अगर आप के सिलेबस में हिंदी ग्रामर विषय है तो आज की है पोस्ट आपके लिए है क्योंकि इस पोस्ट में हम आपके लिए Samas ( समास ) kise kahate hain ? | समास की परिभाषा के बारे में महत्वपूर्ण नोट्स लेकर आए हैं इन नोट्स को पढ़ने के बाद आपको यह टॉपिक अच्छे से क्लियर हो जाएगा क्योंकि यह Hindi Grammar Samas Notes in Hindi बिल्कुल सरल भाषा में उदाहरण सहित हम आपके समक्ष उपलब्ध करवा रहे हैं ताकि आपको कहीं पर भी कोई समस्या ना हो
हिंदी ग्रामर का यह Samas ( समास ) in Hindi टॉपिक है समास बड़ा एवं परीक्षा की दृष्टि से इंपॉर्टेंट टॉपिक है इसलिए इसे अच्छे से जरूर कर ले ताकि आगामी परीक्षाओं में अगर समाज से संबंधित किसी भी तरह का प्रश्न पूछा जाए तो आपका कोई भी प्रश्न गलत ना हो
Samas ( समास ) kise kahate hain ? | समास की परिभाषा
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Samas ( समास ) kise kahate hain ?
• समास दो शब्दों के मेल से बना है– ‘सम्’ और ‘आस’।
• सम् का अर्थ ‘पास’ तथा आस का अर्थ ‘आना या बैठाना’।
समास का अर्थ है– ‘संक्षिप्त’।
• समास की परिभाषा– दो या अधिक शब्दों के परस्पर मेल को समास कहते हैं। समास का अर्थ होता है संक्षिप्त। समास में प्राय: दो पद होते हैं– 1. पूर्व पद, 2. उत्तर पद। दोनों पदों को मिलाने से बनने वाला पद सामासिक पद कहलाता है। दोनों पदों को अलग करने की प्रक्रिया समास विग्रह कहलाती है; जैसे–
बैलगाड़ी (समास) = बैल से चलने वाली गाड़ी (समास-विग्रह)।
• समास मुख्यत: चार प्रकार के होते हैं– 1. अव्ययीभाव समास 2. तत्पुरुष समास 3. द्वंद्व समास 4. बहुव्रीहि समास। किंतु कुछ विद्वान् कर्मधारय और द्विगु समास को पृथक् समास मानते हुए समासों की संख्या छह बतलाते हैं जबकि वास्तविकता तो यह है कि कर्मधारय और द्विगु समास कोई पृथक् समास न होकर तत्पुरुष समास के ही उपभेद मात्र हैं।
समास के भेद / समास के प्रकार
• पद की प्रधानता के आधार पर– चार भेद
1. पहला पद प्रधान– अव्ययीभाव समास
2. दूसरा पद प्रधान– तत्पुरुष समास (कर्मधारय और द्विगु समास)
3. दोनों पद प्रधान– द्वंद्व समास
4. अन्य पद प्रधान– बहुव्रीहि समास
• अर्थ की प्रधानता के आधार पर– छह भेद
1. अव्ययीभाव समास
• प्रथम पद अव्यय हो तथा एक ही शब्द बार-बार आए, जिसमें परिवर्तन नहीं होता हो एवं उपसर्ग हो; जैसे– अत्यधिक = अधिक से अधिक
2. तत्पुरुष समास
• दूसरा पद प्रधान व कारक चिह्नों का लोप; जैसे–
राजपुरुष = राजा का पुरुष
• तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं–
1. कर्म तत्पुरुष
2. करण तत्पुरुष
3. संप्रदान तत्पुरुष
4. अपादान तत्पुरुष
5. संबंध तत्पुरुष
6. अधिकरण तत्पुरुष
3. कर्मधारय समास
• उत्तर पद प्रधान हो, पदों में विशेषण-विशेष्य का संबंध अथवा उपमेय-उपमान का संबंध हो; जैसे– नीलाकाश = नीला है जो आकाश।
4. द्विगु समास
• प्रथम पद संख्यावाची हो; जैसे– त्रिफला = तीन फलों का समूह
5. द्वन्द्व समास
