अगर आप किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और आपके सिलेबस में भारतीय राजव्यवस्था आपको पढ़ने को मिलता है तो उसमें आपको Directive Principles of State Policy ( नीति निदेशक तत्त्व ) के बारे में आपको पढ़ने को मिलेगा उसी से संबंधित इस पोस्ट में हम आपको Indian Polity Notes Pdf ( 3 ) राज्य के नीति निदेशक तत्त्व उपलब्ध करवा रहे हैं
राज्य के नीति निदेशक तत्त्व में से पहले भी बहुत बार परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जा चुके हैं इसलिए अपनी आगामी परीक्षा की तैयारी के लिए इस टॉपिक को अच्छे से जरूर पढ़ ले
Indian Polity Notes Pdf ( 3 ) राज्य के नीति निदेशक तत्त्व
● इनका उल्लेख संविधान के भाग-4, अनुच्छेद-36 से 51 में किया गया है।
● भाग-4 को ‘सामाजिक व आर्थिक लोकतंत्र’ का प्रतीक कहा जाता है।
● इसे लोक कल्याणकारी राज्य का प्रतीक भी कहा जाता हे।
● भाग-4 को ‘प्रशासकों के लिए आचार संहिता’ भी कहा जाता है।
● चंपाकम दोराई बनाम मद्रास राज्य (1950) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने नीति-निदेशक तत्त्वों की तुलना में मूल अधिकारों को प्राथमिकता दी थी।
● मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ (1980) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने मूल अधिकारों व नीति निदेशक तत्त्वों को एक दूसरे का पुरक बतलाया।
● अनुच्छेद-36 – इसमें ‘राज्य’ शब्द को परिभाषित किया गया है।
● अनुच्छेद-37 – इसके अन्तर्गत कहा गया है कि नीति निदेशक तत्त्व वाद योग्य नहीं है, लेकिन राज्य नीतियाँ बनाते समय इन तत्त्वों को ध्यान में रखेगा।
● अनुच्छेद-38 – राज्य इस प्रकार की व्यवस्था की स्थापना करेगा, जिससे सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक न्याय की प्राप्ति हो सके तथा लोक कल्याण की स्थापना हो सके।
नोट :- अनुच्छेद-38 में यह भी उल्लेखित है कि राज्य आय, सुविधा तथा अवसरों की असमानता को समाप्त करेगा।
● अनुच्छेद-39 – इसमें निम्नलिखित बातों का उल्लेख है–
a. सभी स्त्रियों व पुरुषों को आजीविका प्राप्त करने का समान अवसर होगा।
b. राज्य प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन इस प्रकार से करेगा कि जिससे अधिकतम लोगों का अधिकतम हित है।
c. राज्य आर्थिक संसाधनों के केन्द्रीयकरण पर रोक लगाएगा।
d. सभी स्त्रियों एवं पुरुषों को समान कार्य के लिए समान वेतन प्राप्त होगा।
e. राज्य सभी स्त्रियों व पुरुषों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखेगा ओर उन्हें ऐसे काम नहीं करने देगा जो उनकी आयु के विरुद्ध हो।
f. राज्य बच्चों को स्वस्थ एवं गरीमायुक्त वातावरण उपलब्ध करवाएगा।
● अनुच्छेद-39 (A) – राज्य सभी व्यक्तियों को नि:शुल्क न्याय व विधिक सहायता उपलब्ध करवाएगा।
नोट :- इसे 42 वें संविधान द्वारा वर्ष 1976 में जोड़ा गया।
● वर्ष 1987 में ‘राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम’ बनाया गया।
● 9th नवम्बर – विधिक सेवा दिवस।
● अनुच्छेद-40 – राज्य ग्राम पंचायतों का गठन करेगा।
नोट :- अनुच्छेद-40 गाँधीजी के ‘ग्राम स्वराज’ की अवधारणा से संबंधित है।
● अनुच्छेद-41 – राज्य आर्थिक क्षमताओं तथा विकास की सीमाओं के भीतर रहते हुए सभी लोगों को शिक्षा, काम तथा लोक सहायता उपलब्ध करवाएगा।
● राज्य बेकारी, बीमारों, बुजुर्गो तथा नि:शक्तों को लोक सहायता उपलब्ध करवाएगा।
