[ Indian Economy ] National Income of India Notes in Hindi Part 2 – राष्ट्रीय आय से संबंधित नोट्स

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इस पोस्ट में हम आपको भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रश्न [ Indian Economy ] National Income of India Notes in Hindi Part 2 – राष्ट्रीय आय से संबंधित नोट्स | National Income Notes Class 12 Pdf in Hindi उपलब्ध करवा रहे हैं इसमें राष्ट्रीय आय से संबंधित आपको सभी जानकारी मिलने वाली है

 Indian Economy National Income Notes in Hindi भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित ऐसे ही टॉपिक वाइज नोट्स हम आपके लिए लेकर आते हैं ताकि आप  प्रत्येक टॉपिक को अच्छे से याद करें यह नोट्स सिविल सर्विस परीक्षाओं  की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है

National Income of India Notes in Hindi Part 2 – राष्ट्रीय आय से संबंधित नोट्स

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National Income of India Notes in Hindi Part 2

(2)   GNP = Gross National Product सकल राष्ट्रीय उत्पाद

  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में से विदेशियों द्वारा देश में अर्जित आय को घटाकार तथा देश के नागरिकों द्वारा विदेशों से अर्जित आय को जोड़कर सकल राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त किया जाता है।
  • GNP = GDP + X – m
  • X = देश के नागरिकों द्वारा विदेशों से प्राप्त आय (NRI)
  • M= विदेशियों द्वारा देश में अर्जित आय
  • GNP = GDP+NFIA (X – M, विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय)
  • यदि NFIA negative होता है तो GNP, GDD की तुलना में कम होगी।

(3)  NNP = Net national product

शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद

  • सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से उत्पादन प्रक्रिया के दौरान होने वाले मूल्यह्रास को घटाकर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त किया जाता है।
  • NNP = GNP – मूल्यह्रास

मूल्यह्रास (Depreciation)

  • वस्तु के मूल्य में होने वाली गिरावट मूल्य ह्रास कहलाती है उत्पादन के दौरान मशीन के मूल्य में गिरावट आना मूल्यह्रास कहलाता है।
  • मूल्यह्रास= वस्तु की कीमत / वस्तु का जीवनकाल

राष्ट्रीय आय (National Income or NI)  : 

  • साधन लागत (Factor Cost) पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) को राष्ट्रीय आय (NI) कहते हैं। वर्तमान (2015 से) में राष्ट्रीय आय की गणना बाजार की कीमतों पर की जाती हैं।
  • प्रचलित कीमतों (Current Prices) पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) में से प्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) को घटा दिया जाए और उपादान (Subsidy) को जोड़ दिया जाता है।
  • राष्ट्रीय आय (NI) = प्रचलित कीमतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन – अप्रत्यक्ष कर + उपादान

या

NI = NNPmp– IT + Subsidy

वास्तविक राष्ट्रीय आय – ( National Income of India Notes in Hindi Part 2 )

  • किसी भी देश की मुद्रा की क्रय शक्ति में निरन्तर परिवर्तन होता रहता है। इसलिए वास्तविक राष्ट्रीय आय की जानकारी के लिए किसी आधार वर्ष के सापेक्ष शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद की गणना की जाती है।

वैयक्तिक आय (Personal Income):

  • इसको व्यक्तिगत आय भी कहते हैं इसके लिए राष्ट्रीय आय में से अंतरण भुगतान (Transfer Payments) को जोड़ दिया जाता है तथा इसमें से निगम कर (Corporate Tax) कंपनियों के अवितरित लाभ (Undistributed Profits) तथा सामाजिक सुरक्षा (Social Security Contribution) को हटा दिया जाता है।
  • वैयक्तिक आय = राष्ट्रीय आय – अवितरित आय – निगम कर + अंतरण (transfer)- सामुदायिक सेवा शुल्क

या

P.I = N.I + TP – UDP – CT – SSC

व्यय योग आय(वैयक्तिक प्रयोज्य आय) Disposable Personal Income

  • प्रत्येक वर्ष वैयक्तिक राशि में से कुछ राशि सरकार द्वारा प्रत्यक्ष (Direct Taxes) के रूप में ले ली जाती है। इस प्रकार वैयक्तिक आय में से प्रत्यक्ष कर को घटाने पर जो राशि बचती है, उसे व्यय योग कहते हैं।
  • वैयक्तिक आय में से शुद्ध प्रत्यक्ष कर घटाने पर खर्च योग्य वैयक्तिक आय प्राप्त होती है।
  • व्यय योग आय  = वैयक्तिक आय – प्रत्यक्ष कर

