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1857 की क्रांति
- 1857 ई. तक भारत में ब्रिटिश शासन के सौ वर्ष पूरे हो गए। इस दौरान ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अनेक सैनिक व असैनिक विद्रोह हुए।
- यह विद्रोह पिछले 100 वर्षों के राजनैतिक, धार्मिक, सामजिक व आर्थिक कारणों से हुआ।
- 1857 ई. की क्रांति के समय भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग थे।
- 1857 की क्रांति के समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री लॉर्ड पॉमर्स्टन थे।
1857 के विद्रोह के प्रमुख कारण
1. राजनीतिक एवं प्रशासनिक कारण :-
- 1857 की क्रांति के राजनीतिक कारणों में लॉर्ड वेलेजली की ‘सहायक संधि’ तथा लॉर्ड डलहौजी का ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of lapse) प्रमुख था।
- रियासतों के विलय के अतिरिक्त पेशवा (नाना साहब) की पेंशन रोके जाने का विषय भी असंतोष का कारण बना।
- डलहौजी ने तंजौर तथा कर्नाटक के नवाबों की उपाधियाँ जब्त कर ली।
2. सामाजिक एवं धार्मिक कारण :-
- 1850 ई. में आए ‘धार्मिक निर्योग्यता अधिनियम’ द्वारा ईसाई धर्म को ग्रहण करने वाले को पैतृक संपत्ति में अधिकार मिल गया। इससे हिंदू समाज में असंतोष की भावना फैल गई।
- 1813 ई. के चार्टर एक्ट में ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया गया।
- 1856 ई. में डलहौजी के समय प्रस्तुत विधवा पुनर्विवाह अधिनियम लॉर्ड कैनिंग के शासन में पारित हुआ।
3. आर्थिक कारण :-
- ब्रिटिश भू-राजस्व नीतियों, यथा- स्थायी बंदोबस्त, रैय्यतवाड़ी तथा महालवाड़ी व्यवस्था आदि के द्वारा किसानों का जमकर शोषण किया गया। व्यापारिक कंपनी ने अपनी समस्त नीतियों के मूल में आर्थिक लाभ को केंद्र में रखा।
4. सैन्य कारण :-
- सैन्य सेवा में नस्लीय भेदभाव विद्यमान थे और योग्यता के बावजूद भारतीय सैनिक अधिकतम सूबेदार पद तक पहुँच सकते थे और साथ ही उनके साथ बुरा बर्ताव किया जाता था।
- लॉर्ड कैनिंग के समय 1856 में ‘सामान्य सेवा भर्ती अधिनियम पारित किया गया, जिसके द्वारा किसी भी समय किसी भी स्थान पर, समुद्र पार भी सैनिकों का जाना अंग्रेजी आदेश पर निर्भर हो गया। यह भारतीयों के सामाजिक-धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ़ था।
- 1854 ई. में डाकघर अधिनियम लाया गया, जिसके द्वारा अब सैनिकों को भी पत्र पर स्टैंप लगाना अनिवार्य हो गया। यह सैनिकों के विशेषाधिकारों के हनन जैसा था।
5. तात्कालिक कारण :-
- दिसंबर, 1856 में भारत सरकार ने पुरानी बन्दूक ‘ब्राउन बैस’ के स्थान पर नई ‘एनफील्ड राइफल्स’ प्रयोग करने का निश्चय किया। इस नई राइफल से कारतूस के ऊपरी भाग को मुँह से काटना पड़ता था।
- बंगाल की सेना में यह बात फैल गई कि नई राइफल्स के कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी का प्रयोग किया गया है।
- गाय हिन्दूओं के लिए पवित्र थी और मुसलमानों के लिए सूअर निषिद्ध था। कारतूसों में चर्बी होने की जाँच की गई। चर्बी लगे कारतूसों की घटना ने विद्रोह की चिनगारी सुलगा दी और उससे जो धमाका हुआ उसने भारत में अंग्रेजी राज्य की जड़े हिला दी।
1857 के विद्रोह का प्रारंभ
- 29 मार्च, 1857 को 34वीं रेजीमेंट, बैरकपुर के सैनिक मंगल पाण्डे ने चर्बी लगे कारतूस के प्रयोग का विरोध किया तथा विद्रोह की शुरुआत कर दी। उसने सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट बॉग एवं सार्जेण्ट मेजर ह्यूसन की गोली
- मारकर हत्या कर दी। 8 अप्रैल, 1857 को सैन्य अदालत के निर्णय के बाद मंगल पाण्डे को फाँसी की सज़ा दे दी गई, जो कि 1857 की क्रांति का प्रथम शहीद माना गया।
- 10 मई, 1857 को मेरठ छावनी में तैनात भारतीय सेना ने चर्बी युक्त कारतूस के प्रयोग से इनकार कर दिया एवं अपने अधिकारियों पर गोलियाँ चलाई और विद्रोह प्रारंभ कर दिया।
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