● अनुच्छेद-42 – राज्य सभी व्यक्तियों को कार्य की मानवोचित व न्याय संगत दशाएँ उपलब्ध करवाएगा तथा प्रसूति सहायता उपलब्ध करवाएगा।
● अनुच्छेद-43 – इस अनुच्छेद के अन्तर्गत राज्य सभी व्यक्तियों को निर्वाह योग्य वेतन उपलब्ध करवाएगा। (न्यूनतम वेतन अधिनियम–1948)
● अनुच्छेद-43 A – इसे 42वें संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 1976 में जोड़ा गया। इसके अन्तर्गत राज्य उद्योगों में प्रबंधन में भागीदारीता को सुनिश्चित किया गया।
नोट :- भारत में ‘TRADE UNION’ का आधार अनुच्छेद-43A है।
● अनुच्छेद-43 B – राज्य सहकारी संस्थाओं की स्थापना को बढ़ावा देगा।
● अनुच्छेद-44 – राज्य सभी लोगों के लिए ‘समान नागरिक संहिता (Common Civil Code)’ की स्थापना करेगा।
● इसका अर्थ यह है कि सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद तथा उत्तराधिकार के नियम एक जैसे होंगे।
● अनुच्छेद-45 – राज्य 6 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों के लिए ‘पूर्व प्रारम्भिक शिक्षा’ तथा उनकी बाल्यावस्था की देखभाल की व्यवस्था करेगा।
● अनुच्छेद-46 – राज्य समाज के दुर्बल वर्गों के लिए शिक्षा की व्यवस्था करेगा।
● अनुच्छेद-47 – राज्य सभी व्यक्तियों के लिए पोषणयुक्त भोजन की व्यवस्था करेगा तथा ऐसी दवाओं पर रोक लगाएगा जो व्यक्ति के जीवन के लिए खतरनाक है।
● राज्य मादक पदार्थों के सेवन पर भी रोक लगाएगा।
● अनुच्छेद-48 – राज्य कृषि एवं पशुपालन का आधुनिक एवं वैज्ञानिक ढंग से संचालन करेगा एवं गाय, बछड़ों तथा अन्य दूध देने वाले व भार ढोने वाले पशुओं की नस्ल सुधारने और उनके वध को रोकने का प्रयत्न करेगा।
● अनुच्छेद-48 A – राज्य पर्यावरण का संरक्षण करेगा तथा वन एवं वन्य जीवों की रक्षा करेगा। (वन एवं वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972)
नोट :- इसे 42 वें संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 1976 में जोड़ा गया।
● अनुच्छेद-49 – राज्य राष्ट्रीय स्मारकों तथा राष्ट्रीय महत्त्व के स्थानों को संरक्षण प्रदान करेगा।
● अनुच्छेद-50 – राज्य कार्यपालिका व न्यायपालिका को अलग-अलग करेगा।
● अनुच्छेद-51 – इस अनुच्छेद में निम्नलिखित बातें सम्मिलित की गई है–
(i) भारत अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बढ़ावा देगा।
(ii) सभी राष्ट्रों के मध्य न्यायसंगत व सम्मान जनक व्यवहार को बढ़ावा देगा।
(iii) सभी राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय संधियों व समझौतों की पालना करे, इस बात को बढ़ावा देगा।
(iv) अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का समाधान मध्यस्थता से हो, इस बात को बढ़ावा देगा।
नोट :- अनुच्छेद-51 ‘भारत की विदेश नीति’ का संवैधानिक आधार है।
नीति निदेशक तत्त्वों से संबंधित महत्त्वपूर्ण कथन
● प्रो.के.टी.शाह – “नीति निदेशक तत्त्व एक ऐसा चैक है जिसका भुगतान बैंक की इच्छा पर निर्भर है।”
● सर आयवर जैनिग्स – “इन्होने नीति निदेशक तत्त्वों को पुण्य आत्माओं की महत्त्वकांक्षा की संज्ञा दी।”
● ग्रैनविल ऑस्टिन – “इनके अनुसार नीति-निदेशक तत्त्व सामाजिक क्रांति के प्रतीक कहे जाते हैं।”
● के.सी. व्हियरे – “इनके अनुसार नीति निदेशक तत्त्व व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका के बीच टकराव के कारण बनेंगे जिससे संविधान कमजोर होगा।”
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अंतिम शब्द –
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