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जब भी आप भारतीय राजव्यवस्था ( Polity of India ) विषय को पढ़ेंगे तो उसमें आपको भारत निर्वाचन आयोग के बारे में भी पढ़ने को मिलेगा इस पोस्ट में हम आपको polity m laxmikanth 7th Edition Book Notes PDF : भारत निर्वाचन आयोग के नोट्स हिंदी में उपलब्ध करवा रहे हैं क्योंकि यह टॉपिक सिविल सर्विस परीक्षा के लिए एवं अन्य विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है और यहां से बहुत बार प्रश्न परीक्षा में भी पूछे जा चुके हैं

हम आपको निर्वाचन आयोग के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं ताकि इस टॉपिक को आप अच्छे से क्लियर कर सके एवं आगामी परीक्षा के लिए तैयार कर सकें

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polity m laxmikanth 7th Edition Book Notes PDF : भारत निर्वाचन आयोग

· अनुच्छेद-324 – भारतीय संविधान के अनुच्छेद-324 में यह उल्लिखित है कि राष्ट्रपतिउपराष्ट्रपतिलोकसभाराज्यसभा, विधानसभा तथा विधानपरिषद् के चुनाव करवाने के लिए एक चुनाव आयोग होगा।

· 25 जनवरी, 1950 – इस तिथि को वर्तमान चुनाव आयोग अस्तित्व में आया था।

 नोट :- वर्ष 2009 से ’25 जनवरी’ को ‘मतदाता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

· इस आयोग में एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो अन्य आयुक्त होते हैं।

· इन सभी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

· अध्यक्ष का कार्यकाल 6 वर्ष तथा 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति होती है।

· अन्य चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल – 6 वर्ष या 62 वर्ष।

· संविधान में इनकी योग्यता का उल्लेख नहीं है।

 नोट :- भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों को इस पद पर नियुक्त किया जाता है।

· राज्य निर्वाचन अधिकारी – प्रत्येक राज्य में चुनाव आयोग के प्रतिनिधित्व के रूप में कार्य करता है।

· चुनाव आयोग के कार्य – चुनाव आयोग के निम्नलिखित कार्य है–

 I. चुनाव करवाना।

 II. निर्वाचन क्षेत्रों का और स्थानों का निर्धारण करना।

 III. संसद तथा विधानमण्डल के सदस्यों की निर्योग्यता के संबंध में  राष्ट्रपति को सिफारिशें करना।

 IV. राजनीतिक दलों को मान्यता देना तथा उन्हें चुनाव चिह्न प्रदान  करना।

· 61वाँ संविधान संशोधन वर्ष 1989 – इसके द्वारा लोकसभा तथा विधानसभाओं चुनाव में मतदान करने की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।

· राष्ट्रीय दल के दर्जे का आधार – लोकसभा या विधानसभा के चुनावों में कुल वैध मतों का 6% प्राप्त करने तथा लोकसभा की 4 सीटें प्राप्त करने पर राष्ट्रीय दल का दर्जा दिया जा सकता है।

· राज्य दल का दर्जा – विधानसभा चुनाव में कुल वैध मतों का 6% तथा विधानसभा की 2 सीटें प्राप्त करने पर राज्यपाल का दर्जा दिया जा सकता है।

· चुनाव सुधार समितियाँ

तारकुंडे समितिवर्ष 1977अध्यक्षवी.एम. तारकुंडे
दिनेश गोस्वामी समितिवर्ष 1990अध्यक्षदिनेश गोस्वामी
गुप्ता/गुप्त समितिवर्ष 1998अध्यक्षइन्द्रजीत गुप्त
संविधान समीक्षा आयोगवर्ष 2000अध्यक्षएम.एन. वैंकटचलैया

EVM (Electronic Voting Machine)

· इसका प्रथम बार प्रयोग वर्ष 1982 में केरल के विधानसभा क्षेत्र में किया गया।

· गोवा – वर्ष 1999 में सम्पूर्ण चुनाव करवाने वाला प्रथम राज्य

· वर्ष 2009 में आम चुनाव तथा विधानसभाओं का चुनाव EVM से करवाया गया।

NOTA (None of the above)

· वर्ष 2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘PUCL v/s भारत संघ’ के मामले में निर्णय देते हुए कहा कि यदि मतदाता के द्वारा किसी भी उम्मीदवार को पंसद नहीं किया जाता है तो वह ‘इनमें कोई नहीं’ विकल्प चुन सकता है।

वी.वी.पी.ए.टी.

· वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल।

· चुनाव खर्च सीमा

 1. लोकसभा उम्मीदवार – 95 लाख रुपये।

 2. विधानसभा उम्मीदवार – 40 लाख रुपये तक खर्च कर सकते हैं।

· केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर (संघ राज्य) तथा पूर्वोत्तर के चार राज्यों-असम, अरुणाचल प्रदेशमणिपुर और नागालैण्ड में परिसीमन के लिए 6 मार्च, 2020 को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग का गठन किया।

· यह आयोग जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के तहत जम्मू-कश्मीर संघ राज्य के लोक सभा एवं विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन करेगा।

· असमअरुणाचल प्रदेशमणिपुर एवं नगालैंड के क्षेत्रों का परिसीमन परिसीमन कानून 2002 के प्रावधानों के तहत करेगा।

· 5 मई, 2022 को जम्मू- कश्मीर परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन पर तैयार की गई अपनी अंतिम रिपोर्ट को जारी कर दिया।

· परिसीमन के पश्चात् अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा की कुल सीटें 90 हो गयी है, जिसमें कश्मीर संभाग में 47 तथा जम्मू संभाग में 43 विधानसभा की सीटें निर्धारित की गई हैं।

· ‘निर्वाचन विधि (संशोधन) अधिनियम2016 – 31 जुलाई, 2015 से भारत एवं बांग्लादेश के मध्य बस्तियों की अदला-बदली के बाद पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के विधानसभा और संसदीय क्षेत्र का सीमित रूप से परिसीमन किया।

· निर्वाचन विधि संशोधन अधिनियम, 2021– यह अधिनियम संसद में लोकसभा द्वारा 20 दिसम्बर, 2021 को तथा राज्यसभा द्वारा 21 दिसम्बर, 2021 को पारित किया गया तथा 29 दिसम्बर 2021 को राष्ट्रपति ने अपनी सहमति प्रदान की।

· इस अधिनियम के तहत जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 एवं जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन किया गया है।

· इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य मतदाता के आधार को वोटर आईडी (मतदाता पहचान पत्र) से लिंक करना है ताकि फर्जी मतदान के खतरे से बचा जा सके।

· इस अधिनियम में पत्नी‘ शब्द के स्थान पर जीवनसाथी (Spouse) को अंतःस्थापित किया गया है।

· इसमें 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके मतदाता को एक कैलेण्डर वर्ष में चार बार क्रमश: 1 जनवरी1 अप्रैल1 जुलाई और 1 अक्टूबर को अपना नामांकन करने का अवसर प्रदान किया जाएगा।

• राजीव कुमार – वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त

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अंतिम शब्द

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