इस पोस्ट में हम आपको भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रश्न National Income of India Notes in Hindi Part 1 – राष्ट्रीय आय से संबंधित नोट्स | National Income Notes Class 12 Pdf in Hindi उपलब्ध करवा रहे हैं इसमें राष्ट्रीय आय से संबंधित आपको सभी जानकारी मिलने वाली है
Indian Economy National Income Notes in Hindi भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित ऐसे ही टॉपिक वाइज नोट्स हम आपके लिए लेकर आते हैं ताकि आप प्रत्येक टॉपिक को अच्छे से याद करें यह नोट्स सिविल सर्विस परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है
National Income of India Notes in Hindi Part 1 – राष्ट्रीय आय से संबंधित नोट्स
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- किसी देश के द्वारा एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का अंतिम मूल्य राष्ट्रीय आय कहलाता है।
- भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक माना जाता है।
- राष्ट्रीय आय की अवधारणा के जनक साइमन कुजनेट्स थे।
साइमन कुजनेट्स के अनुसार-
- किसी देश में उत्पादित उन वस्तुओं व सेवाओं का मूल्य जो अंतिम उपभोक्ता को प्राप्त होती है।
राष्ट्रीय आय की गणना में शामिल क्षेत्र-
- राष्ट्रीय आय की गणना मौद्रिक रूप से की जाती है।
- गत वर्ष का स्टॉक राष्ट्रीय आय का हिस्सा नहीं होता है।
- गत वर्ष का उत्पादन राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।
- ब्याज प्राप्तियाँ राष्ट्रीय आय का हिस्सा होती है।
- पेंशन, वजीफा, भत्ता अंतरण राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं है।
- उधारियों की पुन: प्राप्ति राष्ट्रीय आय का हिस्सा नहीं है।
- राष्ट्रीय आय समस्त उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य का योग हैं।
अंतिम वस्तुएँ (Final Goods) क्या होती हैं ?
उत्पादन प्रक्रिया के दौरान तैयार उपभोग योग्य वस्तुएँ अंतिम वस्तुएँ कहलाती है।
उपयोग के आधार पर दो प्रकार की वस्तुएँ है-
(1) उपभोक्ता वस्तु (consumer goods)
जिस वस्तु का उपयोग उपभोग हेतु किया जाता है।
(2) पूँजीगत वस्तु (capital goods)
जिस वस्तु के उपयोग से आय का सृजन व पूँजी निर्माण होता है।
उपभोक्ता वस्तुएँ (consumer goods भी दो प्रकार की है-
(1) टिकाऊ वस्तु
– वे उपभोक्ता वस्तुएँ जो उपभोग के दौरान अपने अस्तित्व को बनाए रखती है जैसे – टेलीविजन, एयरकंडीशनर, फ्रिज।
(2) गैर टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु
– वे उपभोक्ता वस्तुएँ जो उपभोग के दौरान अपना अस्तित्व खो देती है जैसे- खाद्य वस्तुएँ -पिज्जा, बर्गर, चाउमीन
पूरक वस्तुएँ
दो वस्तुओं में पाया जाना वाला वह संबंध जिसमें एक वस्तु की माँग बढ़ने से दूसरी वस्तु की माँग भी बढ़ जाती है तथा दूसरी वस्तु की माँग घटने से पहली वस्तु की माँग भी घट जाती है।
जैसे –
- कार – पेट्रोल
- चाय – दूध
- पेन – स्याही
स्थापन्न/स्थानापन्न वस्तुएँ-
दो वस्तुओं में पाया जाने वाला वह संबंध जिसमें एक वस्तु की माँग बढ़ने से दूसरी वस्तु की माँग घटती है तथा पहली वस्तु की माँग घटने से दूसरी वस्तु की माँग बढ़ जाती है यह संबंध स्थापन कहलाता है तथा वस्तुएँ स्थानापन्न वस्तुएँ कहलाती है।
जैसे-
- पेट्रोल – डीजल
- पेन – पेंसिल
- चाय – कॉफी
गिफिन वस्तुएँ –
- उपभोग की वे निम्न स्तरीय वस्तुएँ जो अर्थशास्त्र के माँग तथा कीमत सिद्धांत का पालन नहीं करती है वस्तुओं का यह विरोधाभास गिफिन विरोधाभास तथा वस्तुएँ गिफिन वस्तुएँ कहलाती हैं।
- जैसे – नमक, खाद्य पदार्थ, शराब
राष्ट्रीय आय की अवधारणा (concept of national income)
(1) GDP- Gross domestic product – सकल घरेलू उत्पाद
- किसी देश की घरेलू सीमा में एक वित्त वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का अंतिम मूल्य सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है।
घरेलू सीमा में शामिल
- स्थलीय भौगोलिक सीमा
- समुद्री सीमा से 200 नॉटिकल मील की दूरी
- घरेलू जलयान तथा वायुयान का उत्पादन
- विदेशों में स्थित दूतावास
- अंतरिक्ष में स्थित उपग्रह
- सैन्य क्षेत्र
Note: बाजार कीमत सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) संपूर्ण अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का बाजार मूल्य ही बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद कहलाता हैं।
अंतिम शब्द :
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