जब भी आप Indian Polity विषय को पढ़ेंगे तो उसमें आपको मूल अधिकार के बारे में भी पढ़ने को मिलेगा और इस पोस्ट में भी हम आपको Indian polity notes Pdf in hindi – मूल अधिकार ( fundamental rights ) नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं ताकि आप इस टॉपिक को यहीं से अच्छे से क्लियर कर सकें यह Indian polity notes for upsc आपको सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में काम आएंगे
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Indian polity notes Pdf in hindi – मूल अधिकार ( fundamental rights ) नोट्स
1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद-14 से 18) :
अनु. 14- विधि के समक्ष समता –
- यह विधि के समक्ष समानता अथवा विधि का समान संरक्षण प्रदान करता है। विधि के समक्ष समानता का प्रावधान ब्रिटिश संविधान से लिया गया है। इस व्यवस्था के अनुसार सभी व्यक्ति बिना किसी विभेद देश के सामान्य कानूनों से शासित होंगे अर्थात् कोई भी व्यक्ति विधि से ऊपर नहीं है।
- मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ (1980) के वाद में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के बाद अनुच्छेद-14 में निहित विधि के शासन को संविधान का आधारभूत ढाँचा घोषित किया गया है।
अनु. 15- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थल के आधार पर विभेद का प्रतिषेध –
- यह मूल अधिकार केवल भारतीय नागरिकों के लिए है। इसके अंतर्गत समता के आधार को विशेष क्षेत्रों में लागू करने की व्यवस्था है। यह धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी प्रकार के विभेद को रोकता है।
- अनुच्छेद-15(4) को प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 द्वारा संविधान में अंत: स्थापित किया गया जिसके अनुसार शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
- यह सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए नागरिकों के लिए, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए है।
- 93वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2005 द्वारा संविधान के अनुच्छेद-15 में खण्ड(5) जोड़ा गया जिसमें कहा गया है कि राज्य नागरिकों के सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों या अनुसूचित जातियों, जनजातियों की उन्नति के लिए शैक्षिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए छूट संबंधी विशेष उपबंध बना सकता है।
- 103वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 के द्वारा अनुच्छेद-15 में (6) जोड़ा गया जिसके अनुसार राज्य अनुच्छेद-15(4) तथा अनुच्छेद-15(5) में वर्णित वर्गों के अतिरिक्त आर्थिक रूप से दुर्बल किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिए विशेष उपबंध कर सकेगा।
अनु. 16- लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता –
- यह अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। यह अनुच्छेद सरकारी सेवाओं में सभी की नियुक्ति हेतु समानता के अवसर उपलब्ध कराता है।
- 77वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1995 द्वारा अनुच्छेद (4)(क) जोड़ा गया, इसमें राज्य को यह शक्ति दी गई है कि वह अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों की उन्नति में आरक्षण की व्यवस्था कर सकता है।
- 103वें संशोधन अधिनियम, 2019 से अनुच्छेद-16(6) जोड़ा गया जिसके अन्तर्गत राज्य को यह अधिकार प्रदान किया गया है कि वह अनुच्छेद-16(4) में वर्णित वर्ग के अतिरिक्त आर्थिक रूप से दुर्बल समुदाय के लिए भी नियुक्ति व पदों में आरक्षण की व्यवस्था कर सकेगा।
अनु. 17- अस्पृश्यता का अंत –
- यह भारतीय समाज में व्याप्त कुरीति अस्पृश्यता का अन्त करता है तथा छुआ-छूत का समर्थन करने वालों को दण्डित करने की व्यवस्था करता है। संसद ने अनुच्छेद-17 के अधीन शक्ति का प्रयोग करते हुए ‘अस्पृश्यता अपराध अधिनियम,1955′ अधिनियमित किया गया, जिसे सन् 1976 में पुन: संशोधन कर ‘नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1976′ नया नाम दिया गया। अनुच्छेद-17 स्वत: क्रियान्वित कानून है अर्थात् इसके उल्लंघन पर न्यायालय सीधे भारतीय दण्ड संहिता के आधार पर दण्ड दे सकता है।
अनु. 18- उपाधियों का निषेध –
- यह उपाधियों का उन्मूलन करता है। अनुच्छेद-18 के खण्ड(1) में कहा गया है कि राज्य नागरिक व गैर-नागरिकों को सैनिक तथा शैक्षणिक सेवाओं से जुड़ी उपाधियों के अतिरिक्त अन्य उपाधियाँ देने पर प्रतिबंध लगाता है।
2. स्वतंत्रता का अधिकार(अनुच्छेद-19 से 22) :
अनु. 19- वाक्–स्वातन्त्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण –
- स्वतंत्रता लोकतंत्र का आधारभूत लक्षण है एवं अनुच्छेद-19 केवल भारतीय नागरिकों के लिए है। अनुच्छेद-19(1) के अन्तर्गत प्रारम्भ में भारतीय संविधान के द्वारा सभी नागरिकों को कुल 7 स्वतंत्रताएँ प्रदान की गई थी परन्तु 44वें संविधान संशोधन, 1978 के माध्यम से अनुच्छेद-19(1)(च) में उपबंधित सम्पत्ति के अर्जन, धारण और व्ययन की स्वतंत्रता को समाप्त कर दिया गया।
- वर्तमान में भारतीय संविधान के द्वारा सभी नागरिकों को अनुच्छेद-19(1) के अन्तर्गत 6 स्वतंत्रताएँ प्रदान की गई हैं–
• अनु. 19(1)(क) : वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
• अनु. 19(1)(ख) : शांतिपूर्ण व निरायुद्ध सम्मेलन की स्वतंत्रता
• अनु. 19(1)(ग) : संघ, संगठन या सहकारी समिति (97 संशोधन 2011) बनाने की स्वतंत्रता
• अनु. 19(1)(घ) : अबाध संचरण या आगमन की स्वतंत्रता
• अनु. 19(1)(ङ) : निवास की स्वतंत्रता
• अनु. 19(1)(छ) : रोजगार या जीविका की स्वतंत्रता
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अंतिम शब्द –
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