अंगारों पर पैर रखना –संकट में पड़ जाना। प्रयोग –मारीच ने राघव से कहा था कि हे रावण। तू सीताहरण करके अंगारों पर पैर क्यो रखना चाहता है? |
घोड़े बेच कर सोना –काम से उदासीन रहकर निश्चित होकर समय बिताना। प्रयोग –आर.ए.एस. की परीक्षा सिर पर आ गई और प्रमेश है कि घोड़े बेच कर सो रहा है। |
छठी का दूध याद आना –सम्पूर्ण शक्ति लगाने पर सफलता में संदेह होना। प्रयोग –श्री कृष्ण से मल्लयुद्ध करते हुए चाणूर को छठी का दूध याद आ गया था। |
चुल्लू भर पानी में डूब जाना –लज्जा और ग्लानि का तीव्र अनुभव करना। प्रयोग –तुम न मालूम किस मिट्टी के बने हो कि रमेश की इस तरह की अपमान भरी बातें सुन लेते हो। इतना अपमानित होकर भी तुम जीवित हो। चुल्लू भर पानी में क्यों नहीं डूब मरते। |
अपना उल्लू सीधा करना –स्वार्थ सिद्ध करना। प्रयोग –नेता लोग चुनाव के समय जनता के समक्ष वोट के लिए झोली फैलाने फिरते है, किन्तु विजयी होने पर वह जनता का तनिक भी ध्यान नहीं रखते और अपना उल्लू सीधा करने में ही लगे रहते है। |
खून खौल उठना –अत्यधिक क्रोध आना। प्रयोग –जब बांग्लादेश में नृशंस अत्याचारों की दर्दनाक कहानी सुनी तो हमारा खून खौल उठा। |
बाल बाँका न होना –कुछ भी अनिष्ट न होना। प्रयोग –जिसका भगवान रक्षक है उसका कोई भी बाल बाँका नहीं कर सकता। |
हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाना –निष्क्रिय बन जाना। प्रयोग –इस तरह हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहोगे तो तुम परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो सकते। |
लोहे के चने चबाना –कठिनाई में पड़ जाना। प्रयोग –भारतीय सेना ने भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों को लोहे के चने चबवा दिये थे। |
नकेल हाथ में होना –सभी तरह का अधिकार होना। प्रयोग –सुमित्रा की ओर से चिन्ता करना व्यर्थ है, क्योंकि उसकी नकेल तो विपाशा के हाथ में है जो तुम्हारी पत्नी है। |
रौंगटे खड़े होना –डर जाना। प्रयोग –भयानक जंगल में शेर को देखते ही मेरे रौंगटे खड़े हो गये। |
मुट्ठी गरम करना –रिश्वत देना। प्रयोग –आजकल अफसरों की मुट्ठी गरम किये बिना कोई काम नहीं होता है। |
आटे-दाल का भाव मालूम होना –जीवन जीने का अनुभव होना। प्रयोग –अभी तक तो तुम पराश्रित ही थे, किन्तु आटे दाल का भाव तो अब मालूम पड़ेगा। |
कलेजा मुँह को आना –घबरा जाना या शोक का चरम सीमा पर होना। प्रयोग –रणभूमि में मुर्दों और घायलों के वीभत्स दृश्य देखकर कलेजा मुँह को आने लगता है। |
आकाश के तारे तोड़ना –असंभव कार्य को भी संभव बना देना। प्रयोग– राम इतना परिश्रमी है कि आकाश के तारे तोड़कर ला सकता है। |
अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना –स्वयं अपना अहित करना। प्रयोग –जो छात्र अध्ययन नहीं करते हैं वे अपने पैरो पर स्वयं ही कुल्हाड़ी मारते हैं अथवा अपने भाई का विरोध करके मैं अपने पैरों पर कुल्हाड़ी न मारूँगा। |
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना –अपनी बड़ाई स्वयं करना। प्रयोग –हम चाहे किसी के प्रति कितनी भलाई करें कभी हमें अपने मुँह मियाँ मिट्ठू नहीं बनना चाहिए, क्योंकि सज्जन पुरूष कभी अपनी प्रशंसा स्वयं नहीं करते। |
खाक में मिलाना –नष्ट कर देना। प्रयोग –रामू ने आलस्य एवं लापरवाही के कारण अपने जीवन को खाक में मिला दिया। |
