सामान्य विज्ञान एक ऐसा विषय है जिस से संबंधित प्रश्न लगभग सभी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं इसलिए आज हम आपको Class 11th Biology – पाचन तंत्र ( Digestive System ) Notes PDF लेकर आए हैं जो सभी परीक्षाओं में आपको काम आएंगे ऐसे बहुत शायद ही आपको गूगल पर निशुल्क देखने को मिलेंगे हम आपके लिए ऐसे ही Bio Class 11 Ncert General Science विषय के के नोट्स टॉपिक अनुसार उपलब्ध करवाते रहेंगे
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Class 11th Biology – पाचन तंत्र ( Digestive System ) Notes Pdf Part 1
• भोजन में उपस्थित जटिल पोषक पदार्थों (कार्बोहाइड्रेट, वसा व प्रोटीन) का विभिन्न एन्जाइमों की सहायता से तथा रासायनिक क्रियाओं से छोटे-छोटे घुलनशील अणुओं में निम्नीकरण (degradation) को पाचन (Digestion) कहते हैं।
• मनुष्य के पाचन तंत्र को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
A. आहारनाल (Alimentary Canal)
B. पाचन ग्रन्थियाँ (Digestive Glands)
A. आहारनाल [Alimentary Canal]
• यह एक लम्बी, कुण्डलित नलिका होती है, जो मुख (Mouth) से प्रारंभ होकर पश्च भाग में स्थित गुदा द्वारा बाहर की ओर खुलती है।
• यह 8-10 मीटर तक लम्बी होती है।
• आहारनाल के विभिन्न अंग निम्नलिखित हैं–
1. मुखगुहा 2. ग्रासनली
3. आमाशय 4. आँत
1. मुखगुहा [Buccal Cavity]
• आहारनाल का अग्र भाग मुख से प्रारम्भ होकर दोनों जबड़ों के बीच एक गुहा में खुलता है, जिसे मुखगुहा कहते हैं।
• इसके ऊपर कठोर तथा नीचे कोमल तालु पाए जाते हैं।
• इसमें पेशी निर्मित जिह्वा तथा दाँत होते हैं।
• जिह्वा का अगला सिरा स्वतंत्र तथा पिछला सिरा फ्रेनुलम द्वारा जुड़ा रहता है।
• जिह्वा के ऊपरी सतह पर छोटे-छोटे उभार के रूप में पिप्पल (पेपिला) होते हैं, जिसे स्वादकलियाँ (Taste buds) कहते हैं।
• इन स्वाद कलियों द्वारा मनुष्य को भोजन के विभिन्न स्वाद का ज्ञान होता है; जैसे- खट्टा, मीठा आदि।
• मुखगुहा के ऊपरी तथा निचले दोनों जबड़ों में 16-16 दाँत एक साँचे में स्थित होते हैं। यह साँचा मसूड़े कहलाता है।
• मसूड़ों तथा दाँतों की इस स्थिति को गर्तदंती (Thecodont) कहते हैं।
• मनुष्य में द्विबारदंती दंत (Diphyodont) व्यवस्था पाई जाती है, जिसमें जीवनकाल में दो प्रकार के दाँत- अस्थायी (दूध के दाँत) तथा स्थायी दाँत पाए जाते हैं।
• यह विषमदन्ती (Heterodont) अर्थात् एक से अधिक प्रकार के दाँत पाए जाते हैं।
• दाँत चार प्रकार के होते हैं–
(A) कृंतक (Incisors) – ये सबसे आगे के दाँत होते हैं, जो भोजन को कुतरने तथा काटने का कार्य करते हैं।
(B) रदनक (Canines) – ये दाँत भोजन को चीरने-फाड़ने का कार्य करते हैं। प्रत्येक जबड़े में 2-2 होते हैं।
(C) अग्रचवर्णक (Premolars) – ये दाँत भोजन को चबाने का कार्य करते हैं तथा ये प्रत्येक जबड़े में 4-4 पाए जाते हैं।
(D) चवर्णक (Molars) – ये दाँत भी भोजन को चबाने का व पीसने का कार्य करते हैं तथा ये प्रत्येक जबड़े में 6-6 पाए जाते हैं। दंत सूत्र –
• दाँत का अधिकतम भाग डेटांइन (दतांस्थि) से बना होता है जो हड्डी से अधिक कठोर व पीले रंग का होता है।
• दाँत के ऊपरी स्तर पर इनैमल (Enamel) का स्तर पाया जाता है जो दाँत को सुरक्षा प्रदान करता है।
• मानव शरीर का कठोरतम भाग इनैमल है।
• ग्रसनी [Pharynx] – मुखगुहा का पिछला भाग है। इसमें दो छिद्र होते हैं निगल द्वार जो ग्रासनली में तथा कण्डद्वार श्वासनली में खुलता है।
• कण्ठद्वार से आगे एक छोटी पत्ती जैसी रचना होती है जो भोजन के दौरान कण्ठद्वार को ढक देती है जिससे भोजन श्वासनली में नहीं जाता है। इसे एपिग्लोटिस (Epiglottis) कहा जाता है।
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अंतिम शब्द –
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