निजी आय (Private Income)

  • सकल घरेलू उत्पाद को दो भागों में बाँटा जा सकता है।
  1. सरकारी क्षेत्र
  2. निजी क्षेत्र
  • इसमें से निजी क्षेत्र को होने वाली आय निजी आय कहलाती है। इसमें उत्पादन से होने वाली आय के साथ-साथ अन्तरण भुगतान को भी सम्मिलित किया जाता है।
  • निजी आय  = सकल घरेलू आय में निजी क्षेत्र का हिस्सा + विदेश से अर्जित शुद्ध साधन + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + सरकार द्वारा अन्तरण भुगतान + विदेशों से शुद्ध अन्तरण भुगतान

GDP- अपस्फीतिकारक – deflator

  • GDP deflation निकालने के लिए नाममात्र की GDP अर्थात् nominal GDP में से वास्तविक GDP का भाग देना होता है।

 GDP DEFLATION = NOMINAL GDP  REAL GDP �100

  • GDP अवस्फीतिकारक व real GDP में व्युत्क्रमानुपाती संबंध होता है।
  • नोट  जनवरी, 2015 से राष्ट्रीय आय गणना विधि में परिवर्तन किया गया।
  • प्रत्येक क्षेत्र के अलग-अलग प्रदर्शन की गणना हेतु कारक       लागत पर G.V.A. (gross value add) सकल मूल्य वर्धन अपनाया गया।  
  • GVA (मूल कीमतों पर) = श्रमिकों को क्षतिपूर्ति + संचालन आधिक्य (Operating Surplus) + स्थिर पूँजी का उपयोग + Production Tax – Production Subsidy.
  • GDP (बाजार कीमतों पर) = GVA at basic price + product tax – subsidy
  • प्राप्त GDP को मुद्रास्फीति से समायोजित कर प्राप्त GDP को आधिकारिक GDP कहा गया।

कारक लागत/साधन लागत/ Factor Cost-

  • कारक मूल्य से तात्पर्य उत्पाद के उस मूल्य से है जो उत्पादन में काम में लिए गये साधनों या कारकों का योग होता है।

प्रति व्यक्ति आय- per capital income

  • प्रति व्यक्ति आय प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय आय को देश की कुल जनंसख्या से विभाजित किया जाता है।
  • प्रति व्यक्ति आय =  राष्ट्रीय आय/जनसंख्या

राष्ट्रीय आय की गणना

  • राष्ट्रीय आय की गणना आधार वर्ष तथा प्रचलित वर्ष पर की जाती है।

1. आधार वर्ष /स्थिर वर्ष/Base year –
आधार वर्ष से तात्पर्य उस वर्ष से है जिसकी कीमतों को आधार मानकर वर्तमान अर्थव्यवस्था की गणना की जाती है।
नोट – 1 जनवरी, 2015 को आधार वर्ष 2004-05 से बदलकर 2011-12 कर दिया गया है।

2. प्रचलित वर्ष /चालू वर्ष/current year- वर्तमान में प्रचलित कीमतों के आधार पर गणना की जाती  है।

हिन्दू वृद्धि दर (hindu growth rate)-
हिंदू वृद्वि दर से तात्पर्य राष्ट्रीय आय की निम्नवृद्धि दर है-
हिंदू वृद्धि दर को प्रोफेसर राजकृष्णा द्वारा परिभाषित किया गया।

राष्ट्रीय आय मापने की विधियाँ –

साइमन कुजनेट्स के अनुसार, किसी देश की राष्ट्रीय आय को तीन विधियों द्वारा मापा जा सकता है- ये 3 विधियाँ हैं –
(i) उत्पादन गणना विधि (Production Method)
(ii) आय गणना विधि (Income Method)
(iii) व्यय गणना विधि (Expenditure Method)