• दोनों पद प्रधान होते हैं; जैसे– राधा-कृष्ण = राधा और कृष्ण
6. बहुव्रीहि समास
• दोनों पद गौण होते हैं तथा तीसरा अर्थ निकले; जैसे–
त्रिनेत्र = तीन है नेत्र जिसके – शिव
1. अव्ययीभाव समास
• जिस समास में पूर्व पद प्रधान हो तथा साथ में अव्यय हो, अव्ययीभाव समास कहलाता है।
• विशेषताएँ–
(i) पहला पद प्रधान
(ii) पहला पद अव्यय
(iii) उपसर्गयुक्त पद
(iv) पुनरावृति शब्द
समास | समास-विग्रह |
आजीवन | जीवन पर्यंत / जीवन भर |
प्रतिदिन | हर दिन / दिन – दिन, प्रत्येक दिन |
अनुकूल | कूल के अनुसार |
प्रतिपल | हर पल |
भरपेट | पेट भरकर / पेट भर के |
आजन्म | जन्म पर्यन्त / जन्म से |
बेखटके | बिना खटके / बिना खटके के |
दर्शनार्थ | दर्शन हेतु |
कृपापूर्वक | कृपा के साथ |
श्रद्धापूर्वक | श्रद्धा से पूर्ण |
निःसंकोच | संकोच रहित |
अत्यधिक | अधिक से अधिक |
निर्विकार | विकार रहित |
निर्भय | बिना भय का |
बीचोंबीच | बीच के भी बीच में |
प्रत्यक्ष | आँखों के सामने |
प्रति क्षण | प्रत्येक क्षण |
धीमे-धीमे | धीमे के पश्चात् धीमे |
धुँधला-धुँधला | धुँधले के पश्चात् धुँधला |
निडर | डर रहित |
यथाशक्ति | शक्ति के अनुसार |
नियमानुसार | नियम के अनुसार |
रातभर | पूरी रात |
दिनभर | पूरे दिन |
दिनोंदिन | दिन ही दिन में |
रातोंरात | रात ही रात में |
कानोंकान | कान ही कान में |
यथास्थान | जो स्थान निर्धारित है |
आपादमस्तक | पाद से मस्तक तक |
प्रत्युपकार | उपकार के प्रति |
प्रतिबिंब | बिंब के बदले बिंब |
दौड़मदौड़ | दौड़ने के पश्चात् दौड़ना |
कहाकही | कहने के पश्चात् कहना |
सुनासुनी | सुनने के पश्चात् सुनना |
मंद-मंद | बहुत मंद |
यथास्थिति | जैसे स्थिति है |
प्रतिवर्ष | प्रत्येक वर्ष |
निस्संदेह | संदेह रहित |
2. तत्पुरुष समास– जिस समास में उत्तर पद अर्थात् दूसरा पद प्रधान हो, वह तत्पुरुष समास कहलाता है। इसकी पहचान यह है कि समास विग्रह करने पर विभक्ति चिह्न नजर आते हैं।
• तत्पुरुष समास के भेद–
(i) नञ् तत्पुरुष समास
(ii) लुप्तपद तत्पुरुष समास
(iii) अलुक् तत्पुरुष समास
(iv) उपपद तत्पुरुष समास
(v) लुप्तकारक चिह्न तत्पुरुष समास
(i) नञ् तत्पुरुष समास– अ, अन्, अन, ना (अन्ना)
• इस समास में अ, अन्, अन और ना (अन्ना) उपसर्गों का प्रयोग किया जाता है तथा नहीं के अर्थ का बोध होता है; जैसे–
असत्य | सत्य नहीं |
अज्ञान | ज्ञान नहीं |
अकारण | कारण नहीं |
अव्यय | व्यय नहीं |
अभाव | भाव नहीं |
अयोग्य | योग्य नहीं |
अनाहूत | आहूत (बुलाया) नहीं |
अनावश्यक | आवश्यक नहीं |
अनावरण | आवरण नहीं |
अनदेखा | देखा नहीं |
अनचाहा | चाहा नहीं |
अनमोल | मोल नहीं |
अनभिज्ञ | अभिज्ञ (जानकार) नहीं |
अनपढ़ | पढ़ा-लिखा नहीं |
अनाधिकार | अधिकार नहीं |
अनुपयोगी | उपयोगी नहीं |
अनहोनी | होनी नहीं |
अनमेल | मेल नहीं |
नालायक | लायक नहीं |
नाजायज | जायज नहीं |
नापसंद | पसंद नहीं |
नापाक | पाक नहीं |
• विशेष– विकल्प में ‘नञ् तत्पुरुष’ न दे रखा हो तो ‘अव्ययीभाव समास’ होगा।