टेक निभाना –वादा पूरा करना। प्रयोग –भगवान् सदैव भक्तों की टेक निभाते है। |
पहाड़ टूटना –भयंकर आपत्ति आ जाना। प्रयोग –हरीश वैसे भी अर्थाभाव से पीड़ित है और उसके माता-पिता के बीमार हो जाने से तो अब उस पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा है। |
भूत सवार होना –सनक बैठ जाना, हठ पकड़ लेना। प्रयोग –सचमुच तुम पर भूत सवार होता है, तुम किसी भी सुनते ही नहीं, अपनी ही लगाये जा रहे हो। |
दाल में काला होना –कुछ संदेह की बात होना। प्रयोग –शारदा की इस बात पर सभी लोगों को आश्चर्य होता है और वे गंभीरता से सोचते है कि हो न हो दाल में कुछ काला अवश्य है। |
छाती पर मूँग दलना –पास रहकर कष्ट पहुँचाना। प्रयोग –तुम जाओगे या नहीं, अब कब तक मेरी छाती पर मूँग दलते रहोगे। |
हाथ मलना –पछताना।प्रयोग –पहले तो परिश्रम किया नहीं और अब फैल होने पर हाथ मल कर बैठ जाने के अलावा चारा ही क्या है? |
आसमान सिर पर उठाना –बहुत शोर-गुल करना। प्रयोग –शोर-गुल करते देख छात्रों से अध्यापकजी ने कहा- चुप रहो, तुमने तो आसमान सिर पर उठा रखा है। |
राई का पहाड़ बनाना –थोड़ी-सी बात को बढा-चढ़ाकर कहना। प्रयोग –उषा और सुषमा दोनों की राई का पहाड़ बनाने में माहिर हैं। |
आस्तीन का साँप होना –धोखेबाज या विश्वासघाती होना। प्रयोग –चीन ने पहले तो भाई-चारे का संबंध बनाया और बाद में युद्ध करने पर उतारू हो गया, आखिर वह आस्तीन का साँप निकला। |
एड़ी-चोटी का जोर लगाना –पूरी शक्ति लगा देना। प्रयोग –राम तुम पढ़ाई में बहुत कमजोर हो, जब एड़ी-चोटी का जोर लगाओगे तभी सफलता मिल सकती है। |
ऊँगली पर नाचना –इशारे पर चलना। |
कमर कसना –तैयार होना। प्रयोग –अब तो मैं भी अध्ययन के लिए कमर कसकर तैयार हो गया हूँ, अब देखता हूँ हरि मुझसे अधिक अंक कैसे ला सकता है? |
काया पलट होना –सर्वथा बदल जाना। प्रयोग –इस बार चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने शासन की काया पलट दी है। |
कानों कान खबर न होना – किसीको कुछ भी ज्ञात न होना। प्रयोग-रामप्रसादतुम चिन्ता मत करो। सारा काम ऐसी उस्तादी से होगा कि किसी को कानों-कान खबर नहीं होगी। |
किस खेत की मूली-नगण्यव्यक्ति। प्रयोग-बेचारीश्याम ने उत्तरा पर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया, फिर भी उत्तरा उसके साथ किस खेत की मूली जैसा व्यवहार करती है। |
किसी का घर जला कर अपना हाथ सेंकना-अपनेछोटे से स्वार्थ के लिए दूसरों को हानि पहुँचाना। प्रयोग-मैंडॉ. रघुवंशी को भली प्रकार से जानता हूँ। वे उन लोगों में से हैं जो दूसरों के घर में आग लगाकर अपना हाथ सेंकने के अभ्यस्त होते हैं। |
दूसरे के कंधे पर रखकर बंदूक चलाना-दूसरेको माध्यम बनाकर कोई काम करना। प्रयोग-कुमारवर्धन को तुमने अपने घर में क्यों रख लिया है? क्या तुम जानते नहीं कि वह तो दूसरे के कंधे पर रखकर बंदूक चलाया करता है। |
कुत्ते की नींद सोना-हल्की नींद लेना। प्रयोग-उर्मिलासदैव कुत्ते की नींद सोती है। |
कुत्ते की मौत मरना-बुरीदशा में प्राणान्त होना। प्रयोग-मेरीकामना है कि तुम ठीक-ठाक रहो। अपना ख्याल रखो, नहीं तो कुत्ते की मौत मर जाओगे। |
कोल्हू का बैल-परिश्रमकरते हुए निरंतर पिसते रहना। प्रयोग- नमालूम लोग वकालत की इतनी क्यों प्रशंसा करते हैं। असल में इससे बदतर कोई दूसरा पेशा नहीं है। थोड़े ही दिनों में आदमी कोल्हू का बैल बन जाता है। |