सिविल सर्विस परीक्षा एवं अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं में World geography notes in hindi से संबंधित अनेक प्रश्न पूछे जाते हैं ऐसे में अगर आप टॉपिक अनुसार नोट्स पढ़ते हैं तो आप इस विषय को मजबूत कर सकते हैं इसलिए हम आपको इस पोस्ट में World geography ( विश्व का भूगोल ) Notes Pdf in hindi – चट्टानें ( Rocks ) एवं उनके प्रकार के बारे में संपूर्ण नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं
विश्व का भूगोल जब भी आप पढ़ेंगे तो चट्टानों ( Rocks ) के बारे में शार्ट नोट्स आप यहां से पढ़ सकते हैं हमने एक ही पीडीएफ में इन नोट्स को कवर किया है जिसे आप डाउनलोड भी कर सकते हैं
World geography ( विश्व का भूगोल ) Notes Pdf in hindi – चट्टानें ( Rocks ) एवं उनके प्रकार
चट्टान = भू – पृष्ट पर पाए जाने वाले कठारे एवं मुलायम पदार्थ जो धातु नहीं है। चट्टान कहलाते हैं।
आग्नेय चट्टान (Igneous Rocks) –
आग्नेय शब्द लैटिन भाषा के इग्निस (Ignis) से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ अग्नि (Fire) होता है आग्नेय चट्टान की रचना तप्त एवं तरल मैग्मा के ठंडे होने से होती है पृथ्वी प्रारंभिक अवस्था में तरल रूप में थी और इस तरह मैग्मा के ठंडा होकर जमने से ठोस आग्नेय चट्टान का निर्माण हुआ चूँकि सबसे पहले इसी चट्टान का निर्माण हुआ इसलिए इसे प्राथमिक चट्टान (Primary Rocks) भी कहते हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि आग्नेय चट्टान का निर्माण पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास के हर काल में होता रहा है और आज भी हो रहा है। ज्वालामुखी उद्गार से गर्म एवं तरल लावा पृथ्वी के अन्दर तथा बाहर फैलकर ठोस रूप में जमकर आग्नेय चट्टान का रूप लेता है।
आग्नेय चट्टानों की विशेषताएँ –
1.आग्नेय चट्टानें लावा के धीरे-धीरे ठंडा होने से बनी हैं इस कारण ये रवेदार तथा दानेदार होती हैं इनके रवों की बनावट में पर्याप्त अंतर पाया जाता हैं रवों का आकार (Size) तथा रूप (Form) में भी पर्याप्त अन्तर पाया जाता है। रवों की बनावट मैग्मा के ठंडा होने की गति पर निर्भर करता है जब मैग्मा ज्वालामुखी विस्फोट के कारण ऊपरी सतह पर ठंडा होता है ठंडे होने की गति तीव्र होती है इस कारण चट्टान में रवे बहुत बारीक होते हैं ये रवे इतने बारीक होते हैं कि इनको बिना लैन्स की सहायता से नहीं देखा जा सकता है। परन्तु सतह के नीचे मैग्मा के ठंडे होने की गति बहुत धीमी होती है इस कारण चट्टानों के रवे या कण बड़े होते हैं जैसे ग्रेनाइट चट्टान के रवे बड़े होते हैं।
2.आग्नेय चट्टानें बहुत कठोर होती है जिसके कारण वर्षा जल प्रवेश नहीं हो पाता है।
3. आग्नेय चट्टानों में परते (Layers) नहीं पाई जाती है।
4.चूँकि पानी का प्रवेश लगभग नहीं हो पाता है इसलिए रासायनिक अपक्षय की क्रिया कम होती है जो भी रासायनिक अपक्षय होता है वह संधियों (Joints) के सहारे होता है।
5.आग्नेय चट्टानें मैग्मा के ठंडा होने से बनी है इस कारण इनमें जीवावशेष (Fossils) नहीं पायें जाते हैं।
6.आग्नेय चट्टान में संधिया (Joints) ऊपरी भाग में अधिक पाए जाते हैं।
उदाहरण – ग्रेनाइट, बेसाल्ट।
आग्नेय शैलों का वर्गीकरण
आग्नेय चट्टानों के प्रकार में पर्याप्त अन्तर पाया जाता है। खनिजों की रचना, रंग, कणों की बनावट तथा आकार एवं विभिन्न आग्नेय चट्टानों की उत्पत्ति की प्रक्रिया में पर्याप्त भिन्नता पाई जाती हैं। इस आधार पर आग्नेय शैलों को चार तरह से विभाजित किया जा सकता हैं।
उत्पत्ति की प्रक्रिया के अनुसार
(अ) अन्त: निर्मित आग्नेय शैल
1. पातालीय आग्नेय शैल
2. मध्यवर्ती आग्नेय शैल
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अंतिम शब्द –
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