(ii) लुप्तपद तत्पुरुष समास– इस समास में दोनों पदों के बीच प्रयुक्त पदों का लोप हो जाता है, इसलिए इसे लुप्तपद तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे–
समास | समास-विग्रह |
मधुमक्खी | मधु एकत्र करने वाली मक्खी |
रेलगाड़ी | रेल (पटरी) पर चलने वाली गाड़ी |
बैलगाड़ी | बैल द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी |
पर्णशाला | पर्णों (पत्तों) से निर्मित शाला |
जलपोत | जल पर चलने वाला पोत |
पवनचक्की | पवन से चलने वाली चक्की |
पनचक्की | पन (पानी) के बहाव की शक्ति से चलने वाली चक्की |
वायुयान | वायु में उड़ने वाला यान |
गुड़धानी | गुड़ मिली हुई धानी |
बड़बोला | बड़ी बात बोलने वाला |
अश्रुगैस | अश्रु (आँसू) लाने वाली गैस |
रसमलाई | रस में डूबी हुई मलाई |
जलकौआ | जल में रहने वाला कौआ |
जलकुंभी | जल में उत्पन्न होने वाली कुंभी |
तुलादान | तुला से बराबर कर दिया जाने वाला दान |
घृतान्न | घी में पका हुआ अन्न |
गुरुभाई | गुरु के सम्बन्ध से भाई (गुरु का पुत्र) |
गोबर-गणेश | गोबर से निर्मित गणेश |
पकौड़ी | पकी हुई बड़ी |
रसगुल्ला | रस में डूबा हुआ गुल्ला (गोला) |
दहीबड़ा | दही में डूबा हुआ बड़ा |
(iii) अलुक् तत्पुरूष समास– इस समास में प्रथम पद के साथ संस्कृत का विभक्ति चिह्न जुड़ा रहता है इसलिए इसे अलुक् तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे–
समास | समास-विग्रह |
वसुंधरा | वसुओं को धारण करने वाली धरा |
शुभंकर | शुभ को करने वाला |
खेचर | ख (आकाश) में चर (विचरण) |
धनंजय | धन को जय करने वाला |
आत्मनैपद | आत्म (स्वयं) के लिए प्रयुक्त पद |
परस्मैपद | पर (दूसरे) के लिए प्रयुक्त पद |
कर्मणि प्रयोग | कर्म में प्रयोग |
कर्तरि प्रयोग | कर्ता के अर्थ में प्रयोग |
(iv) उपपद तत्पुरुष समास– इस समास का दूसरा पद कोई न कोई प्रत्यय होता है, इसलिए इसे उपपद तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे–
समास | समास-विग्रह |
पंकज | पंक (कीचड़) में जन्म लेने वाला |
जलज | जल में जन्म लेने वाला |
राजनीतिज्ञ | राजनीति को जानने वाला |
स्वर्णकार | स्वर्ण का काम करने वाला |
स्वेदज | स्वेद (पसीना) से जन्म लेने वाला |
अम्बुद | अम्बु (जल) को देने वाला |
अंडज | अंडा से जन्म लेने वाला |
उरग | उर (छाती के बल) से गमन करने वाला |
(v) लुप्तकारक चिह्न तत्पुरुष समास– इस समास में कर्म कारक से लेकर अधिकरण कारक तक के विभक्ति चिह्न लुप्त हो जाते है, इसलिए इसे लुप्तकारक चिह्न तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे–
जेबकतरा | जेब को कतरने वाला |
व्यायामशाला | व्यायाम के लिए शाला |
क्र.स. | कारक | कारक-चिह्न |
(i) | कर्म | को |
(ii) | करण | से /के द्वारा |
(iii) | सम्प्रदान | के लिए |
(iv) | अपादान | से (अलग होने हेतु) |
(v) | सम्बन्ध | का, की, के |
(vi) | अधिकरण | में, पर |
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