मौलिक अधिकार – स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 19 से 22 तक ) नोट्स

Share With Friends

मौलिक अधिकार – स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 19 से 22 तक ) नोट्स : भारतीय संविधान में भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्तियों के कुछ मौलिक अधिकार हैं जिसे आपको जानना बहुत जरूरी है भारतीय राजव्यवस्था में मूल अधिकार ( Fundamental Rights ) टॉपिक आपको पढ़ने को मिलेगा और यहां से काफी बार प्रश्न भी पेपर में पूछे जाते हैं यह टॉपिक सभी परीक्षाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है इसलिए हम आपको सभी मौलिक अधिकारों के बारे में एक-एक करके जानकारी देने वाले हैं

हमने नीचे आपको स्वतंत्रता का अधिकार के बारे में संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है आपको इसके बारे में अच्छे से जरूर पढ़ना चाहिए एवं इससे बनने वाले प्रश्नों के साथ प्रैक्टिस भी करनी चाहिए

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Join whatsapp Group

मौलिक अधिकार – स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 19 से 22 तक ) नोट्स

अनु. 19- वाक्-स्वातन्त्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण

  • स्वतंत्रता लोकतंत्र का आधारभूत लक्षण है एवं अनुच्छेद-19 केवल भारतीय नागरिकों के लिए है। अनुच्छेद-19(1) के अन्तर्गत प्रारम्भ में भारतीय संविधान के द्वारा सभी नागरिकों को कुल 7 स्वतंत्रताएँ प्रदान की गई थी परन्तु 44वें संविधान संशोधन, 1978 के माध्यम से अनुच्छेद-19(1)(च) में उपबंधित सम्पत्ति के अर्जन, धारण और व्ययन की स्वतंत्रता को समाप्त कर दिया गया।
  • वर्तमान में भारतीय संविधान के द्वारा सभी नागरिकों को अनुच्छेद-19(1) के अन्तर्गत 6 स्वतंत्रताएँ प्रदान की गई हैं-

•  अनु. 19(1)(क) : वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

•  अनु. 19(1)(ख) : शांतिपूर्ण व निरायुद्ध सम्मेलन की स्वतंत्रता

•  अनु. 19(1)(ग) : संघ, संगठन या सहकारी समिति (97 संशोधन 2011) बनाने की स्वतंत्रता

•  अनु. 19(1)(घ) : अबाध संचरण या आगमन की स्वतंत्रता

•  अनु. 19(1)(ङ) : निवास की स्वतंत्रता

•  अनु. 19(1)(छ) : रोजगार या जीविका की स्वतंत्रता

अनु. 20 – अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण

  • अनुच्छेद-20 के अन्तर्गत व्यक्तियों को राज्य के विरुद्ध अपराध के संबंध में निम्नलिखित संवैधानिक संरक्षण प्राप्त हैं-

1.  कार्योत्तर विधियों से संरक्षण (Ex-Post-Facto Law) अनुच्छेद-20(1) –

अनुच्छेद 20(1) में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को प्रवृत्त विधि के अतिक्रमण या उल्लंघन के आधार पर ही अपराधी ठहराया जायेगा।

2.  दोहरे दण्ड से संरक्षण(Protection from Double Jeopardy) –

  • अनुच्छेद-20 के खण्ड (2) में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक ‘दण्डित’ या ‘अभियोजित’ नहीं किया जायेगा।

3.   आत्म-अभिशंसन से संरक्षण(Protection from Self Incrimination) &

  • अनुच्छेद-20(3) में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को, जो कि अपराधी है, स्वयं अपने विरुद्ध साक्ष्य देने के लिये बाध्य नहीं किया जायेगा।