(1) उत्पादन गणना विधि –

सूचकसूत्र
1.  बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPmp)एक लेखा वर्ष में देश की घरेलू सीमा में सभी उत्पादकों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का बाजार मूल्य
2.  बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPmp)GDPmp + विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय
3.  बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPmp)GNPfc  – स्थिर पूँजी का उपभोग या मूल्यह्रास
4.   बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPmp)NNPmp  – विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय
5.   कारक लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद या शुद्ध घरेलू आय (NDPfc)NDPmp  – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता (सब्सिडी)
6.   कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPfc)NDPfc + मूल्यह्रास
7.    कारक लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPfc)GDPfc + विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय
8.    कारक लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद या राष्ट्रीय आय (NNPfc)GNPfc – मूल्ह्रास
9.    शुद्ध राष्ट्रीय प्रयोज्य आय (इसे प्राय: राष्ट्रीय आय कहते हैं।)शुद्ध घरेलू आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + विदेशों से प्राप्त शुद्ध प्रयोज्य आय
10.  सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आयशुद्ध राष्ट्रीय प्रयोज्य आय + चालू पुन:स्थापना लागत
11.  निजी आयनिजी क्षेत्र को घरेलू उत्पाद से प्राप्त आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय + सरकार से प्राप्त चालू हस्तांतरण + शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तांतरण + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज
12.    वैयक्तिक आयनिजी आय – निगम लाभ कर – अवितरित लाभ या निगम बचत
  • इसे औद्योगिक उद्गम प्रणाली या सूची गणना प्रणाली भी कहते हैं।
  • इस पद्धति के अन्तर्गत किसी अर्थव्यवस्था में एक वर्ष में जिन वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है, उसके कुल मूल्य को जोड़ दिया जाता है।
  • दोहरी गणना से बचने के लिए केवल अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं को ही जोड़ा जाता है। इसलिए इसे अंतिम उपज योग (Final Product Total) भी कहा जाता है। यह वास्तव में GDP को दर्शाता है।

समस्या –

  1. देश में उत्पादित सेवाओं और वस्तुओं के मूल्य सम्बन्धी सही और विस्तृत आँकड़े उपलब्ध नहीं होते।
  2. यह पता लगाना कठिन है कौन-सी वस्तु अंतिम और कौन-सी मध्यवर्ती है।

(2) आय गणना प्रणाली –

  • देश के विभिन्न वर्ग़ों की अर्जित आय को जोड़ लिया जाता है। इसमें विभिन्न साधनों द्वारा उपलब्ध शुद्ध आय की गणना कर ली जाती है।
  • 1. मजदूरी पारिश्रमिक + 2. स्वनियुक्त आय + 3. कर्मचारियों के कल्याण के लिए अंशदान + 4. लाभांश + 5. ब्याज + 6. अतिरिक्त लाभ + 7. लगान और किराया + 8. सरकारी उद्यमों के लाभ + 9. विदेशों से अर्जित शुद्ध कारक /साधन आय।

(3)  व्यय की गणना प्रणाली –

  • इस प्रणाली में एक वर्ष में अर्थव्यवस्था में होने वाले व्यय + बचत के कुल प्रवाह का योग करते हैं। इस विधि को उपभोग बचत विधि भी कहते हैं।
  • 1. निजी अन्तिम उपभोग व्यय + 2. सरकारी अन्तिम उपभोग व्यय + 3. सकल पूँजी निर्माण + 4. वस्तुओं और सेवाओं का शुद्ध निर्यात + 5. बचत।
  • तथा इसमें बचत/व्यय के आँकड़े सही उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। अतः भारत जैसे देश में राष्ट्रीय आय की गणना के लिए उत्पादन प्रणाली और आय प्रणाली के सम्मिश्रण का प्रयोग किया जाता है।

राष्ट्रीय आय प्राक्कलन की समस्याएँ –

  • छोटे उत्पादकों एवं घरेलू उद्योगों की आय के डेटा (आँकड़े) समुचित उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।
  • जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा अशिक्षित होना, जिससे आँकड़ों का सही मूल्यांकन नहीं हो पाता है।
  • विश्वसनीय आँकड़ों का अभाव – भारत में अभी भी किसी वर्ष विशेष के राष्ट्रीय आँकड़े को अन्तिम रूप देने में चार वर्ष लग जाते हैं।
  • छिपी हुई अर्थव्यवस्था – भारत में अधिकांश लोगों के द्वारा आय की जानकारी नहीं दी जाती है। इस प्रकार समानान्तर काली अर्थव्यवस्था संचालित होती है।
  • अमुद्रीकृत क्षेत्र का उत्पाद – भारत में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मुद्राओं में आदान-प्रदान होता है। लेकिन फिर भी समस्त उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का अधिकांश भाग बाजार में नहीं आ पाता अतः सही आकलन नहीं होता है।

