिरामिड (मध्यांश पिरामिड) में बँटा होता है जो कि चषकों में फैले रहते हैं। वल्कुट मध्यांश पिरामिड (पिंडों) के बीच फैलकर वृक्क स्तंभ बनाते हैं, जिन्हें बरतीनी-स्तंभ (Columns of Bertini) कहते हैं।
● किडनी के हाइलम वाले भाग से वृक्कीय धमनी (Renal Artery) जिससे ऑक्सीजनित रक्त लेकर प्रवेश करती है जबकि यहीं से वृक्कीय शिरा (Renal Vein) किडनी से अशुद्ध (विऑक्सीजनित) रक्त लेकर बाहर निकलती है।
● हाइलम वाले भाग से ही मूत्रवाहिनी (Ureter) मूत्र को किडनी से बाहर निकाल मूत्राशय (Urinary bladder) में पहुँचाती है।
● किडनी की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई ‘नेफ्रॉन्स’ होते हैं, प्रत्येक किडनी में इनकी संख्या लगभग 10 लाख होती है।
2. मूत्रवाहिनी (Ureter):-
● इनकी संख्या– 2, प्रत्येक किडनी से 1 मूत्रवाहिनी मूत्र को लेकर मूत्राशय (Urinary bladder) में पहुँचाती है।
● इनकी लंबाई लगभग 20 से 25 सेमी.
3. मूत्राशय (Urinary bladder):-
● ये पेशियों/Muscles से मिलकर बनी थैलेनुमा संरचना, जिसमें मूत्र धीरे-धीरे संगृहित होता है।
● इसमें डिट्रेसरी पेशी पाई जाती है।
4. मूत्रमार्ग (Urethra):-
● उत्सर्जन तंत्र अंतिम नलिकाकार भाग जो मूत्राशय से मूत्र को शरीर के बाहर उत्सर्जित करता है।
नेफ्रॉन्स (Nephrons)
● ये वृक्क (Kidney) की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई होते हैं, जिनकी संख्या प्रत्येक किडनी में लगभग 10 लाख होती है।
● मूत्र का निर्माण वृक्कों में होता है।
मूत्र की विशेषताएँ
● हल्के पीले रंग का तरल द्रव।
● प्रतिदिन 1.5 से 2 लीटर मूत्र का उत्सर्जन
● 25-30 gm Urea/ दिन निष्कासित
● गन्ध- Urinode
● pH–अम्लीय 6.0 (4.5-8.5)
● मूत्र का संघटन– 95% (जल)
● 2.5% यूरिया
● 2.5% कार्बनिक पदार्थ, अमोनिया, N2, क्रिऐटिन, क्रिएटिनिन, यूरिक अम्ल आदि।
Note:-
सहायक उत्सर्जन संरचनाओं में Liver, Lungs एवं Skin होते हैं।
● Tea, Coffee (Caffine) & alcohol diuretic पदार्थ है। (मूत्रण को प्रेरित करते हैं।)
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अंतिम शब्द –
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