1857 का विद्रोह : विस्तार, परिणाम एवं महत्वपूर्ण तथ्य

Share With Friends

जब भी आप भारत का इतिहास विषय पढ़ाते हैं तो उसमें आपको 1857 का विद्रोह के बारे में अध्याय जरूर पढ़ने को मिलेगा लेकिन उसमें आपको कुछ ऐसी जानकारियां भी पढ़ने के लिए मिलती है जिन्हें परीक्षा से कोई मतलब नहीं होता और वहां से पेपर में प्रश्न भी नहीं आता इसलिए हम केवल उन महत्वपूर्ण नोट्स को उपलब्ध करवा रहे हैं जो परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है 

अगर आप 1857 के विद्रोह के बारे में शॉर्ट एवं आसान भाषा में पढ़ना चाहते हैं और इसे याद करना चाहते हैं तो हमारे द्वारा उपलब्ध करवाये गये नोट्स को अच्छे से जरूर पढ़ ले

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

1857 के विद्रोह का प्रारंभ

29 मार्च, 1857 को 34वीं रेजीमेंट, बैरकपुर के सैनिक मंगल पाण्डे ने चर्बी लगे कारतूस के प्रयोग का विरोध किया तथा विद्रोह की शुरुआत कर दी। उसने सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट बॉग एवं सार्जेण्ट मेजर ह्यूसन की गोली मारकर हत्या कर दी। 8 अप्रैल, 1857 को सैन्य अदालत के निर्णय के बाद मंगल पाण्डे को फाँसी की सज़ा दे दी गई, जो कि 1857 की क्रांति का प्रथम शहीद माना गया।

1857 के विद्रोह का विस्तार

1. दिल्ली व मेरठ

  • विद्रोह का आरंभ 10 मई, 1857 को मेरठ छावनी में हुआ। 20वीं नेटिव इन्फ्रेन्ट्री के सिपाहियों ने अपने अधिकारियों पर गोलियाँ चलाई और अपने साथियों को मुक्त करवा कर दिल्ली की ओर कूच किया तथा 11 मई को मेरठ के विद्रोही दिल्ली पहुँचे और 12 मई, 1857 को उन्होंने दिल्ली पर अधिकार कर लिया तथा मुगल बादशाह बहादुरशाह द्वितीय को पुनः भारत का सम्राट व क्रांति का नेता घोषित किया।
  • दिल्ली में मुगल शासक बहादुरशाह द्वितीय को प्रतीकात्मक नेतृत्व दिया गया, किंतु वास्तविक नेतृत्व बख्त खाँ के पास था। इस संघर्ष को दबाने के लिए अंग्रेज अधिकारी जॉन निकोल्सन, हडसन व लॉरेंस को भेजा गया।
  • बहादुरशाह द्वितीय की गिरफ्तारी हुमायूँ के मकबरे से हुई थी। इसकी सूचना जीनत महल ने दी थी।
  • बहादुरशाह द्वितीय को रंगून भेज दिया गया जहाँ 1862 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।

2. लखनऊ

  • जून, 1857 में विद्रोह का प्रारंभ बेगम हज़रत महल (महक परी) के नेतृत्व में हुआ।
  • उन्होंने अपने अल्पायु पुत्र बिरजिस कादिर को नवाब घोषित कर दिया तथा अपना प्रशासन स्थापित किया।
  • अंत में कैंपबेल ने मार्च, 1858 में विद्रोह को दबा कर लखनऊ पर पुनः कब्जा कर लिया।

3. कानपुर

  • 5 जून, 1857 को कानपुर अंग्रेजों के हाथ से निकल गया। यहाँ पर पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहब (धोंदूपंत) ने विद्रोह को नेतृत्व प्रदान किया।
  • इसमें उनकी सहायता तात्या टोपे ने की थी, जिनका असली नाम रामचंद्र पांडुरंग था।
  • दिसंबर, 1857 में कैंपबेल व हेवलॉक ने कानपुर पर फिर से अधिकार कर लिया। नाना साहब अंत में नेपाल चले गए।

4. झाँसी

  • झाँसी में जून, 1857 में रानी लक्ष्मीबाई (महलपरी) के नेतृत्व में विद्रोह प्रारंभ हुआ।
  • झाँसी में ह्यूरोज की सेना से पराजित होकर वे ग्वालियर पहुँची। तात्या टोपे झाँसी की रानी से जाकर मिले। झाँसी की रानी सैनिक वेशभूषा में लड़ती हुई वीरगति को प्राप्त हुई।
  • तात्या टोपे ने अंग्रेजों को सर्वाधिक परेशान किया और सिंधिया की अस्वीकृति के बावजूद ग्वालियर की सेना व जनता का उन्हें सहयोग मिला। अपने गुरिल्ला युद्धों द्वारा उन्होंने विद्रोह को एक नया आयाम दिया, किंतु बाद में उनके विश्वासघाती मित्र मानसिंह नरूका ने उन्हें गिरफ्तार करवा दिया और वर्ष 1859 में ग्वालियर में उन्हें फाँसी दे दी गई।