अनु. 21 – प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण

  • अनुच्छेद-21 में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को उसके प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता से कानून अथवा विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
  • ‘ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य, ए.आई.आर. 1950’ मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा, कि अनुच्छेद-21 विधान मण्डल विधि द्वारा किसी व्यक्ति को प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित कर सकता है।
  • ‘मेनका गाँधी बनाम भारत संघ ए.आई.आर. 1978’ मामले में उच्चतम न्यायालय ने गोपालन मामले में दिये अपने निर्णय को उलट दिया तथा निर्णय दिया कि अनुच्छेद-21 के तहत प्राप्त संरक्षण केवल कार्यपालिका की मनमानी कार्यवाही के विरुद्ध ही नहीं बल्कि विधानमण्डलीय कार्यवाही के विरुद्ध भी उपलब्ध है अर्थात् विधायिका विधि द्वारा किसी व्यक्ति को उसके प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं कर सकती है।

अनुच्छेद-21 की महत्ता के कारण डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने इसे ‘संविधान का मेरुदण्ड तथा मेग्नाकार्टा’ कहा है।

44 वें संविधान संशोधन अधिनियम-1978 में संसद ने अनुच्छेद-359 में संशोधन करके स्पष्ट किया कि अनुच्छेद-20 तथा 21 में प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकार को आपातकाल में भी निलम्बित नहीं किया जा सकता।

अनुच्छेद – 21(क) – शिक्षा का मूल अधिकार

86वें संविधान संशोधन अधिनियम-2002 द्वारा संविधान में एक नया अनुच्छेद-21(क) जोड़ा गया जिसमें प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार सम्मिलित है। अनुच्छेद-21(क) में कहा गया है कि राज्य का यह कर्त्तव्य होगा कि वह 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बालकों को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराये। शिक्षा के मूल अधिकार के क्रियान्वयन के लिए संसद ने ‘शिक्षा का अधिकार विधेयक-2009’ पारित किया जो 1 अप्रैल, 2010 से लागू हो गया। राजस्थान ने इसे 1 अप्रैल, 2011 से लागू किया गया।

अनु. 22 – गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण

  • अनुच्छेद-22 गिरफ्तारी एवं निरोध के विरुद्ध संरक्षण प्रदान करता है। गिरफ्तारी दो प्रकार की होती है-

(i)   सामान्य दण्ड विधि के अधीन

(ii)   निवारक निरोध विधि के अधीन

अनुच्छेद – 22 सामान्य दण्ड विधि के अधीन गिरफ्तारी के संबंध में निम्नलिखित अधिकार प्रदान करता है-

(क)  24 घंटे से अधिक बिना मजिस्ट्रेट के आदेश के विरुद्ध गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

(ख)  गिरफ्तारी के कारणों से यथाशीघ्र अवगत कराए जाने का अधिकार।

(ग)   अपनी रुचि के विधि-व्यवसायी से परामर्श एवं बचाव का अधिकार।

किन्तु-

(i)  यह अधिकार शत्रु विदेशी को प्राप्त नहीं है।

(ii)  निवारक निरोध विधि के अधीन गिरफ्तार व्यक्तियों को भी उपर्युक्त अधिकार प्राप्त नहीं हैं।

अगर आपकी जिद है सरकारी नौकरी पाने की तो हमारे व्हाट्सएप ग्रुप एवं टेलीग्राम चैनल को अभी जॉइन कर ले

Join Whatsapp GroupClick Here
Join TelegramClick Here

अंतिम शब्द

General Science Notes ( सामान्य विज्ञान )Click Here
Ncert Notes Click Here
Upsc Study MaterialClick Here

उम्मीद करता हूं इस मौलिक अधिकार – स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 19 से 22 तक ) नोट्स पोस्ट में उपलब्ध करवाए गए नोट्स  आपके आगामी परीक्षाओं में काम आएंगे ऐसे ही नोट्स हम आपके लिए टोपी के अनुसार बिल्कुल आसान एवं सरल भाषा में उपलब्ध करवाते हैं ताकि आप प्रत्येक टॉपिक को अच्छे से याद कर सके

Leave a Comment