भारत में राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय कम होने के कारण-

  1. कृषि पर अत्यधिक निर्भरता       
  2. औद्योगीकरण का अभाव           
  3. कम बचत          
  4. कम विनियोग
  5. जनसंख्या का तीव्र वृद्धि दर       
  6. विभिन्न क्षेत्रों का असंतुलित विकास                
  7. परिवहन साधनों के अपर्याप्त व्यवस्था
  8. अशिक्षा
  9. बढ़ती हुई बेरोजगारी

भारत में राष्ट्रीय आय-

  • भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की गणना 1876 में दादाभाई नौरोजी द्वारा वर्ष 1868 के लिए की गई। अपनी पुस्तक ‘पॉवर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया’ में उन्होंने प्रति व्यक्ति आय 20 रुपये प्रतिवर्ष बतायी।
  • 1911-12 में फिडले शिराज द्वारा प्रतिव्यक्ति आय 49 रुपये बताई गई।
  • 1931-32 में वी.के.आर.वी.राव द्वारा सर्वप्रथम वैज्ञानिक आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की गई।
  • अगस्त, 1949 में राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष पी.सी.महालनोबिस थे।
  • राष्ट्रीय आय समिति ने अपनी पहली रिपोर्ट वर्ष 1951 में प्रस्तुत की, जिसके अनुसार वर्ष 1948-49 में भारत का राष्ट्रीय आय रु. 8650 करोड़ रु.  तथा प्रति व्यक्ति आय रु.  246.9 थी।

राष्ट्रीय आय की गणना-

  • 1 जनवरी, 2015 को राष्ट्रीय आय गणना हेतु आधार वर्ष 2004-05 को परिवर्तित कर 2011-12 कर दिया गया।
  • अब साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद(GDPFC) का आकलन करने की परंपरा को हटा दिया गया है तथा बाजार मूल्य पर  सकल घरेलू उत्पाद(GDPMP) को ही सकल घरेलू उत्पाद के रूप में स्वीकार किया गया है।
  • राष्ट्रीय आय के आँकड़ों की गणना करने हेतु केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय C.S.O की स्थापना 1951 में नई दिल्ली में की गयी जिसके प्रथम अध्यक्ष पी.सी.महालनोबिस थे जिन्हें भारतीय सांख्यिकी का जनक भी कहा जाता है।
  • सर्वप्रथम CSO द्वारा 1956 में राष्ट्रीय आय के आँकडे़ जारी किए गए।

NSO

  • 23 मई, 2019 को CSO तथा NSSO को मिलाकर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) किया गया जो वर्तमान में राष्ट्रीय आय के आँकड़े जारी करता है।
  • सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के काम-काज को सुव्यवस्थित और मजबूत करने तथा मंत्रालय के भीतर प्रशासनिक कार्यों को एकीकृत करके अधिक ताल-मेल बैठाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
  • विदेशों से प्राप्त आय की गणना RBI द्वारा की जाती है।

2020-21 के आँकडे़ (प्रथम अग्रिम आँकड़े)

राष्टीय आय (NNPfc )

प्रचलित कीमतों पर                 स्थिर मूल्य पर

19239492 करोड़ रुपये          13269436 करोड़ रुपये         

 वृद्धि दर( -4.4%)                   वृद्धि दर (-7.9%)

प्रतिव्यक्ति आय

  • प्रचलित  मूल्य पर – 126968 रुपये   वृद्धि दर( -5.4%)  
  • स्थिर मूल्य पर – 86456 रुपये   वृद्धि दर( -8.9%)  

जीडीपी (GDPmp)

प्रचलित कीमतों पर                  स्थिर मूल्य पर

194.8 लाख  करोड़ रुपये          134.4 लाख  करोड़ रुपये         

वृद्धि दर (-7.7%)

GVA

प्रचलित कीमतों पर                  स्थिर मूल्य पर

175.8 लाख  करोड़ रुपये          123.4 लाख  करोड़ रुपये         

 वृद्धि दर (-7.2%)

नोट – केन्द्र सरकार ने सांख्यिकीय मंत्रालय के अनुसार 2020 – 21 वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच विकास दर 23.9% की गिरावट दर्ज की गई है।

इसका मुख्य कारण कोरोना वायरस महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन माना जा रहा है।

अंतिम शब्द :

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