5. बिहार

  • जगदीशपुर में विद्रोह का नेतृत्व कुँवर सिंह ने किया। कुँवर सिंह की मृत्यु के बाद विद्रोह का नेतृत्व इनके भाई अमर सिंह ने किया। अंत में
  • विलियम टेलर एवं विंसेंट आयर ने यहाँ विद्रोह को दबा दिया।

6. फैज़ाबाद

  • फैज़ाबाद में विद्रोह का नेतृत्व अहमदुल्लाह ने किया। जनरल रेनॉर्ड ने यहाँ के विद्रोह को दबाया।
  • अहमदुल्लाह ने अंग्रेजों के विरुद्ध ‘जिहाद’ का नारा दिया था।
  • फैजाबाद के मौलवी अहमदुल्लाह ने अंग्रेजों के विरुद्ध फतवा जारी किया और जिहाद का नारा दिया। अंग्रेजों ने इनके ऊपर 50 हज़ार रुपये का इनाम घोषित किया था।

7. इलाहाबाद

इलाहाबाद में जून के प्रारंभ में विद्रोह हुआ, जिसकी कमान मौलवी लियाकत अली ने संभाली। अंत में जनरल नील ने यहाँ के विद्रोह को दबा दिया। विद्रोह के दौरान तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग ने इलाहाबाद को आपातकालीन मुख्यालय बनाया था।

8. बरेली

बरेली में खान बहादुर खाँ ने विद्रोहियों का नेतृत्व किया और अपने आप को ‘नवाब’ घोषित किया। कैंपबेल ने यहाँ के विद्रोह को भी दबा दिया और खान बहादुर को फाँसी की सजा दी गई।

9. राजस्थान

राजस्थान में कोटा ब्रिटिश विरोधियों का प्रमुख केंद्र था। यहाँ जयदयाल और मेहराब खाँ ने विद्रोह को नेतृत्व प्रदान किया।

10. असम

असम में विद्रोह की शुरुआत मनीराम दत्त ने की तथा अंत में राजा के पोते कंदर्पेश्वर सिंह को राजा घोषित कर दिया। मनीराम को पकड़कर कलकत्ता में फाँसी दे दी गई।

11. उड़ीसा

उड़ीसा में संबलपुर के राजकुमार सुरेंद्रशाही व उज्ज्वलशाही विद्रोहियों के नेता बने। 1862 ई. में सुरेंद्र साई ने आत्मसमर्पण कर दिया।

1857 के विद्रोह के महत्त्वपूर्ण तथ्य

विद्रोह का परिणाम

  • स्वतंत्रता संग्राम की दृष्टि से भले ही यह विद्रोह असफल रहा हो परंतु इसके दूरगामी परिणाम काफी उपयोगी रहे।
  • 1 नवंबर, 1858 को इलाहाबाद में आयोजित दरबार में लॉर्ड कैनिंग (1857 की क्रांति के समय गवर्नर जनरल ) ने महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणा को पढ़ा। उद्घोषणा में भारत में कंपनी का शासन समाप्त कर भारत का शासन सीधे क्राउन के अधीन कर दिया गया।
  • 1858 के अधिनियम के तहत भारत के गवर्नर जनरल को वायसराय कहा जाने लगा। इस तरह लॉर्ड कैनिंग भारत के प्रथम वायसराय बने।

अगर आपकी जिद है सरकारी नौकरी पाने की तो हमारे व्हाट्सएप ग्रुप एवं टेलीग्राम चैनल को अभी जॉइन कर ले

Join Whatsapp GroupClick Here
Join TelegramClick Here

1857 का विद्रोह : विस्तार, परिणाम एवं महत्वपूर्ण तथ्य : ऐसे ही नोट्स के साथ तैयारी करने के लिए आप हमारी वेबसाइट MISSION UPSC पर रोजाना विकसित कर सकते हैं जिसमें आपको लगभग सभी विषयों के नोट्स इसी प्रकार निशुल्क पढ़ने के लिए मिलेंगे जिन्हें पढ़ कर आप घर बैठे बिना किसी कोचिंग के तैयारी कर सकते हैं

1 thought on “1857 का विद्रोह : विस्तार, परिणाम एवं महत्वपूर्ण तथ्य”

Leave a Comment